1. Home
  2. बागवानी

ये हैं मांसाहारी पौधे जो खाते है कीट

कीटहारी जंतुओं की भांति कई तरह के पौधे ऐसे होते हैं जो मांसाहारी पादप होते है। इनकी कुल 500 प्रजातियां पाई जाती है जिनमें से 30 जातियां भारत में पाई जाती है। ये मांसाहारी पादप ऐसे स्थानों पर पनपते है जहां पर नाइट्रेट का अभाव रहता है। जीवन के लिए प्रोटीन आवश्यक हैं और इसको प्राप्त करने के लिए पौधों को नाइट्रोजन की आवश्यकता होती है। नाइट्रोजन के लिए ये पौधे निकट आने वाले कीड़ों का भक्षण करते है जिससे इनको भोजन प्राप्त होता है। ऐसे ही कुछ पौधे निम्नलिखित हैः

किशन
किशन

कीटहारी जंतुओं की भांति कई तरह के पौधे ऐसे होते हैं जो मांसाहारी पादप होते है। इनकी कुल 500 प्रजातियां पाई जाती है जिनमें से 30 जातियां भारत में पाई जाती है। ये मांसाहारी पादप ऐसे स्थानों पर पनपते है जहां पर नाइट्रेट का अभाव रहता है। जीवन के लिए प्रोटीन आवश्यक हैं और इसको प्राप्त करने के लिए पौधों को नाइट्रोजन की आवश्यकता होती है। नाइट्रोजन के लिए ये पौधे निकट आने वाले कीड़ों का भक्षण करते है जिससे इनको भोजन प्राप्त होता है। ऐसे ही कुछ पौधे निम्नलिखित हैः
1. मक्खाजालीः यह पौधा तालाब के किनारे पाया जाता है। इस पौधे में 25 गोलाई में लगी पत्तियां होती है। इस पर करीब 200 संवेदक छोटे-छोटे बाल होते हैं. जिनकी चोटी पर एक चमकीला पदार्थ स्रवावित होता है। ये पौधा कीड़ों को आकर्षित करता है। कीड़ा इसे मधु समझकर जैसे ही पत्ते पर बैठता है, संवेदक बाल चौकन्ने हो जाते हैं और मुड़कर कीड़े को पकड़ना शुरू कर देते हैं तथा पत्ते के निचले भाग में उसे खींचकर ले जाते हैं। अब पत्ते से एक पाचक रस निकलता है जो कीड़े के मांस को घोल देता हैं। इसे फिर पौधे चूस लेते हैं।

2. ब्लैडरवटरः यह बारीक पत्तों वाला जड़रहित पौधा होता है जो कि तालाब में तैरते हुए पाया जाता है। इसकी कुछ पत्तियां तैरती हुई ब्लैडर के आकार की हो जाती है। प्रत्येक थैली के मुँह के पास एक द्वार रहता है जो केवल अंदर की ओर खुलता है। ब्लैडर के मुँह पर तीन संवेदक बाल रहते हैं। पानी में तैरता हुआ कीड़ा इन बालों के स्पर्श में आते ही ब्लैडर के अंदर ढकेल दिया जाताहै। द्वार बंद हो जाता है और ब्लैडर के अंदर कैद किया गया कीड़ा मर जाता हैं। पाचक द्रव द्वारा अब इस कीड़े के मांस का शोषण होता है।

3. सुंदरी का पिंजराः ये पौधा अमरीका में पाया जाता है। इस पौधे के पत्ते के ऊपरी भाग दो पल्लवों के आकार का होता है और बीच में एंजिसवाले भाग पर छह संवेदक बाल रहते है। कीड़ा मधु की तलाश में भटकता हुआ इन संवेदक बालों को स्पर्श करता है. दोनों पल्लव संवेदक कसकर बंद हो जाते है और आकर्षित कीड़ा इस पिंजरें में बंद हो जाता है। ग्रंथियों से निकला पाचक रस इस कीड़े को सोख लेता हैं। कीड़ा खत्म होने पर पिंजरा अपने आप ही आप खुल जाता है।

4. नेपेंथीसः इस पौधे में पत्ते का ऊपरी हिस्सा सुराही के आकार का होता है और इसके मुँह पर ढक्कन रहता है। सुराही की परिधि से एक तरल पदार्थ निकलता रहता है जो कीड़ों को आकर्षित करता है। बैठते ही कीड़ा अंदर फिसल जाता है और मर जाता है। सुराही के अंदर के बैक्टीरिया उसे सड़ाते हैं और तब वह पौधों द्वारा शोषित हो जाता है।

English Summary: These are carnivorous plants which eat insect Published on: 10 January 2019, 06:35 IST

Like this article?

Hey! I am किशन. Did you liked this article and have suggestions to improve this article? Mail me your suggestions and feedback.

Share your comments

हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें. कृषि से संबंधित देशभर की सभी लेटेस्ट ख़बरें मेल पर पढ़ने के लिए हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें.

Subscribe Newsletters

Latest feeds

More News