हम सभी अमरुद के बारे में तो बहुत अच्छे से जानते ही हैं. आज हम इसकी खेती को लेकर भी बहुत सी जानकारियों से परिचित हैं. लेकिन हम जिस अमरुद की चर्चा करने जा रहे हैं वह सामान्य अमरुद की श्रेणी से अलग है. और इतना ही नहीं इस अमरुद का रंग भी अन्य अमरुद से बिलकुल अलग है. तो चलिए जानते हैं इसके बारे में ख़ास बातें.
काला अमरुद
काले अमरुद की खेती भारत के उत्तरप्रदेश एवं मध्यप्रदेश में की जाती है. लेकिन अगर अन्य अमरूदों से इसकी तुलना करें तो यह बहुत ही कम मात्रा में उगाया जाता है. इस पौधे की सबसे ख़ास बात यह है कि काले रंग में यह अमरुद ही नहीं होता बल्कि इसके पत्ते और पेड़ में भी आपको कालिमा स्पष्ट रूप से दिखाई देगी. अगर हम इस अमरुद की कीमत की बात करें तो यह अन्य अमरूदों की अपेक्षा सबसे ज्यादा होती है.
पोषक तत्वों से होता है भरपूर
काले अमरुद में अगर हम पोषक तत्वों की बात करें तो यह एक औषधीय फल है. इसमें एंटीऑक्सीडेंट सबसे ज्यादा मात्रा में पाया जाता है. इसी के साथ अगर हम इसके अन्य तत्वों की बात करें तो इसमें विटामिन-ए, विटामिन-बी और विटामिन सी, कैल्शियम और आयरन के साथ ही अन्य मल्टीविटामिन और मिनरल्स होते हैं. एक तरह से हम कह सकते हैं कि यह अमरुद हमारे शरीर के लिए पूरी तरह से एक आयुर्वेदिक औषधि का काम करती है.
कैसे करते हैं इसकी खेती
इसकी खेती के लिए सबसे उपयुक्त समय ठण्ड का मौसम होता है. अगर आप मिट्टी की जांच करा कर इस पौधे को सही तरीके से बोते हैं तो यह 2 से 3 साल में ही आपको फल देने लगता है. सामान्य तौर पर इस पौधे के लिए सबसे उपयुक्त मिट्टी दोमट होती है. आप इनके 1 से 3 साल के पौधों में 10 से 20 किलो तक गोबर की खाद का प्रयोग कर सकते हैं. इसके साथ ही सिंगल सुपर फास्फेट 250 से 750 ग्राम और म्यूरेट ऑफ पोटाश 200 से 400 ग्राम का प्रयोग करना चाहिए.
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हम इनकी अच्छी वृद्धि के लिए यूरिया 50 से 250 ग्राम एवं जिंक सल्फेट 25 ग्राम प्रति पौधा का भी प्रयोग कर सकते हैं. इन सब के बाद भी अगर आपके अमरुद के पेड़ में फूल नहीं आ रहे हैं तो आप इसमें यूरिया या एथेफॉन-यूरिया स्प्रे की उच्च सांद्रता का प्रयोग करें. यह पौधों में एक प्रेरक का काम करता है.
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