अगर आप खेती में अच्छा मुनाफा पाना चाहते हैं, तो आपको सलाह देंगे कि आप औषधीय पौधों की खेती (Cultivation Of Medicinal Plants ) करें, क्योंकि आज के समय में प्रदूषण के बढ़ने से बीमारियों बढ़ रही हैं. इसके साथ ही अंग्रेजी दवाओं से होने वाले साइड इफ़ेक्ट के डर से लोग आयुर्वेदिक दवाओं की तरफ अपना ज्यादा रुझान बढ़ा रहे हैं.
ऐसे में अगर किसान औषधीय पौधे की खेती करते हैं, तो उनको अधिक मुनाफा मिल सकता है. आयुर्वेद में शंखपुष्पी (Conchpushpi ) नामक औषधीय पौधे का इस्तेमाल आयुवेदिक दवाइयों (Ayurvedic Medicines) को बनाने में किया जाता है, इसलिए शंखपुष्पी की खेती किसानों को मालामाल कर सकती है. यह एक औषधीय पौधा है, जिसका सेवन आमतौर पर दिमागी कमजोरी को दूर करने के लिए किया जाता है.
शंखपुष्पी का पौधा (Conch Flower)
इस पौधे की सबसे बड़ी खासियत है कि एक बार तैयार होने पर यह कई सालों तक अच्छी पैदावार देता है. शंखपुष्पी के पौधे में लगने वाले फूल लाल, सफ़ेद, और नीले रंग के होते है. इसके बीज काले रंग के होते है, जिसमें एक से तीन धारियां बनी होती हैं, जो देखने में शंख जैसे लगते हैं. शंखपुष्पी कीमत बाज़ार में काफी अच्छी है.
शंखपुष्पी की खेती के लिए मिटटी और जलवायु (Soil And Climate For The Cultivation Of Conchpushpi)
शंखपुष्पी की खेती के लिए अधिक उपजाऊ और हल्की रेतीली दोमट मिट्टी होने के साथ – साथ अच्छी जल निकासी वाली मिटटी उपयुक्त होती है. इसकी खेती के लिए मिटटी का P.H. मान 5.5 से 7 के मध्य होना चाहिए. वहीँ, जलवायु की बात करें, तो इसकी खेती के लिए समशीतोष्ण जलवायु उचित होती है. बारिश का मौसम इसकी खेती के लिए उत्तम माना जाता है.
शंखपुष्पी की खेती के लिए तापमान (Temperature For Conchpushpi Cultivation)
तापमान की बात करें तो, शंखपुष्पी की खेती के लिए अंकुरण के लिए आरम्भ में 20 डिग्री तापमान की आवश्यकता होती है. इसके बाद पौधों के विकास करने के दौरान 25 से 30 डिग्री तापमान की आवश्यकता होती है.
शंखपुष्पी के लिए खेत की तैयारी (Field Preparation for Shankhpushpi)
शंखपुष्पी की अच्छी पैदावार के लिए मिटटी का भुरभुरा होना आवश्यकता है, इसलिए इसकी खेती करने से पहले खेत की मिट्टी को भुरभुरा बनाने के लिए सबसे पहले खेत की अच्छी तरह से गहरी जुताई कर दें. इसके बाद खेत को कुछ समय के लिए ऐसे ही खुल छोड़ दें, ताकि मिटटी में पाए जाने वाले जीवाणु धूप से नष्ट हो जाएँ.
इसके बाद खेत में गोबर की खाद को डालकर जुताई कर दें, यह प्रक्रिया करीब दो से तीन बार दोहराएं. इसके बाद जब खेत की मिट्टी जब ऊपर से सूखी दिखाई देने लगे, तो उसमें रोटावेटर लगवाकर फिर से जुताई कर दें. जिससे खेत की मिट्टी भुरभुरी हो जाएगी. इसके बाद खेत को समतल करने के लिए खेत में पाटा लगाकर चलवा दें.
शंखपुष्पी की खेती के लिए सिंचाई (Irrigation For Conchpushpi Cultivation)
शंखपुष्पी के पौधों की रोपाई बारिश के मौसम में की जाती है, इसलिए इसमें ज्यादा सिंचाई की जरूरत नहीं पड़ती है, लेकिन पौध रोपाई के तुरंत बाद यदि बारिश नहीं हुई है, तो जरूर सिंचाई कर दें.
शंखपुष्पी की खेती के लिए बीजो की रोपाई (Planting Of Seeds For The Cultivation Of Conchpushpi)
इसके बीजों की रोपाई को पौध और बीज दोनों विधि द्वारा किया जाता है. बीज के रूप में बुवाई करने के लिए बीजों को पौध रोपाई से 20 दिन पहले प्रो-ट्रे में तैयार किया जाता है. इसके बाद तैयार पौधों को मेड़ो में लगा दिया जाता है. मेड़ो पर रोपाई के दौरान प्रत्येक पौधों के बीच के बीच की दूरी 20 से 25 CM की होनी चाहिए. वहीँ मेड़ से मेड की बीच की दूरी एक फिट होनी चाहिए.
Share your comments