दुनिया भर में सेब की कुल 7,500 से अधिक किस्मों का पता लगाया जा चुका है. आज भी सेबों की नई किस्मों को लेकर तरह-तरह के प्रयोग हो रहे हैं. हालांकि सेबों में लाल सेब को सबसे अधिक लोकप्रिय माना गया है. लेकिन दुख की बात ये है कि आज ये लाल सेब तेजी से अपना अस्तित्व खो रहे हैं. बदलते हुए जलवायु और बढ़ते हुए प्रदूषण के कारण सेब की ये किस्म विलुप्ती के कगार पर है.
लाल सेबों का इतिहास
लाल सेबों के बारे में इतिहासकारों का अपना-अपना मत है. हालांकि कई इतिहासकारों का मानना है कि मध्य एशियाई पहाड़ी क्षेत्रों इन सेबों के मूल निवास थे. जहां से धीरे-धीरे ये चीन, भारत एवं अन्य देशों में पहुंचे.
इस वजह से गायब हो रहे हैं लाल सेब
आंकड़ों के मुताबिक दुनिया भर में लाल सेबों का उत्पादन तेजी से कम हो रहा है. इसका एक कारण ये भी है कि इनके जीन से छेड़छेड़ कर नई किस्में उगाई जा रही है. विशेषज्ञों के मुताबिक बदलता हुआ जलवायु भी लाल सेबों को नुकसान पहुंचा रहा है.
लाल सेबों की है खास मांग
पोषक तत्वों से भरपूर लाल सेब को सबसे आदर्श सेब माना जाता है. हर तरह की शारारिक एवं मानसिक कमजोरी को दूर करने में सक्षम इन सेबों को खाने की सलाह हर डॉक्टर देता है. आम सेबों के मुकाबले इनमे अधिक रेशा होता है. यही कारण भी है कि इसमें फाइबर की मात्रा भी अच्छी होती है. इसका सेवन पाचन तंत्र को सही रखता है. लाल सेब एक अच्छे एंटी ओक्सिडेंट हैं. इनका सेवन मधुमेह, कैंसर, और दिमाग से सम्बंधित परेशानियों को दूर करने में सहायक होता है. एनेमिया जैसी बीमारियों में ये आयरन की कमी को पूरा करता है. विशेषज्ञों के मुताबिक दिन में 2 से 3 लाल सेब खाना शरीर को स्वस्थ बनाये रखता है.
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