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आम के पेड़ जब अचानक सूखने लगे तो करें ये काम, मिलेगी अच्छी पैदावार

आम का सेराटोसिस्टिस विल्ट रोग बिहार एवं उत्तर प्रदेश में आम उत्पादक किसानों के लिए एक बहुत बड़ा खतरा बन कर उभर रहा है, जिसके चलते आम के पेड़ अचानक मुरझाने, गिरने और शाखाओं के सूखने लगी है. इसके बचाव के लिए किसान को ये कुछ कार्य करने चाहिए.

डॉ एस के सिंह
डॉ एस के सिंह
आम के पेड़ (Image Source: Pinterest)
आम के पेड़ (Image Source: Pinterest)

बिहार में विगत कई सालों से आम उत्पादक किसान एक नई समस्या से दो चार हो रहे है. इस रोग में सर्वप्रथम आम की सभी पत्तियां या कोई डाल विशेष की सभी पत्तियां मुरझाई सी दिखाई देती है और देखते देखते पूरा पेड़ या पेड़ की कोई डाली सुख जाती है. यह रोग बरसात के समय या बरसात के बाद ज्यादा देखने को मिलता है. इस रोग का प्रमुख लक्षण है की सुखी हुई पत्तियां पेड़ पर महीनों लगी रहती है. इस रोग पर किए गए प्रारंभिक अनुसंधान में पाया गया की इस रोग का रोग कारक सेराटोसिस्टिस नामक कवक है. यह रोग आम के बागों को भारी नुकसान पहुंचा रहा है. बिहार एवं उत्तर प्रदेश में किसानों द्वारा आम के मुरझाने की घटनाओं में वृद्धि दर्ज की गई. चूंकि, पूर्व में आम के मुरझाने के संबंध में कोई व्यवस्थित अध्ययन नहीं किया गया था, इसलिए बिहार एवं उत्तर प्रदेश के प्रमुख आम उत्पादक क्षेत्रों में बीमारी को समझने में कठिनाई हो रही है.

इस रोग के प्रमुख लक्षण, अचानक मुरझाने, गिरने और शाखाओं के सूखने के रूप में प्रकट होते हैं. ज्यादातर मुरझाए हुए पेड़ों के तने से गोंद का गंभीर रिसाव देखा गया. रोग से प्रभावित टहनियों का काट कर देखने पर संवहनी ऊतकों का लाल-भूरे से गहरे भूरे या काले रंग का मलिनकिरण देखा गया.

भारत से आम के मुरझाने का रोग अभी हाल के वर्षो में ही रिपोर्ट किया गया है जबकि यह रोग पाकिस्तान और ओमान से पहले ही रिपोर्ट किया जा चुका है. आम का सेराटोसिस्टिस विल्ट रोग बिहार एवं उत्तर प्रदेश में आम उत्पादक किसानों के लिए एक बहुत बड़ा खतरा बन कर उभर रहा है. जिस बाग में इस रोग से कोई पेड़ सुख गया है, तो कुछ दिन के बाद फिर कोई दूसरा पेड़ सूखेगा, और इस प्रकार से बाग के दूसरे तीसरे पेड़ सूखेंगे. अतः संभव हो तो आक्रांत पेड़ के आसपास के सभी पेड़ों में निम्नलिखित उपाय करने चाहिए.

इस रोग के प्रबंधन के लिए आवश्यक है की रोग से आक्रांत आम के पेड़ के आसपास की मिट्टी को रोको एम (थियोफानेट मिथाइल) नामक फफुंदनाशक की 2 ग्राम मात्रा को प्रति लीटर पानी घोलकर इसी घोल से आम के पेड़ के आसपास की मिट्टी को खूब अच्छी तरह से भिगो दें. एक वयस्क पेड़ की मिट्टी को भीगाने के लिए कम से कम 15 से 20 लीटर दवा के घोल /पौधे की आवश्यकता पड़ती है.

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10 दिनों के बाद उपरोक्त प्रक्रिया को पुनः दोहराएं. बाग में सभी आम के पेड़ के आस पास के सभी पेड़ों को इस घोल से भीगना अत्यावश्यक है, अन्यथा कुछ दिन के बाद दूसरे आम के पेड़ मरना प्रारंभ करेंगे. पेड़ के मुख्य तने पर बोर्डो पेस्ट से पुताई भी करें.

English Summary: Mango trees Ceratocystis wilt disease may suddenly start drying up so do this Published on: 31 July 2024, 12:11 IST

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