बागवानी करना व फलों के पेड़ों को लगाना एक बहुत ही अच्छा पेशा है. कई लोगों का यह शौक तो कई लोगों का यह आय का ज़रिया भी है. लेकिन इस पेशे में कई सारी समस्याओं का सामना करना पड़ता है उनमें से एक है पेड़ों के पुराने होने पर फल न देना. इस समस्या पर गौर करें तो हमें देखने को मिलता है कि कोई भी किसान या आम इन्सान फलों का पेड़ लगाता है तो एक तय समय के बाद उनमें फल आना बंद हो जाते हैं और वो पेड़ सिर्फ एक साधारण से पेड़ बनकर रह जाते हैं.
इसके बाद बगवानी करने वाला व्यक्ति उन पेड़ों को या तो काट देता है या निराश होकर बागवानी करना ही छोड़ देता है. लेकिन इजराइल ने इस समस्या का समाधान करने के लिए एक तकनीक का विकास किया है जिसके द्वारा पेड़ को बिना काटे ही उसको पुनर्जीवित किया जा सकता और फलों का आनंद दुबारा से लिया जा सकता है.
बागवानी की नई तकनीक से जुड़े कुछ तथ्य इस प्रकार हैं
आसानी से उपलब्ध है यह तकनीक
किसी भी बागवानी केंद्र से आप इस तकनीक को प्राप्त कर सकते हैं. और इस तकनीक के ज़रिये पेड़ों को ठीक करवा सकते हैं.
तकनीक में आने वाली लागत
इस इज़रायली तकनीक के ज़रिये पेड़ों को दुबारा फल देने योग्य बनाने में प्रति पेड़ पर 800 रूपये का खर्चा होता है. लेकिन बजाय इसके बाद आपके पेड़ के फल न देने की समस्या का निदान हो जयेगा.
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आम के पेड़ों पर चल रहा है इसका प्रयोग
इंडो-इस्राइइल के सहयोग से स्थापित सब्जी उत्कृष्टता केंद्र में इस तकनीक की मदद से 30 से 40 वर्ष पुराने आम के पेड़ों को नया जीवन दिया जा रहा है. विशेषज्ञों के मुताबिक इस तकनीक से पुराने फलदार पेड़ की कुछ शाखाओं को 6 से 7 फुट की ऊंचाई पर काट दिया जाता है. पेड़ के कटे हिस्सों पर कोपर आक्सिलोराइड और चूने का लेप लगाया जाता है. और कुछ दिनों बाद कनोपी मैनेजमेंट के जरिये पेड़ से नई स्वस्थ शाखाएं निकल आती हैं. एक वर्ष बाद पुराना पेड़ नए पेड़ में बदल जाता हैं और फल देने लगता हैं.
एक वर्ष में डेढ़ गुना ज़्यादा फल देगा पेड़
डॉ. सत्येंद्र यादव के अनुसार rejuvenation तकनीक में पेड़ की कटिंग तेजधार ब्लेड से की जाती है. क्योंकि कुल्हाड़ी से काटने पर पेड़ में घाव बनने का खतरा रहता है. यह तकनीक आम, आडू, अमरूद और बेर जैसे मोटे तने वाले पेड़ों में ही प्रयोग की जा सकती है. rejuvenation से एक वर्ष में पेड़ फल देने लगता है और उत्पादन डेढ़ गुना अधिक हो जाता है. किसान को नया बाग लगाने की जरूरत नहीं पड़ती है. इजराइल में बेकार एवं पुराने पेड़ों के लिए इसी तकनीक का प्रयोग किया जाता है.
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