आज हम आपको बता रहे हैं शरद ऋतु में मिलने वाले फल सीताफल के बारे में. सीताफल आपकी सेहत के लिए बेहद ही लाभकारी होता है. कहा जाता है कि जब राम वनवास पर गए थे तब यह फल सीता माता ने राम को भेंट किया था जिसकी वजह से इस फल का नाम सीताफल पड़ा. इसे शरीफा भी कहते हैं. अगर हम इस फल को लेकर आयुर्वेद की बात करें तो इस फल का सेवन इंसान को करीब एक दर्जन बीमारियों से बचाने में सहायक होता है और शरीर को चुस्त रखने में भी काफी मदद करता है. तो आइए जानते हैं इस फल से जुड़ी कुछ सामान्य जानकारियां-
सीताफल के फायदे-
आमतौर पर यह फल ताजा रस या शर्बत और पेय पदार्थों को बनाने में इस्तेमाल किया जाता है. यह कैल्शियम, लोहा और फास्फोरस का एक बड़ा स्त्रोत है. इसके बीज विषाक्त होते हैं और इसे कीटनाशक के रूप में आसानी से उपयोग किया जाता है.
वजन बढ़ाने में सहायक- सीताफल में वजन बढ़ाने की पूरी भरपूर क्षमता होती है और यह आपके शरीर को चुस्त रखने में काफी ज्यादा मदद करता है.
विटामिनों की भरपूर मात्रा- सीताफल एक ऐसा फल है जिसमें प्राकृतिक एंटीऑक्साइड विटामिन सी अधिक मात्रा में होता है. यह विटामिन सी शरीर में रोगों से लड़ने वाली शाक्ति इम्युन सिस्टम को बढ़ाने में सहायक होता है.
दांतों के लिए लाभदायक- दांतों को स्वस्थ रखने में सीताफल का काफी सहायक होता है. इसको खाने से दांतों और मसूड़ों में होने वाले दर्द से छुटकारा पा सकते हैं.
खून की कमी को करता है दूर- सीताफल खून की कमी को पूरी तरह से दूर करने में सहायक है. यह दांतों को एनीमिया से भी बचाता है.
आंखों की क्षमता को बढ़ाए - सीताफल आंखों की दृष्टी क्षमता को बढ़ाने में सहायक है. इसमें विटामिन सी प्रचुर मात्रा में पाया जाता है.
दिल् को रखे तंदरूस्त- सीताफल दिल को स्वस्थ रखने में लाभ होता है.
शुगर कंट्रोल करने में सहायक- सीताफल का सेवन करने से शुगर की मात्रा संतुलित रहती है. यह शुगर लेवल को कंट्रोल करता है.
सीताफल के बीज के फायदे
जिस तरह से सीताफल फायदेमंद होता है ठीक उसकी तरीके से उसके काले रंग के बीज भी सेहत के लिए काफी गुणों से भरपूर होते हैं. तो आइए जानते हैं कि सीताफल के बीजों के क्या फायदें हैं.
सीताफल के बीज कैंसर और डायबिटीज जैसी बीमारियों को नियंत्रित करने का कार्य करते हैं.
सीताफल के बीज रोगों से लड़ने की क्षमता में इजाफा करता है और इसीलिए इनका प्रयोग दवाईयां बनाने में भी किया जाता है. बीज खाने से प्रतिरोधक क्षमता में बढ़ोतरी होती है.
किशन अग्रवाल, कृषि जागरण
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