कुदरत के दिए गए वरदानों में पेड़-पौधों का बहुत महत्वपूर्ण स्थान है. यह मानवीय जीवन चक्र में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. कई ऐसे औषधीय पौधे होते हैं, जो न केवल अपना औषधीय महत्व रखते हैं, बल्कि आमदनी का भी एक जरिया बन जाते हैं. इसके साथ ही हमारे शरीर को निरोगी बनाए रखने में भी औषधीय पौधों का अत्यधिक महत्व होता है. ऐसा ही एक पौधा मयूर शिखा है, आइए आपको इस पौधे से जुड़ी जानकारी देते हैं.
मयूर शिखा का पौधा
यह पौधा आसानी से प्राप्त किया जा सकता है. यह मोर की शिखा जैसा दिखाई देता है, इसलिए इसे मयूर शिखा कहा जाता है. इस पौधे को बंगाली में लाल मोरग या मोरगफूल कहते हैं, तो वहीं तेलगु में माइरक्षिपा और ओड़िया में मयूर चूड़िआ कहा जाता है. इसके अलावा भारतीय भाषाओं में भी इस पौधे के कई भिन्न भिन्न नाम हैं. इस पौधे का वैज्ञानिक नामएक्टीनप्टेरीडेसी है और अंग्रेजी में इसे पीकॉक्स टेल कहा जाता है. यह मुर्गे की कलगी की तरह भी दिखाई देता है. यह पौधे 2 या 3 प्रकार के होते हैं. कहा जाता है कि मयूर शिखा पौधा बहुत लाभकारी होता है. इसके उपयोग से वास्तुदोष निवारण हो सकता है, तो वहीं औषधि के रूप में भी उपयोग होता है.
मयूर शिखा पौधे के फायदे
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यह डेकोरेटिव पौधा है.
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इस पौधे से बाग-बगीचे और घर की सुंदरता बढ़ती है.
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यह पौधा वास्तुदोष निवारण में बहुत लाभदायक माना जाता है.
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इससे घर के भीतर की नकारात्मकता खत्म होती है.
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कहा जाता है कि इस पौधे को लगाने से पितृदोष का निवारण भी हो सकता है.
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इस पौधे का एक नाम दुष्टात्मानाशक भी है.
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यह घर में बुरी आत्माओं के प्रवेश को रोक सकता है.
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इसकी पत्तियां और फूल को सब्जी के रूप में भी इस्तेमाल किया जाता है।
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इस पौध का आयुर्वेद में बहुत उपयोग होता है.
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इसकी पत्तियां और फूल, सब्जी के रूप में भी प्रयुक्त होते हैं.
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