देश के अधिकतर राज्यों में मानसून का आगमन हो चुका है. इन दिनों किसान खरीफ फसलों की खेती प्रमुख रूप से करते हैं. इसमें धान, अरहर, सोयाबीन समेत कई सब्जियों की खेती शामिल है. मगर शायद किसान इस बात से वंचित हैं कि मानसून आने पर वह कई महत्वपूर्ण औषधीय फसलों की खेती भी कर सकते हैं, लेकिन आमतौर पर किसानों को औषधीय पौधों की उचित जानकारी नहीं मिल पाती है. इस कारण किसानों को कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है. अगर किसान औषधीय फसलों की बुवाई, सिंचाई, कीटनाशक का उपयोग उचित समय पर न करें, तो इन फसलों के उत्पादन पर बुरा प्रभाव पड़ता है. ऐसे में ज़रूरी है कि किसान औषधीय फसलों की उचित जानकारी के बाद ही खेती करें. आइए आज हम किसान भाईयों को महत्वपूर्ण औषधीय फसलों की जानकारी देने वाले हैं, जिनकी खेती किसान अगले आने वाले 3 महीनों में कर सकते हैं.
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शतावरी
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अश्वगंधा
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मुलेठी
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घीकवार
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कलिहारी
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शतावरी
इस औषधीय फसल को भी सर्दियों के अलावा किसी भी मौसम में लगा सकते हैं. इस फसल के पौधे बारिश के समय लगाए जाने पर आसानी से उग जाते हैं. इसकी बुवाई से पहले बीजों को 1 दिन तक गुनगुने पानी में भिगोंकर रख दें.
अश्वगंधा
इस फसल की बुवाई मानसून की बारिश के अनुसार जून से लेकर अगस्त तक की जा सकती है. किसान बारिश के बाद इस फसल की नर्सरी तैयार कर सकते हैं. इसकी कई उन्नत किस्में विकसित हो चुकी हैं, जिनकी बुवाई से किसान अधिक से अधिक पैदावार प्राप्त कर सकते हैं. बता दें कि इसके लिए प्रति हेक्टेयर की दर से 5 किलोग्राम बीज की व्यवस्था करनी पड़ती है. अगर किसान 1 हेक्टेयर भूमि में अश्वगंधा उगाना चाहते हैं, तो लगभग 500 वर्ग मीटर में नर्सरी तैयार करें. इससे पहले बीजों को डाइथेन एम-45 या मैंकाजब से उपचारित कर लें, साथ ही बीजों की बुवाई लगभग 1 सेंटीमीटर की गहराई पर करें.
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घीकवार
इसकी खेती खराब पड़ी भूमि पर जा जा सकती है, साथ ही अलग-अलग जलना में खेती कर सकते हैं. इसकी अच्छी पैदावार लेने के लिए उचित जल निकास की व्यवस्था होनी चाहिए. इस औषधीय फसल को फसल को सर्दियों में छोड़कर किसी भी मौसम में लगा सकते हैं. इसकी बुवाई पिछले साल लगाए गए बीजों द्वारा करनी चाहिए.
मुलेठी
इसकी खेती जुलाई से अगस्त की जा सकती है. इसके लिए किसान जून में खेत की तैयार कर लें और बारिश के बाद बुवाई कर दें. बता दें कि मुलेठी की खेती के लिए उचित जल निकास की व्यवस्था अच्छी होनी चाहिए. इसका साथ ही कम से कम 1 मीटर गहरी हल्की दोमट मिट्टी उपयुक्त रहती है. ध्यान रहे कि मुलेठी की बुवाई से पहले खेत में लगभग 15 टन गोबर की खाद ज़रूरी मिले लें. इसके बाद खेत की बुवाई कर दें.
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कलिहारी
इसकी खेती के लिए दोमट मिट्टी उपयुक्त रहती है. कलिहारी की खेती की तैयारी जून तक कर लेनी चाहिए और बुआई जुलाई में बारिश शुरू होते ही कर देनी चाहिए. बता दें कि इसकी खेती में 1 हेक्टेयर क्षेत्र के लिए लगभग 10 क्विंटल कंदों की आवश्यकता पड़ती है. इसकी बुवाई के समय कंदों को फफूंदीनाशक द्वारा उपचारित कर लेना चाहिए. इसके साथ ही खेत को तैयार करते समय गोबर की खाद डाल देना चाहिए.
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