हम अपनी लाइफ में कोई भी छोटी मोटी बीमारी के आने पर तुरंत डॉक्टर के पास न जाकर उसे घरेलु नुस्खे से सही करने का प्रयास करते हैं. इन घरेलू दवाइयों के प्रयोग में सबसे ज्यादा आयुर्वेदिक दवाएं आती हैं. इन आयुर्वेदिक दवाओं में प्राकृतिक जड़ी-बूटीयों के साथ ही बहुत से पेड़ पौधे भी होते हैं. आज हम आपको एक ऐसे ही पौधे के बारे में बताने जा रहे हैं जिसके फायदे जानकर आप भी हैरान हो जायेंगे. हम बात कर रहे हैं शमी नाम के पौधे की. इस पौधे के जितने लाभ जड़ी-बूटी के रूप में हैं उतना ही इस पौधे का धार्मिक महत्त्व भी है.
खेजड़ी नाम से भी जाना जाता है शमी
शमी एक औषधीय वृक्ष है जो 9-18 फीट तक लंबा होता है. पतली शाखाओं वाला यह एक कटीला वृक्ष होता है. इसका प्रयोग हम औषधीय और धार्मिक रूप में करते हैं. अगर हम इसकी छाल की बात करें, तो यह बहुत ही खुरदरी और फटी हुई होती है. इस पौधे को देश में अलग-अलग नामों से जान जाता है. इसका एक अन्य नाम खेजड़ी भी है.
कई रोगों में है फायदेमंद
शमी का पौधा शरीर के कई रोगों में उपयोग किया जाने वाला वृक्ष है. यह शरीर में कई तरह के कफ और पित्त रोगों से हमें स्वस्थ्य रखने में सहायक होता है. इस पेड़ की छाल और इसके फलों से पित्त और कफ रोगों के इलाज के लिए उपयोगी होता है. आंखों के रोग के लिए भी इस पेड़ का उपयोग जड़ी बूटी के रूप में किया जाता है. इसके साथ ही अगर दस्त या पेचिश जैसी बीमारियां होती हैं तो वह भी इस इस बूटी के उपयोग से सही हो सकते हैं. इस पौधे का सेवन दवा के रूप में करने पर यह शरीर में खून की मात्रा भी बढ़ाता है.
बिच्छू या सांप के जहर को करता है कम
इस पेड़ की बूटी बिच्छू या सांप के जहर को कम करने के लिए भी प्रयोग में लाई जाती है. इसके ताने की छाल को बरगद और नीम की छाल के साथ मिला कर पीसने से डंक वाले स्थान पर लगाने से जहर के प्रभाव को कम किया जा सकता है.
यह भी पढ़ें: मुरैना में खुलेगा हार्टिकल्चर कालेज, चंबल-ग्वालियर के साथ अन्य जिलों के विद्यार्थियों को मिलेगा लाभ
शमी के धार्मिक महत्त्व
इस वृक्ष के जितने औषधीय महत्त्व हैं उतने ही इसके धार्मिक महत्त्व भी हैं. माना जाता है कि इस वृक्ष को घर पर लगाने से धन के लाभ के द्वार खुलते हैं साथ ही घर पर शनि के प्रकोप भी कम होता है. इस वृक्ष पर भगवान शिव का वास माना जाता है. साथ ही दशहरा के पर्व में भी इस वृक्ष का विशेष महत्त्व है.
Share your comments