फूलों की खुश्बू और खूबसूरती मन को आनंदित करती है. फूलों को भगवान के चरणों में चढ़ाया जाएं या इनसे दवाइयां बनाई जाएं हर तरह से फूल उपयोगी होते है. आप सभी ने गुलाब, कमल, गेंदा आदि फूलों का नाम तो सुना होगा, लेकिन एक फूल ऐसा भी है, जो बीमारियों को दूर करके, जीवन में उत्साह का संचार करता है, जिससे प्राचीनकाल से होली खेली जाती रही है, पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण और राधाजी ने भी इसी फूल से बने रंग से होली खेली थी, याद नहीं आ रहा तो कृषि जागरण के इस लेख में पढ़िए पलाश के फूल (Palash Flower) के बारे में जानकारी –
क्या है पलाश फूल (What is Palash Flower)
देशभर में पलाश के पेड़ पाए जाते हैं, जो फबासी परिवार का एक फूल है. इसक वैज्ञानिक नाम ब्यूटिया मोनोस्पर्मा (Butea monosperma) है. पलाश (पलास,छूल,परसा, ढाक, टेसू, किंशुक, केसू) एक वृक्ष है जिसके फूल बहुत ही आकर्षक होते हैं. इसके आकर्षक फूलो के कारण इसे "जंगल की आग" भी कहा जाता है. इसके फूल, पत्तियां, छाल व बीज को बहुत उपयोगी माना जाता है. इसकी मदद से आयुर्वेदिक दवाइयां भी बनाई जाती हैं.
आयुर्वेदाचार्यों के अनुसार (According to Ayurvedacharyas)
पलाश में रोगाणुरोधी और एंटीऑक्सिडेंट गुण होते हैं, जिसकी मदद से कई बीमारियों का इलाज किया जाता है. अगर आप अपनी बीमारी के निदान के लिए हर बार डॉक्टर के पास नहीं जाना चाहते हैं, तो पलाश के फूलों को किसी न किसी तरह से अपने जीवन में जरूर शामिल करें. आइए आपको पलाश के औषधीय गुणों के बारे में बताते हैं.
पलाश पेड़ के विभिन्न भागों का बीमारियों में उपयोग (Use of different parts of Palash tree in diseases)
पलाश के फूल (Palash Flowers)
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मूत्र संबंधी रोग का इलाज करने के लिए पलाश के फूल का काढ़ा बनाकर, मिश्री के साथ मिलाकर पिएं.
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फूलों का रस आंख में डालने से रतौंधी का इलाज कर सकते हैं.
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आंख आने पर फूल के रस को शहद में मिलाकर लगाने से राहत मिलती है.
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पेट की समस्या में आराम मिलता है.
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पेचिश और दस्त जैसी समस्याएं भी ठीक होती हैं.
पलाश के बीज (Palash Seeds)
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कृमि बीमारी को जड़ से खत्म करने के लिए 3 से 6 ग्राम पलाश के बीजों का चूर्ण सुबह दूध के साथ 3 दिनों तक लें, फिर चौथे दिन सुबह 10 से 15 ग्राम अरंडी के तेल में गर्म कर दूध में मिलाकर पिएं.
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पलाश के बीजों का चूर्ण त्वचा पर लगाने से एक्जिमा और त्वचा संबंधित अन्य रोग दूर होते है.
पलाश के पत्ते (Palash Leaves)
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बुद्धि बढ़ाने के लिए पलाश व बेल के सूखे पत्ते, गाय के घी और मिश्री के साथ मिलाकर खाएं.
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बवासीर जैसे रोगों का इलाज करने के लिए पलाश के पत्ते की सब्जी, घी व तेल में बनाकर दही के साथ खाएं.
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मधुमेह और उच्च रक्त चाप से ग्रसित लोग, पलाश के पत्तों का उपयोग कर सकते हैं.
पलाश के छाल (Bark of Palash)
अगर नाक, कान, मल-मूत्र या अन्य किसी जगह से रक्तस्त्राव हो, तो पलाश की छाल का 50 मिली काढ़ा बनाएं और इसे ठंडा कर मिश्री में मिलाकर पिएं. इससे काफी लाभ होता है.
पलाश का गोंद (Palash Gum)
पलाश के गोंद को 1 से 3 ग्राम मिश्री में मिलाकर दूध या आंवला के रस के साथ लें. इससे हड्डियां मजबूत होंगी, साथ ही गोंद को गर्म पानी के साथ घोलकर पीने से दस्त का इलाज किया जा सकता है.
पलाश लेने से पहले सावधानियां बरतें (Precautions Before Taking Palash)
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गर्भवती और स्तनपान करवाने वाली महिलाएं सेवन करने से पहले डॉक्टर की सलाह लें.
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अगर एलोपेथिक दवा का सेवन कर रहे हैं, तो इसका उपयोग करने से पहले डॉक्टर की सलाह लें.
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पलाश के फूल का उपयोग करने से पहले गर्म पानी से अच्छी तरह धो लें.
पलाश को बचाने के वैज्ञानिक शोध (Scientific research to save Palash)
वास्तविकता यह है कि पिछले तीस-चालीस वर्षों में दोना-पत्तल बनाने वाले कारखानों के बढ़ने, गाँव-गाँव में चकबन्दी होने तथा वन माफियाओं द्वारा अन्धाधुन्ध कटाई करने के कारण उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार, बंगाल, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, कर्नाटक, महाराष्ट्र आदि प्रान्तों में पलाश के वन घटकर दस प्रतिशत से भी कम रह गए हैं. वैज्ञानिकों ने पलाश वनों के बचाने के लिये माइक्रो प्रवर्धन और ऊतक संवर्द्धन (टिश्यू कल्चर) द्वारा परखनली में पलाश के पौधों को विकसित कर एक अभियान चलाकर पलाश वन रोपने की योजना प्रस्तुत की है.
वैज्ञानिकों को विश्वास है कि हाईटेक आधुनिक जैवप्रौद्योगिकी की बदौलत वह पलाश के लाखों पौधे परखनली में उगाकर पलाश को पुनः जीवित कर देंगे. इसके लिए गोल पहाड़ी हरियाणा स्थित टाटा ऊर्जा अनुसंधान के टिश्यू कल्चर पायलट प्लांट तथा पुणे स्थित राष्ट्रीय रासायनिक प्रयोगशाला में नए प्रयोग शुरू कर दिए हैं.
उम्मीद की जानी चाहिए कि कई औषधीय गुणों से युक्त पलाश के वृक्ष पुनः सतपुड़ा और अरावली की पहाड़ियों को आच्छादित करने के साथ ही देश के अधिकाँश भागों की पहाड़ियों को अपनी प्राकृतिक छटा से परिपूर्ण करेंगे.
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