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Diseases in Banana Crop: केला के प्रकंद सड़ने एवं पत्तियां पीली होने पर करें ये जरूरी काम

Diseases in Banana Crop: केले का जीवाणु विल्ट (प्रकंद सड़न) दुनिया भर में केले की खेती/Banana Farming के लिए एक गंभीर खतरा है. इसके प्रबंधन के लिए निवारक और नियंत्रण उपायों का संयोजन लागू करना आवश्यक है. रोग-प्रतिरोधी किस्मों का उपयोग शुरू करें और संक्रमण के जोखिम को कम करने के लिए अच्छी कृषि पद्धतियों का पालन करें. आपके केले के बागान पर इस विनाशकारी बीमारी के प्रभाव को कम करने के लिए नियमित निगरानी और प्रकोप की स्थिति में त्वरित कार्रवाई महत्वपूर्ण है. याद रखें कि प्रकंद सड़न से निपटने और अपनी केले की फसल/Kele ki Fasal की सुरक्षा के लिए एक समग्र और एकीकृत दृष्टिकोण सबसे प्रभावी तरीका है.

डॉ एस के सिंह
डॉ एस के सिंह
केले की फसल में लगने वाले रोग , सांकेतिक तस्वीर
केले की फसल में लगने वाले रोग , सांकेतिक तस्वीर

यह एक केला का घातक जीवाणु जनित बिमारी है. इस रोग की उग्रता केला की रोपाई के 3-4 महीने में ज्यादा देखने को मिलता है. इसका रोग कारक एरविनिया कैरोटोवोरा नामक जीवाणु है. यह रोग नए प्रकंद पर अधिक स्पष्टता से दिखाई देता है, प्रकंद के सड़ने से दुर्गंध निकलती है. प्रकंद के सड़ने की वजह से पत्तिया पीली हो जाती  है, बाद में पूरा पौधा अचानक सूख जाता है. यदि प्रभावित पौधों को बाहर निकाला जाता है तो यह क्राउन क्षेत्र से मिट्टी में अपनी जड़ों के साथ निकल जाता है. यह रोग बौनी प्रजाति के केलो में ज्यादा खासकर ग्रैंड नैन में ज्यादा देखने को मिलता है. जब प्रभावित पौधों को कॉलर क्षेत्र में खुले रूप से काटा जाता है तो पीला रंग  लाल रंग में दिखाई देता है. सड़ा हुआ सकर दुर्गंध का उत्सर्जन करता है. रोग संक्रमित पौधे के मलबे, पौधे के घाव और चोटों से फैल सकता है. भारी बारिश के साथ गर्म और नम मौसम बीमारी होने का कारण बनता है.  बैक्टीरिया को पौधे में प्रवेश करने के लिए पानी की आवश्यकता होती है.

यह रोग केला की घातक बिमारी पनामा विल्ट से बहुत मिलता है,जिसकी वजह से इस बिमारी को पहचानना मुश्किल हो जाता है.इस रोग से आक्रांत पौधों के हिस्से मुलायम हो जाते है एवम् उसमे से पानी निकलते है.आभासी तने को काटने पर अंदर का भाग भुरा दिखाई देता है तथा  अंगुठा से दबाने से पानी निकलता है.

प्रकंद सड़न रोग के लक्षण

प्रकांड सड़न रोग की वजह से केला में निम्नलिखित लक्षण दिखाई देता है यथा मुरझाना  पहला ध्यान देने योग्य लक्षण नई पत्तियों का मुरझाना है, जो सिरे से शुरू होता है और पत्ती के नीचे बढ़ता है.

पत्तियों का पीला पड़ना

 जैसे-जैसे रोग बढ़ता है, पत्तियाँ पीली, फिर भूरी हो जाती हैं और अंततः मर जाती हैं. यह पौधे के भीतर पानी और पोषक तत्वों के परिवहन में व्यवधान के कारण होता है.

रुका हुआ विकास

प्रभावित पौधों का विकास रुका हुआ दिखता है, फल के गुच्छे छोटे और कम होते हैं.

आंतरिक संवहनी मलिनकिरण

जब आप स्यूडोस्टेम (केले के पौधे का मुख्य तना) काटते हैं, तो आप संवहनी ऊतक में भूरा-काला मलिनकिरण देख सकते हैं.

फलों का सड़ना

संक्रमित गुच्छे समय से पहले सड़ सकते हैं, जिससे वे उपभोग या बिक्री के लिए अनुपयुक्त हो जाते हैं.

प्रकंद सड़न रोग का प्रबंधन कैसे करें?

प्रकंद सड़न के प्रभावी प्रबंधन में निवारक और नियंत्रण उपायों का संयोजन शामिल है. केले की फसल पर इस रोग के प्रभाव को कम करने के लिए एकीकृत दृष्टिकोण अपनाना आवश्यक है.

