सवेरे उठकर कुछ देर घास पर चलना किसे अच्छा नहीं लगता. अक्सर लोगों को भी यही कहते सुना गया है कि आस-पास हरे पेड़-पौधों और घास का होना हमारे मस्तिष्क के लिए अच्छा है. मनोविज्ञान के मुताबिक हरे घास से हमारे शरीर को शांति प्राप्त होती है. खुश रहने के लिए कुछ समय घास पर जरूर चलना चाहिए. लेकिन आज हम आपको एक ऐसी घास के बारे में बताने जा रहे हैं, जो शरीर में झनझनाहट पैदा करती है.
उत्तराखंड में है विशेष घास (Uttarakhand has special grass)
उत्तराखंड के जंगलों में एक विशेष प्रकार की घास पाई जाती है. इस घास के संपर्क में आने भर से ही शरीर में झनझनाहट पैदा हो जाती है. तेज खुजली के साथ कुछ लोगों को तो सिरदर्द की भी शिकायत आती है. आम लोग तो इसे छूने से भी कतराते हैं. वैसे समूचे भारतवर्ष में इस घास को आम भाषा में बिच्छू घास कहा जाता है. इस घास के फायदे भी अनेक हैं.
आयुर्वेदिक है बिच्छू घास (scorpion grass is ayurvedic)
इस घास को विज्ञान की भाषा में अर्टिका पर्वीफ्लोरा भी कहा जाता है. इसकी पत्तियों पर छोटे-छोटे कांटे होते हैं, जो संपर्क में आते ही किसी डंक की तरह शरीर में लगते हैं. खुली त्वचा अगर इनके संपर्क में आ जाए तो बदन में झनझनाहट और खुजली शुरू हो जाती है. इससे होने वाला दर्द बहुत हद तक किसी बिच्छू के डंक के समान ही है, इसलिए इसे बिच्छू घास कहा जाता है. आम तौर पर संपर्क वाले जगह पर कंबल से रगड़ा जाए तो झनझनाहट दूर हो जाती है.
मैदानी क्षेत्रों में मांग (demand in the plains)
इस घास का उपयोग कई तरह के स्वादिष्ट और और पौष्टिक भोजन बनाने में किया जाता है. कई तरह के रोगों के उपचार में भी इसका सेवन किया जाता है. यही कारण है कि इसकी मांग आज पहाड़ी क्षेत्रों के साथ-साथ मैदानी क्षेत्रों में भी बढ़ती जा रही है. इससे बनने वाला साग तो विशेषकर लोकप्रिय है.
घास से बनती है चाय (tea made from grass)
इस घास से चाय भी बनाई जाती है. जो शरीर के लिए बहुत ही फायदेमंद है और इसकी लोकप्रियता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इसका दाम 300 रुपये प्रति किलो तक है.
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इससे बनने वाली चाय आपके पेट में जलन की समस्याओं को दूर करने में फायदेमंद है. इसके अलावा अगर आपको कम नींद की समस्या या फिर एसिडिटी की शिकायत है तो आपको इसकी चाय पीनी चाहिए.
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