Use Onion To Control Diabetes: भारत में डायबिटीज के मरीजों का संख्या काफी तेजी से बढ़ रही है. ऐसे में कुछ एक्सपर्ट्स का मानना है कि आने वाले कुछ दशकों में यह बिमारी महामारी का रूप ले सकती है. डायबिटीज एक ऐसी बिमारी है, जिसमें शुगर लेवल सामान्य से ज्यादा हो सकता है. इस बीमारी को दवा के जरिए केवल कंट्रोल किया जा सकता है. लेकिन क्या आप जानते हैं, शुगर लेवल को कंट्रोल करने के लिए प्याज का भी उपयोग किया जा सकता है. कई रिसर्चों में पाया गया है कि शुगर लेवल को कंट्रोल में प्याज का सेवन मददगार साबित हो रहा है.
आइये कृषि जागरण की इस पोस्ट में जानें, शुगर लेवल को कंट्रोल करने में कैसे मदद कर सकता है प्याज?
शुगर लेवल 50% तक होगा कम
अमेरिका के सैन डिएगो में स्थित एंडोक्राइन सोसाइटी की 97वीं एनुअल मीटिंग में प्रस्तुत 2015 के निष्कर्षो से पता चला है कि प्याज शुगर लेवल को कंट्रोल करने में सबसे सस्ता और घरेलू उपाय साबित हो सकती है. डायबिटीज के मरीजों के लिए प्याज का अर्क लाभदायक हो सकता है. एक रिसर्च में भी पाया गया कि प्याज के एक बल्ब का अर्क दवा के साथ देने से टाइप 2 डायबिटीज के मरीजों का शुगर लेवल 50 प्रतिशत तक कम किया जा सकता है.
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प्याज से कंट्रोल होगा शुगर लेवल
इस रिसर्च के शोधकर्ताओं ने दावा किया कि प्याज का उपयोग डायबिटीज के सप्लीमेंट के तौर पर किया जा सकता है, क्योंकि इसमें डायबिटीज के मरीजों के इलाज की क्षमता है. यह शोध चूहों पर की गई थी, जिसमें वैज्ञानिकों को बेहद उत्साहजनक रिजल्ट मिलें. प्याज में सल्फर यौगिक, फ्लोवोनॉयड्स और पॉलीफेनोल्स होते हैं, जो बल्ड शुगर लेवल को कंट्रोल करने में मदद करते हैं. वहीं साल 2023 में Nutrients में प्रकाशित एक स्टडी नें प्याज के अर्क को एंटीहाइपरग्लाइसेमिक गुणों से भरपूर बताया है.
प्याज में मौजूद पोषक तत्व
आपकी जानकारी के लिए बता दें, प्याज में फोलेट, विटामिन C, कैल्शियम, आयरन, मैग्नीशियम, मैंगनीज, फास्फोरस, पोटेशियम और जिंक काफी अच्छी खासी मात्रा में पाया जाते हैं. प्याज का सेवन करने से बॉडी में शुगर की मात्रा नियंत्रित करने में मदद मिलती है. प्याज में एंटिऑक्सीडेंट के साथ फाइबर की अच्छी खासी मात्रा पाई जाती है, जो ब्लड शुगर लेवल को बढ़ने से रोकने में मदद करती है.
डायबिटीज के लक्षण
डायबिटीज की समस्या होने पर शरीर में कुछ तरह के लक्षण दिखाई देने लगते हैं, जिसमें थकान, भूख ज्यादा लगना, घाव जल्दी ठीक नहीं होना, धुंधला दिखाई देना, वजन कम होना, जल्दी-जल्दी इन्फेक्शन होना, मसूड़ों में सूजन और खून आना, हाथों-पैरों में झनझनाहट रहना शामिल है.
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