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बेअसर हो रही एंटीबॉयोटिक दवाओं का कारगर विकल्प आयुर्वेद में मिला है. भोपाल एम्स के एक ताजा अध्ययन में 13 जड़ी-बूटियों से तैयार दवा फीफाट्रोल को प्रमुख बैक्टीरिया समूह के संक्रमण के खिलाफ असरदार पाया गया है. शोध में पाया गया कि फीफाट्रोल स्टैफिलोकोकस बैक्टीरिया के खिलाफ बेहद ही शाक्तिशाली है. इस प्रजाति के कई तरह के बैक्टीरिया एपिडमिर्स, स्पोफिटिकस, आरियस सक्रिय है. आयुर्वेदिक दवा की इकोलाई, निमोनिया, क एरोजन पर भी असरदार प्रतिक्रिया देखने को मिली है. शोध टीम के प्रमुख और एम्स भोपाल के निदेशक डॉ समरन सिंह के मुताबिक आमतौर पर आयुर्वेदिक दवाएं प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाती है पर फीफाट्रोल में बैक्टीरिया से लड़ने की क्षमता भी दिखी. इस शोध के आरंभिक नतीजे उत्साहजनक होते है.
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ऐसे तैयार की गई फीफाट्रोल दवा
सुदर्शन वटी- इस वटी के सहारे विलर में किसी भी तरह की सूजन को घटाया जा सकता है.
संजीवनी बूटी- इस वटी के सहारे रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है.
गोदंती भस्म- बुखार, अल्सर आदि को ठीक करती है.
त्रिभुवन कीर्ति रस- डेंगू, चिकनगुनिया में रामबाण इलाज है.
मृत्युंजय रस- यह अपच और वात रोग में काफी असरदार है,
आठ अन्य तत्व- तुलसी, कुटकी, चिरायाता, मोथा, गिलोय, दारूहल्दी, करंज और अप्पामार्ग का अंश भी काफी अहम है.
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घातक बैक्टीरिया
स्टैफिलोकोकस प्रजाति का बैक्टीरिया सांस, पेट और त्वचा संबंधी संक्रमण को फैलाता है और कमजोर प्रतिरोध क्षमता वालों के लिए घातक साबित होता है. यहां पर आयुर्वेद विशेषज्ञ डॉ रामनिवास पारशर के मुताबिक यह शोध साबित करता है कि आयुर्वेद में एंटीबायोटिक दवाओं का विकल्प मौजूद है जो पूरी तरह से जड़ी-बूटी पर आधारित है. इसीलिए सरकार को भी इस दिशा में फोकस करना चाहिए.
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