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Banana Farming: केले की फसल में प्रकंद के गलने जैसे रोगों को कैसे करें प्रबंधित, पढ़ें पूरी जानकारी!

Banana Farming: संक्रमित पौधे आमतौर पर खराब जल निकासी वाली मिट्टी में भारी वर्षा के बाद ज्यादा देखे जाते हैं. यह रोग आजकल उत्तक संवर्धन द्वारा तैयार पौधे जब प्रथम एवं द्वितीय हार्डेनिंग के लिए ग्रीन हाउस में स्थानांतरित होते हैं, उस समय खूब देखने को मिल रहा है.

डॉ एस के सिंह
डॉ एस के सिंह
केले की फसल में प्रकंद के गलने जैसे रोगों को ऐसे करें प्रबंधित (Picture Credit - FreePik)
केले की फसल में प्रकंद के गलने जैसे रोगों को ऐसे करें प्रबंधित (Picture Credit - FreePik)

Banana Farming Tips: पेक्टोबैक्टीरियम हेड रोट नम उष्णकटिबंधीय में केले और केला की एक आम बीमारी है, जो केले और केले के पौधों के मृदु सड़ांध का कारण बनती है. जिसका मुख्य कारण मृदा में अत्यधिक नम का होना है, जिसकी वजह से प्रकंद भी सड़ने लगता है. संक्रमित पौधे आमतौर पर खराब जल निकासी वाली मिट्टी में भारी वर्षा के बाद ज्यादा देखे जाते हैं. यह रोग आजकल उत्तक संवर्धन द्वारा तैयार पौधे जब प्रथम एवं द्वितीय हार्डेनिंग के लिए ग्रीन हाउस में स्थानांतरित होते हैं, उस समय खूब देखने को मिल रहा है.

शीर्ष जीवाणु गलन (बैक्टीरियल हेड रोट) या प्रकंद गलन (राइजोम रोट) रोग को कैसे करें प्रबंधित?

रोग की उग्रता को कम करने के लिए निम्नलिखित करें उपाय...

स्वच्छता

बैक्टीरिया के प्रसार को रोकने के लिए संक्रमित पौधों और पौधों के मलबे को हटा दें और नष्ट कर दें. संक्रमित क्षेत्रों के पास नई फसलें लगाने से बचें.

फसल चक्रण (क्रॉप रोटेशन)

मिट्टी में रोगजनकों के निर्माण को कम करने के लिए केले की फसलों को गैर-मेजबान पौधों के साथ क्रमबद्ध करें.

स्वस्थ रोपण सामग्री

रोगजनक को फैलने से रोकने के लिए प्रतिष्ठित स्रोतों से रोग मुक्त रोपण सामग्री का उपयोग करें.

उचित जल निकासी

मिट्टी में जलभराव को रोकने के लिए अच्छी जल निकासी सुनिश्चित करें, जिससे बैक्टीरिया के पनपने के लिए अनुकूल परिस्थितियां बन सकती हैं.

भीड़भाड (घने) से बचें

केले के पौधों को बहुत करीब लगाने से नमी बढ़ सकती है और हवा का संचार कम हो सकता है, जिससे बैक्टीरिया के लिए अनुकूल वातावरण बन सकता है. पौधों के बीच उचित दूरी बनाए रखें.

चोटों से पौधों को बचाए

विभिन्न कृषि कार्य करते समय केला के पौधों को घावों से बचाना चाहिए क्योंकि घाव रोगज़नक़ों के लिए प्रवेश बिंदु के रूप में काम करते हैं.

अत्यधिक ऊर्वरक प्रयोग से बचें

अत्यधिक नाइट्रोजन उर्वरक केला के पौधों के नाजुक विकास को प्रोत्साहित करता है, जो संक्रमण के प्रति अधिक संवेदनशील होता है.

नियंत्रित सिंचाई

ऊपरी सिंचाई से बचें, जिससे पत्तियों और प्रकंदों पर पानी के छींटे पड़ सकते हैं. पत्तियों को सूखा रखने के लिए ड्रिप सिंचाई का प्रयोग करें.

जैविक नियंत्रण

कुछ लाभकारी सूक्ष्मजीव पेक्टोबैक्टीरियम कैरोटोवोरम का विरोध कर सकते हैं. रोगज़नक़ को दबाने के लिए बायोकंट्रोल एजेंटों का उपयोग करने पर विचार करें यथा स्यूडोमोनास फ्लोरेसेंस @ 50 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोलकर 1-2 लीटर प्रति पौधा रोपण के बाद 0 वें + 2 + 4 वें + 6 वें महीने में  देने से रोग को आसानी से प्रबंधित किया जा सकता है.

संगरोध उपाय

संभावित संक्रमण को रोकने के लिए नए पौध सामग्री को मुख्य रोपण क्षेत्र में लाने से पहले कुछ समय के लिए अलग रखें.

निगरानी

संक्रमण के किसी भी लक्षण, जैसे पानी से लथपथ घाव या दुर्गंध के लिए पौधों का नियमित रूप से निरीक्षण करें. शीघ्र पता लगाने से समय पर हस्तक्षेप में मदद मिलती है.

कॉपर-आधारित कृषि रसायनों का छिड़काव करें

निवारक उपाय के रूप में कॉपर-आधारित कवकनाशी का प्रयोग करें. ये छिड़काव बैक्टीरिया की वृद्धि को नियंत्रित करने में मदद करते हैं.

ग्रीन हाउस में रोग का प्रबंधन कैसे करें?

इस रोग के प्रबंधन के लिए ब्लाइटॉक्स 50@2ग्राम/लीटर+ स्ट्रेप्टोसाइक्लीन@1ग्राम/3लीटर पानी के घोल से पौधों के मिट्टी को खूब अच्छी तरह से भीगा दे एवं इसी घोल से छिड़काव करने से रोग की उग्रता में भारी कमी आती है. ब्लीचिंग पाउडर @ 6 ग्राम/पौधे (रोपण के 0वें + 1 + 2 + 3 + 3 + 4 वें महीने में प्रयोग करने से भी रोग की उग्रता में भारी कमी आती है.

केले के रोपाई के बाद रोग का प्रबंधन कैसे करें?

केला की रोपाई के लिए हमेशा स्वस्थ प्रकंद /पौधों का चयन करें. यदि संभव हो तो दो लाइनों के बीच सनई उगा कर रोपण के 5 वें महीने में उसी मिट्टी में दबा दें. याद रखें कि कई रणनीतियों का संयोजन वाला एक एकीकृत दृष्टिकोण शीर्ष सड़न या प्रकंद सड़न जैसी जीवाणु जनित बीमारियों के प्रबंधन में सबसे प्रभावी होता है. क्षेत्र-विशिष्ट अनुशंसाओं के लिए स्थानीय कृषि विस्तार सेवाओं या विशेषज्ञों से परामर्श करना एक अच्छा विचार है.

English Summary: manage diseases like rhizome rot in banana crop read full information Published on: 08 August 2024, 06:36 IST

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