एक अच्छी पैदावार लेने के लिए भूमि का अच्छी तरह से तैयार किया जाना अति आवश्यक है. अच्छी तरह से तैयार की गयी खेती योग्य भूमि से खरपतवार दूर रहते हैं तथा भूमि में पाए जाने वाले जैव तत्व अच्छी तरह से तैयार हो जाते हैं. इसके साथ ही पौध रोपण के लिए आवश्यक नरम भूमि प्राप्त हो जाती है तथा सीधे बिजाई के लिए उपयुक्त समतल भूमि भी प्राप्त की जा सकती है.
धान की खेती योग्य भूमि को तैयार करने के लिए सामान्यतः 2 तरीके अपनाए जाते हैं, जिसमे zero tillage और minimum tillage मत्वपूर्ण है. इस प्रक्रिया से ना केवल भूमि की असमानता कम होती है बल्कि इस प्रक्रिया को सफल बनाने के लिए जो कीचड़ प्रक्रिया अपनाई जाती है उससे भूमि संरचना काफी हद तक खराब हो जाती है. मुख्यतः धान की खेती के लिए भूमि को तैयार करने के 4 चरण होते हैं
पहले चरण में खेत की जुताई के लिय गहरी जुताई का उपयोग किया जाता है. दुसरे चरण में मिट्टी को उलट-पलट कर मिलाया जाता है. इसके उपरान्त मिट्टी के बड़े ढेलों को तोड़ने के लिए हैरोइंग का इस्तेमाल किया जाता है.
तीसरे चरण में खेत में मौजूद खरपतवार और फसलों के अवशेष को अच्छी तरह से भूमि में मिला दिया जाता है और इसके बाद खेत में अच्छी तरह से सिंचाई कर कीचड़ बनाया जाता है. जिससे की जमीन में नमी बन जाए तथा अंतिम चरण में पाटा लगाकर भूमि को समतल बना दिया जाता है.
पिछले फसल के कटाई के उपरांत कुछ समय के लिए भूमि को खेती के लिए उपयोग में नहीं लाया जाता है. लेकिन अगली फसल के लिए खेत को उपयोग में लाने से पूर्व उपरोक्त प्रक्रिया अपनाई जाती है, जिससे की खरपतवार को नियंत्रित किया जाता है साथ ही भूमि की उर्वरक शक्ति को भी बढ़ावा मिलता है. इन सारी प्रक्रियाओं को अपनाने के लिए कम से कम 3 से 4 सप्ताह लग जाते हैं.
धान की खेती के लिए भूमि की तैयारी क्यों आवश्यक है?
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कीचड़ पद्धति द्वारा एक असामान्य खेत को समतल बनाया जाना चाहिए.
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खेत में पानी की सामान्य गहराई को बनाए रखने के लिए.
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असामान्य भूमि को समतल बनाकर पानी की दक्षता को बढ़ाना
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पानी की उपयोगिता को बढ़ाने के लिए भूमि का समतली कारण अतिआवश्यक है.
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एक अच्छी जुताई से खेती योग्य भूमि में ऑक्सीजन की उपलब्धता बन जाती है.
भूमि तैयार करने की प्रक्रिया:
जुताई, मिट्टी के ढेलों की कटाई, ढेलों की तुड़ाई तथा मिट्टी को अलट-पलट करने से काफी हद तक या कुछ हद तक पौध रोपण के लिए खेत की तैयारी हो जाती है. गहरी जुताई से कृषकों को एक अच्छे संरचना वाली खेती योग्य भूमि मिल जाती है जिससे की पानी को सोखने की क्षमता के साथ भूमि में ऑक्सीजन का सुगम परिचालन हो जाता है. इसके अलावा जुताई से खरपतवार, कीट पतंग का भी नाश हो जाता है. किसानों के लिए बाजार में जुताई के लिए विभिन्न प्रकार के मशीन मौजूद हैं लेकिन स्टिल कंपनी ने पावर वीडर MH (710) अलग- अलग जुताई के पुर्जों के साथ किसानों के लिए उपलब्ध करवाया है जो कि ऊपर वर्णित प्रक्रियाओं को आसान बनाने में किसानों मदद करता है.
हैरोइंग एक उथली-गहराई वाली माध्यमिक जुताई तकनीक है जो मिट्टी को महीन और चूर्ण करने के साथ-साथ खरपतवारों को काटने और मिट्टी के साथ मिलाने का काम करता है. खेत में खरपतवार, फसल अवसेश और खरपतवार बीजों को भी नष्ट करने में मदद करता है. यह प्रक्रिया तभी काम आती है जब मिट्टी के ढेलों में नमी की मात्र कम हो जाती है. इस जटिल प्रक्रिया को कम समय में सफलतापूर्वक करने के लिए स्टिल पावर वीडर MH (710) के साथ डीप टाइम अटैचमेंट के द्वारा आसानी से किया जा सकता है. धान की खेत में रोपाई से पूर्व कीचड़ बनाने की प्रक्रिया अत्यंत जटिल एवं मेहनत काश प्रक्रिया है. इस प्रक्रिया के लिए सबसे पहले देशी हल से जुताई की जाती है, इसके बाद खेत में 5-10 cm पानी से भर दिया जाता है. जिससे मिट्टी के ढेले गलकर कीचड़ में परिवर्तित हो जाते है. इसके उपरान्त खेत में पाटा लगाकर खेत को रोपाई के लिए समतल बनाकर तैयार किया जाता है. यह पूरी प्रक्रिया अत्यंत उबाऊ और जटिल होती है. इसके लिए स्टिल कंपनी पावर वीडर MH (710) के साथ पोडलिंग व्हील अटैचमेंट एक अत्यंत आधुनिक पेशकश है. जिससे ना केवल धान के पौध रोपण के लिए खेत तैयार होती है बल्कि पौध रोपण के लिए उपयुक्त भूमि भी तैयार हो जाती है.
ऐसा माना जाता है कि भूमि को समतल बनाने से ना केवल भूमि की उपयोगिता बढ़ती है बल्कि भूमि के समतल करने से, भूमि के सिंचाई के दौरान पानी की कम खपत होती है तथा एक सार पानी पुरे खेत में फैल जाता है. इस प्रक्रिया को अपनाने से ना केवल पानी के बहाव और फैलाव को नियंत्रित किया जाता है बल्कि इससे भूमि का कटाव भी रुकता है और इसके साथ-साथ पौध प्रस्थापना भी बेहतर होती है.
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