Millet: मिलेट शब्द का उपयोग छोटे बीज वाली घासों को वर्गीकृत करने के लिए किया जाता है जिन्हें अक्सर शुष्क भूमि अनाज भी कहा जाता है, मिलेट्स के अंतर्गत कई तरह के पोषक अनाज शामिल हैं जिनमें ज्वार, बाजरा, फिंगर मिलेट (प्रमुख मिलेट), फॉक्सटेल मिलेट, छोटा मिलेट, कोदो मिलेट, प्रोसो मिलेट और बार्नयार्ड मिलेट (लघु मिलेट/ Short millet) आदि आते हैं. इन सभी की खेती खाद्य बीजों के लिए की जाती है. इनमें उच्च मात्रा में आहार फाइबर, बी-कॉम्प्लेक्स विटामिन, अमीनो, फैटी एसिड और विटामिन ई पाए जाते हैं. इसके अलावा इनमें खनिज, लोहा, मैग्नीशियम, फास्फोरस, पोटेशियम उच्च मात्रा में पाए जाते हैं.
बता दें कि ये अनाज कार्बोहाइड्रेट/ Carbohydrate में उच्च होते हैं, जिनमें प्रोटीन की मात्रा 6 से 11 प्रतिशत और वसा की मात्रा 1.5 से 5 प्रतिशत होती है. ऐसे में आइए जानते हैं कि मिलेट्स क्यों जरूरी है?
मिलेट्स क्यों जरूरी है?
मिलेट्स फसल अवधि से लेकर जलवायु परिवर्तन में भी किसानों के लिए काफी फायदेमंद है. इसके अलावा इसमें विटामिन फाइबर का बेहतर स्त्रोत है. मिलेट्स के विभिन्न प्रकार है, जिनका अपना-अपना अलग कार्य होता है, जो कुछ इस प्रकार से हैं.
ज्वार- यह विस्तृत फसल अवधि के साथ विशिष्ट शुष्क भूमि की फसल है.
चेना- जलवायु परिवर्तन के लिए लचीला (C4 संयंत्र) और आकस्मिक फसल के रूप में आदर्श है.
कंगनी- यह कम पानी की आवश्यकता और कम से कम खरीदे गए इनपुट लेकिन उच्च इनपुट प्रबंधन के प्रति उत्तरदायी है.
कुटकी- उच्च फाइबर के साथ खनिज, विटामिन, एंटीऑक्सीडेंट की उच्च मात्रा के कारण इसे न्यूट्रल सीरियल कहा जाता है.
बाजरा- यह लस मुक्त है और उन्हें कार्यात्मक खाद्य पदार्थ और न्यूट्रास्यूटिकल्स के रूप में रखा जा सकता है.
रागी- भोजन, चार, ऊर्जा (ईंधन) और पोषण सुरक्षा के स्रोत के रूप में सतत भविष्य की फसल है.
सामा- इससे समृद्ध स्वास्थ्य लाभ और आरटीसी/आरटीएफ रूपों में प्रसंस्करण के लिए प्रौद्योगिकी उपलब्ध है.
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कोदो- फाइबर का बेहतर सोर्स होने के साथ कोदो विटामिन बी और बी-6 फोलिक एसिड का भी अच्छा स्त्रोत है. इसमें कैल्शियम, आयरन आदि अन्य पोषक तत्व पाए जाते हैं. हाई बीपी और कोलेस्ट्रॉल के मामले में ये काफी फायदेमंद है. ये शरीर में एनर्जी बनाकर रखता है और वजन को नियंत्रित रखता है.
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