आज वायु प्रदूषण भारत ही नहीं पूरे विश्व के लिए एक जटिल समस्या बन चुकी हैं. इसी के प्रति चिंता ज़ाहिर करते हुए एक 12 साल की क्लाइमेट एक्टिविस्ट ने देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक खुला पत्र लिखा है. पीएम मोदी को यह पत्र क्लाइमेट एक्टिविस्ट रिद्धिमा पांडे ने लिखा है, जिसमें उन्होंने बच्चों के प्रदूषित हवा में सांस लेने से उनके स्वास्थ्य पर हो रहे गंभीर प्रभाव पर चिंता प्रकट की है. उन्होंने अपना यह पत्र अपने ट्विटर अकॉउंट पर शेयर किया है, जिसे लोग बड़ी रीट्वीट कर रहे हैं. जानिये क्या लिखा उन्होंने अपने इस ओपन लेटर में -
बड़े शहरों के प्रति चिंता
रिद्धिमा ने अपने इस पत्र में प्रधानमंत्री मोदी से बढ़ते वायु प्रदूषण के खिलाफ तत्काल सख़्त कदम उठाने की मांग की है. उन्होंने लिखा कि दिल्ली, मुंबई, चेन्नई और घने आबादी वाले शहरों में रहने वाले लोगों को वायु प्रदूषण का बेहद मुश्किलों से सामना करना पड़ रहा है. इसके चलते रिद्धिमा ने पीएम से आग्रह किया है कि वे सभी नियमों और कानूनों को सख्ती से लागू करने का आदेश दें. ताकि इससे प्रत्येक भारतीय विशेषकर बच्चों की हैल्थ पर मंडरा रहे खतरे से निजात मिल सकें. वे खुली हवा सांस लें सकें. रिद्धिमा ने पीएम मोदी को लिखें अपने इस ख़त की कॉपी सोशल मीडिया पर शेयर की है जिस पर लोग अपनी सकारात्मक प्रतिक्रिया दे रहे हैं.
बुरा सपना शेयर किया
रिद्धिमा का पीएम मोदी को लिखा यह ख़त काफी दिलचस्प है. इसमें उन्होंने पीएम से अपने स्कूल का एक किस्सा ज़ाहिर किया है. उन्होंने लिखा है कि एक बार की बात है, उनके टीचर ने क्लास के सभी स्टूडेंट्स से उनके बुरे सपने के बारे में पूछा. तब मैंने अपने टीचर से अपने बुरे सपने के बारे बात करते हुए बताया था कि वायु पूरी तरह से दूषित हो चुकी है इसलिए मुझे अपने साथ ऑक्सीजन का सिलेंडर साथ लेकर आना पड़ रहा है. यही मेरा बुरा सपना आज मेरी सबसे बड़ी चिंता है.
हम ग़लत साबित हुए
रिद्धिमा ने अपने इस पत्र में आगे लिखा है कि लॉकडाउन से पहले हमने सोचा था कि हम कभी भी खुली और स्वच्छ हवा में सांस नहीं ले पाएंगे. लेकिन हमारा यह भ्रम टूट गया. सबकुछ प्रतिबंधित होने की वजह से फिर से आसमान नीला हो गया. फिर से हम खुली हवा में सांस लेने के लिए तैयार हो गए. उन्होंने पीएम से अपील की है कि मैं देश के सभी बच्चों की तरफ से अपील करती हूं कि कृपया हमारे फ्यूचर के बारे में सोचा जाए. वायु प्रदुषण के प्रबंधन से जुड़े सभी अफसरों को निर्देश दिए जाए. ताकि एक दिन हम फिर से खुली हवा में सांस ले सकें. अपने इस पत्र के अंत में उन्होंने लिखा हम सब को यह सुनिश्चित करना होगा कि ऑक्सीजन सिलेंडर हमारे बच्चों की ज़िंदगी का जरुरी हिस्सा न बन जाए.
Share your comments