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कैसे बनाएं अपना हर दिन तंदरुस्त

आयुर्वेद का कहना है कि अच्छी सेहत के लिए अच्छी दिनचर्या बेहद ही जरूरी है. दिनचर्या में सोने, जागने, खाने, पीने आदि का बेहद ही खास महत्व होता है. आयुर्वेद में सुबह उठने से लेकर रात तक व रात्रिकाल के लिए भी स्वस्थ रहने के कुछ नियम व अनुशासन बताए गए हैं.

किशन

आयुर्वेद का कहना है कि अच्छी सेहत के लिए अच्छी दिनचर्या बेहद ही जरूरी है. दिनचर्या में सोने, जागने, खाने, पीने आदि का बेहद ही खास महत्व होता है. आयुर्वेद में सुबह उठने से लेकर रात तक व रात्रिकाल के लिए भी स्वस्थ रहने के कुछ नियम व अनुशासन बताए गए हैं. इस व्यवस्था के सहारे स्वस्थ रहने और शरीर में वात, पित्त जैसे दोषों को आसानी से संतुलित करने के कईं कारगर नुस्खे हैं. शुरूआत में आपको आयुर्वेद के नियमों को अपनाने में कई तरह की परेशानियों का समाना करना पड़ेगा लेकिन कुछ दिनों के प्रयासों के बाद आप इसे अपने जीवन का अहम हिस्सा बना लेंगे. तो आइए जानते हैं कि कैसे आप आयुर्वेद को अपनाकर ठीक तरह से दिनचर्या सुधार सकते है.

सुबह जल्दी जागें

अगर आपको अपने जीवन में स्वस्थ और निरोगी रहना है तो इसके लिए सुबह सूर्योदय से 2 घंटे पहले यानी कि ब्रहामुहुर्त में जागें. आयुर्वेद के नियमों के मुताबिक इस समय उठने पर वायुकाल के कारण होने के कारण आपके श्वसन अंग और अंर्तमन आसानी से शुद्ध हो जाएंगे. सुबह उठते ही खाली पेट पानी जरूर पीएं. अपने मुंह में पानी भरकर रोक लें और अपनी आंखों पर सादे पानी के छीटें मारें. दोनों हाथों से हथेलियों को सहलाएं. इससे पित्त का सिर की तरफ संतुलन बढ़ेगा. उसके बाद ब्रश करें.

कुछ देर योग जरूरी

आप आयुर्वेद के मुताबकि कुछ देर योग -प्रणायाम का अभ्यास करें. रोज़ाना एक घंटे आपको योगाभ्यास करना चाहिए. सैर करें, टहलें, फिर पूरे शरीर पर सरसों व अश्वागंधा के तेल मालिश करें. गर्मी में नारियल तेल का भी आप आसानी से प्रयोग कर सकते है. अब हर्बल साबुन से स्नान करें. इसके लिए नीम, तुलसी, मुल्तानी मिट्टी आदि का चेहरे पर जरूर प्रयोग करें. स्नान के कुछ देर बाद आप आसानी से शांत स्थान पर बैठ कर ध्यान कर सकते है.

दोपहर का खाना

दोपहर का खाना 12 बजे से 2 बजे के बीच हो जाना चाहिए क्योंकि दोपहर 12 बजे से 1 बजे के बीच पित्काल काफी ज्यादा अपने चरम पर होता है. इस समय हमारे शरीर के सभी एंजाइम और पित्त रस सक्रिय होते है इसीलिए इस समय का विशेष ध्यान रखे. आयुर्वेद के मुताबिक दोपहर का भोजन ही पूरे दिन का मुख्य आहार होना चाहिए. आधे घंटे के बाद गुनगुना पानी पीना चाहिए.

शाम को क्या खाएं

शाम को आप सब्जियों का रस लें, जिसमें लौकी, पेठा, खीरा, पालक, गाजर आदि हैं. गाजर, चुकंदर का मिक्स रस भी लें सकते हैं. फलाहार भी किया जा सकता है. एक गिलास गेहूं के ज्वार का रस पीना बहुत ही अच्छा होता है. अगर आपको अधिक थकान महसूस हो तो सिर पर बादाम तेल की मालिश करें. कुछ देर घर के लोगों से बातें करें. कुछ हल्का खेल खेल लें ताकि आसानी से थकान दूर हो जाए.

रात का खाना

वैसे तो रात का खाना सूर्यास्त से पहले ही हो जाना चाहिए, किंतु सोने से 2-3 घंटे पूर्व तो अवश्य हो जाना चाहिए. जिस तरह से हम पूरे दिन काम करते हैं और रात को सो कर आराम करते हैं उसी तरह से हमारा पाचन तंत्र 24 घंटे काम करने का कार्य करता है. इसीलिए कोशिश करें कि रात का खाना हल्का और सुपाच्य होने वाला होना चाहिए, ताकि पाचन अंगों को ज्यादा मेहनत न करनी पड़ें. कोशिश करें कि रात के खाने में ठंडी चीजें, मिठाई और दूध से बनी चीजें तो बिल्कुल भी शामिल न करें. दलिया व पतली खिचड़ी आपकी सेहत के लिए काफी ज्यादा फायदेमंद है. इसीलिए ज्यादा देर रात तक खाने का सेवन आपकी सेहत के लिए काफी ज्यादा हानिकारक है.

English Summary: Stay tidy, stay tuned for health Published on: 19 February 2019, 05:39 PM IST

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