रोग प्रतिरोधी किस्मों का प्रयोग करें

रोग प्रतिरोधी केले की किस्मों का रोपण सबसे प्रभावी दीर्घकालिक रणनीति है. केले की कई किस्में इस रोग के प्रति प्रतिरोध प्रदर्शित करती हैं . अपने क्षेत्र के लिए उपयुक्त प्रतिरोधी किस्मों की पहचान करने के लिए स्थानीय कृषि अधिकारियों या विश्वविद्यालयों से परामर्श करें.

संगरोध उपाय

अपने केले के बागान में संक्रमित रोपण सामग्री को आने से रोकें. नए पौधों को रोपने से पहले जीवाणु की उपस्थिति का निरीक्षण और परीक्षण करें.

फसल चक्र

मिट्टी में रोगज़नक़ों के संचय को कम करने के लिए फसल चक्र अपनाएं. एक ही स्थान पर लगातार केले लगाने से बचें. रोग चक्र को तोड़ने के लिए गैर-मेज़बान फसलों के साथ चक्रावर्तन करें.

स्वच्छता

अपने बागान में अच्छी स्वच्छता  बनाए रखें. संक्रमित पौधों को तुरंत हटाएँ और नष्ट कर दें. इसके अलावा, किसी भी जंगली केले के पौधे को हटा दें और नष्ट कर दें जिसमें जीवाणु हो सकते हैं.

मृदा स्वास्थ्य प्रबंधन

उचित जल निकासी, कार्बनिक पदार्थ समावेशन और संतुलित पोषक तत्व प्रबंधन के माध्यम से मिट्टी के स्वास्थ्य को बढ़ावा देना. स्वस्थ मिट्टी केले के पौधों की बीमारियों की संवेदनशीलता को कम करने में मदद करती है.

बायोकंट्रोल एजेंटों का प्रयोग करें

कुछ लाभकारी सूक्ष्मजीव, जैसे स्यूडोमोनास फ्लोरोसेंस और ट्राइकोडर्मा की विभिन्न प्रजातियां, रोग जनक जीवाणु के विकास को कम करने की क्षमता दिखाई है.स्यूडोमोनास फ्लोरेसेंस @ 1-2 लीटर प्रति पौधा (50 ग्राम / लीटर पानी को) 0 वें + 2 वें + 4 वें + 6 वें महीने रोपण के बाद) ड्रेंचिंग करना चाहिए.

रासायनिक नियंत्रण

प्रतिरोध विकास के जोखिम के कारण आम तौर पर रासायनिक उपचार की सिफारिश कम की जाती है. हालाँकि, गंभीर प्रकोप में, तांबा-आधारित जीवाणुनाशक अस्थायी राहत प्रदान कर सकते हैं. सकर के रोपाई से 30 घंटे पहले कॉपर ऑक्सीक्लोराइड (40 ग्राम दवा / 10 लीटर पानी) + स्ट्रेप्टोसाइक्लिन (3  ग्राम दवा / 10 लीटर पानी) के घोल में सकर को डुबाने के बाद ही रोपाई के लिए प्रयोग में लाते है ब्लीचिंग पाउडर @ 6g / पौधा (रोपण के बाद 0 वें + 1 + दूसरे + 3 वें महीने में) से ड्रेंचिग  करने से भी रोग की उग्रता में कमी आती है. किसी भी रसायन का उपयोग करने से पहले कृषि विशेषज्ञों से परामर्श लें. उपरोक्त उपाय करने से रोग की उग्रता में भारी कमी आती है.

जल प्रबंधन

अत्यधिक सिंचाई से बचें, क्योंकि अत्यधिक नमी जीवाणु विल्ट के विकास और प्रसार को बढ़ावा दे सकती है. जलभराव की स्थिति को रोकने के लिए उचित जल निकासी सुनिश्चित करें.

वेक्टर नियंत्रण

कुछ कीट जीवाणु को एक पौधे से दूसरे पौधे तक संचारित कर सकते हैं. इन रोगवाहकों के लिए नियंत्रण उपाय लागू करें, जैसे चिपचिपा जाल या कीटनाशकों का उपयोग करना.

शिक्षा और निगरानी

प्रकंद सड़न के लक्षणों को पहचानने के लिए खेत श्रमिकों और उत्पादकों को प्रशिक्षित करें. प्रकोप का शीघ्र पता लगाने और तत्काल कार्रवाई करने के लिए एक निगरानी प्रणाली स्थापित करें.

English Summary: What to do if the rhizome of banana starts rotting and leaves start turning yellow Published on: 21 August 2024, 12:04 IST

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