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इस पौधे की खेती कर, काटिए 5 साल तक मुनाफे की फसल

वक्त के साथ महंगाई खूब बढ़ा है. अगर यह कहे कि आज के समय में महंगाई आसमान छू रही है तो इसमें कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी. जिन वस्तुओं की कीमत पहले बाज़ार में कम हुआ करती थी, आज उनकी कीमत आसमान छू रही हैं. 'स्टीविया' भी कुछ इसी तरह का आयुर्वेदिक पौधा है

विवेक कुमार राय
विवेक कुमार राय

वक्त के साथ महंगाई खूब बढ़ा है. अगर यह कहे कि आज के समय में महंगाई आसमान छू रही है तो इसमें कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी. जिन वस्तुओं की कीमत पहले बाज़ार में कम हुआ करती थी, आज उनकी कीमत आसमान छू रही हैं. 'स्टीविया' भी कुछ इसी तरह का आयुर्वेदिक पौधा है. जिसकी कीमत वक्त के साथ बाजार में जमकर बढ़ा है.आयुर्वेदिक पौधे के रूप में स्टीविया पौधे की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यह चीनी से कई गुना मीठा होने के बावजूद मधुमेह के रोगियों के लिए जहर नहीं, बल्कि वरदान माना जाता है. ऐसा इसलिए माना जाता है, क्योंकि इसमें चीनी की तरह चर्बी और कैलोरी नहीं होती है. इसकी मीठी पत्तियां मधुमेह से पीड़ित रोगियों को नुकसान नहीं पहुंचाकर लाभ देती हैं. बता दे कि चीन के बाद भारत में सबसे ज्यादा मधुमेह के मरीज है. चीन में मधुमेह से पीड़ितों की संख्या लगभग 12  करोड़ है तो वहीं भारत में ये संख्या 8 करोड़ के आसपास है. मधुमेह सबसे तेजी से बढ़ने वाली बीमारियों में से एक है.

स्टीविया को भारतीय किसानों  के द्वारा 'मीठी तुलसी' कहा जाता है. इसकी मिठास चीनी से लगभग 300 गुना अधिक होती है. ये स्टेवियोल ग्लाइकोसाइड नामक यौगिकों के एक वर्ग से बनती है. चीनी की तरह यह कार्बन, ऑक्सीजन और हाइड्रोजन से मिश्रित है. हमारा शरीर इसे पचा नहीं सकता लेकिन जब इसे खाने के रूप में जोड़ा जाता है तो यह कैलोरी में नहीं जोड़ता है, बस स्वाद देता है. स्टीविया की मूल रूप से खेती पेरूग्वे में होती है. विश्व स्तर पर इसकी खेती पेरूग्वे, भारत , जापान, कोरिया, ताइवान, अमेरिका इत्यादि देशों में होती है. गौरतलब है कि स्टीविया की खेती भारत में दो दशक पहले शुरू हुई थी. इस समय इसकी खेती बैंगलोर, पुणे, इंदौर, रायपुर, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों में की जा रही है.

बता दे कि भारतीय बाजार में ही इस समय स्टीविया से बने 100 से अधिक उत्पाद मौजूद हैं. अमूल, मदर डेयरी, पेप्सीको, कोका कोला (फंटा) जैसी बड़ी कंपनियां स्टीविया की बड़ी मात्रा में  खरीदारी कर रही हैं. भारत में अन्य देशों के अपेक्षा बीते कुछ सालों में इसका काफी व्यापर भी बढ़ा है. ऐसे में भारतीय किसान स्टीविया की खेती करके बढ़िया मुनाफा कमा सकते हैं. स्टीविया की खेती में सबसे अच्छी बात ये है कि इसकी खेती में गन्ने के अपेक्षा 10 फीसदी कम पानी की जरूरत पड़ती है. इसकी 1 एकड़ की खेती के लिए कम से कम 40000 पौधे लगाने होते है. जिसमें लगभग 1 लाख रुपए का खर्च आता है. गन्ने की अपेक्षा एक किसान स्टीविया की खेती से 5  गुना ज्यादा मुनाफा कमा सकता है. यही नहीं इसकी खेती एक बार करने के बाद किसान कम से कम 5 साल तक अच्छी कमाई कर सकता हैं.

स्टीविया की बुवाई अक्टूबर या नवंबर माह में 30 x  30 सेंटीमीटर दूरी पर पंक्तियों में करनी चाहिए। रोपाई के तुरंत बाद सिंचाई करें। इसकी पूरी फसल की अवधि में 4 -5  सिंचाई की जरुरत पड़ती है. इसकी खेती के लिए दोमट मिटटी सबसे उपयुक्त होती है. पत्तियों की तुड़ाई, बुवाई के दो महीने बाद से ही शुरू हो जाती है. स्टीविया की पत्तियों की कीमत थोक में करीब 300 रुपए किलो तथा खुदरा में यह 500-600 रुपए प्रति किलो तक होती है. स्टीविया के पौधों से हर तुडाई में प्रति एकड़ 25से 27 कुंतल सूखी पत्तियां मिल जाती हैं.

English Summary: Cultivation of Stevia, crop up to 5 years of profitable crop Published on: 23 March 2019, 12:17 IST

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