बेल वह वृक्ष है जो गांव और अंचलों के अतिरिक्त शहरों और महानगरों में भी बड़ी आसानी से उपलब्ध हो जाता है. इस वृक्ष को हम देख कर भी अनदेखा कर जाते हैं, परंतु बेल हमारे लिए बहुत ही महत्वपूर्ण और आवश्यक वृक्ष है. इस वृक्ष की धार्मिक महत्ता से तो कईं लोग परिचित हैं परंतु यह एक गुणकारी औषधि भी है यह बहुत कम लोग जानते हैं.
1. सुबह उठकर नित्यक्रिया के पश्चात इसका सेवन उत्तम माना जाता है.
2. नित्यक्रिया के पश्चात यदि कुछ गंदगी पेट के भीतर रह जाती है तो यह उसे निकालने में सक्षम है.
3. इसके अधिकतम 3 पत्ते ही एक दिन में लेने चाहिए। पत्तों को अच्छी तरह धो लेना चाहिए फिर दांतों से चबाना चाहिए ताकि इसका रस अच्छी तरह से निकल आए और अंत में इसे खा लेना चाहिए.
4. इसके अलावा जो पेट के महत्वपूर्ण एन्ज़ायम होते हैं यह उन्हें तंदरुस्त रखने में मदद करते हैं.
5. पेट के भीतर आंतों, पैनक्रियाज़ को स्वस्थ रखने में यह उत्तम औषधि है.
6. पाचन क्रिया में सहायक किडनी और लीवर को यह हमेशा स्वस्थ रखता है.
कैसे और कब करें सेवन (How and when to consume)
किसी भी खाद्य सामग्री का औषधि के रुप में जब भी सेवन किया जाता है तो इस बात का ध्यान रखना आवश्यक होता है कि औषधि को कब, कितना और कैसे सेवन किया जाना चाहिए। चूंकि यह एक प्रकार की आयुर्वेद औषधि है इसलिए इसका उपयोग आसान है.
कैसे रहें सावधान (How to be careful)
बेल के पत्तों का सेवन करने के कुछ समय बाद ही दांत अच्छी तरह साफ करने चाहिए क्योंकि बेल के पत्तों में जो औषधिय गुण होते हैं उनमें से एक गुण दांतों को काला करता है। यदि एक लंबे समय तक बेल के पत्तों के सेवन के बाद दांतों की सफ़ाई न की जाए तो दांत काले होना शुरु हो जाते हैं।
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