फूलों पर कीटों का प्रभाव सबसे अधिक रहता है. इन कीटों को कई बार पहचान या देख पाना संभव नहीं होता. क्योंकि, आकार में ये बहुत छोटें एवं मिट्टी में रहकर पौधों को नुकसान पहुंचाते हैं. आपके कठिन परश्रिण पर ये कीट पलभर में पानी फेर सकते हैं. ऐसे में ये जरूरी है कि आप इन कीटों के बारे में जाने एवं फूलों की सुरक्षा के लिए समय रहते सावधानी बरतें. चलिए आपकों बतातें हैं फूलों को प्रभावित करने वाले कुछ प्रमुख कीटों के बारे में.
दीमक
दीमक को सफेद चींटी भी कहा जाता है. हालांकि ना तो दीमक सफेद होते हैं और ना ही चींटी. ये एक छोटा कीट होता है जो देखने में हल्के पीले या भूरे रंग का प्रतित होता हैं और असिंचित या कम सिंचाई वाले क्षेत्रों में आक्रमण करता है. यह कीट बड़े ही सफाई से पौधों की जड़ों को प्रभावित करता हुए उन्हें खत्म कर देता है. इनके प्रकोप से पौधे अंततः मुरझाकर सूख जाते हैं.
उपाय
दीमक से पौधों को बचाना आसान है. सबसे पहले पौधों के चारों निकाई-गुड़ाई करें और समुचित सिंचाई का प्रबंध करें. पौधों की रोपने से पहले करंज की खल्ली एवं लिन्डेन धुल उपयोग कर सकते हैं. वैसे जरूरत पड़े तो क्लोरपारीफॉस ट्राल आक्रान्त जगहों पर सिंचाई कर सकते हैं.
चेफर भृंग
गुलाब की खेती करने वालों को इस कीट से अधिक सावधान रहने की जरूरत है. ये मुख्य तौर पर गुलाब के पौधों को अपना शिकार बनाते हैं. देर शाम के बाद ये कीट पत्तियों, कलियों, फूलों के साथ कोमल भागों को खाना शुरू कर देतें है.
उपाय
15 दिनों के अंतराल पर क्वीनालफॉस तरल या क्लोरपारीफॉस का उपयोग करें. संध्या के समय कीटों को नियंत्रित करने के लिए नीम सीड करनल एक्सट्रैक्ट का उपयोग कर सकते हैं.
छेदक कीड़े
ये कीट प्राय हर तरह के फूलों को अपना शिकार बनाते हैं, इसलिये इन्हें रोकना जरूरी है. इस कीट बड़ी ही चतुराई से कलियों में छेदकर फूलों को खत्म कर देती है. इनकी एक प्रजाती तना क्षेदक तना एवं शाखाओं को नुकसान पुहंचाते हुए उसे अंदर से एकदम खोखला कर देती है.
उपाय
इनको नियंत्रित करने के लिए क्लोरपारीफॉस तरल या लैम्बड़ा सिहालोथ्रिन का उपयोग किया जा सकता है. अगर आप चाहें तो बायोलेप या हाल्ट कीटनाशक का भी प्रयोग कर सकते हैं.
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