आजकल हर अवसर पर फूलों का उपयोग सबसे ज्यादा किया जाता है, इसलिए बाजार में हर प्रकार के फूलों की मांग बढती जा रही है. बाजार में तरह-तरह के फूल मिलते है, इनमें से गुलाब के फूल को सबसे ज्यादा पसंद किया जाता हैं. खास तौर पर शादियों के समय में तो इनकी मांग बहुत ज्यादा की जाती है. इसी वजह से अब काफी किसानों ने गुलाब के फूलों की खेती करना शुरू कर दिया है. वैसे तो गुलाब का रंग गुलाबी होता हैं. लेकिन अब हमें कई रंग के फूल देखने को मिलते हैं.
गुलाब की खेती के लिए भूमि का चयन
इसकी खेती सभी प्रकार के मिट्टियों में की जा सकती है, अगर दोमट, बलुआर दोमट या फिर मटियार दोमट मिट्टी है, जिसमें ह्यूमस प्रचुर मात्रा हो, तो ऐसी मिट्टी अच्छी रहती है. जिसका पी एच मान करीब 5.3 से 6.5 तक उपयुक्त माना जाता है. साथ ही पौधों के लिए विकास हेतु छायादार या जल जमाव वाली भूमि नहीं होनी चाहिए. ऐसी जगह जहाँ पर पूरे दिन धूप हो आती है. छायादार जगह में पौधों का विकास ठीक से नहीं हो पाता है.
गुलाब के पौधों की किस्म का चयन
किसी भी फसल को बोने से पहले उस जगह के हिसाब से उसकी उत्तम किस्म का चयन करना होता है. हर फसल की अलग अलग जगहों के लिए कई किस्म होती है. वैसे ही गुलाब की कई अलग अलग किस्में हैं. जिनका हमें खेती करते वक्त सही से चयन करना चाहिए.
पौधे को तैयार करना
गुलाब की खेती करने वाली विधि को टी बडिंग कहा जाता है. इस विधि में जंगली गुलाब के पौधों की कलम जून या जुलाई में लगा दी जाती हैं. इन कलम को क्यारी में 15 सेंटीमीटर की दूरी पर लगाया जाता है. इसके बाद शाखाएं निकलने लगती है. जिन्हें हटा दिया जाता है. इनमें अच्छी किस्म के गुलाब की टहनी लगा दें और पोलीथिन में उन्हें ऊपर तक कसकर बांध दें. इसमें उर्वरक मिली मिट्टी भरी रहती है. इसके कुछ समय बाद इनमें टहनी निकल आती हैं. जिसके बाद अगस्त महीने तक ये पौधे रुपाई के लिए तैयार हो जाते हैं
गुलाब के पौधे को लगाने का समय और तरीका
गुलाब के पौधे का रोपण करते समय ख़ास ध्यान रखना चाहिए. सबसे पहले पौधे को भूमि से लगभग 15 सेंटीमीटर ऊपर लगा दें. पौधे की रुपाई करते टाइम पोलीथिन को काटकर हटा दें, ध्यान रखे कि पोलीथिन को हटाते समय पोलीथिन में भरी मिट्टी नहीं टूटनी चाहिए. इसके बाद खेत की मिट्टी को चारों तरफ से ठीक से दबा दें, लेकिन दूसरी कलम लगने वाली जगह को जमीन से थोड़ा बहार ही रखे. और पौधे की रुपाई के तुरंत बाद ही उसकी सिंचाई कर दें.
सिंचाई करने का तरीका
गुलाब की खेती में ध्यान रखें कि जब पौधे को खेतों में लगाये, तब उसकी सिंचाई भी कर दें. इसके बाद नई कलम को लगातार नमी देने के लिए उसकी सिंचाई करते रहे, लेकिन एक बात का विषेश ध्यान रहे कि खेत में पानी का भराव ना हो. अगर सर्दियों का वक्त है, तो सप्ताह में एक बार पानी ज़रुर लगे दें. तो वहीं अगर गर्मियों का वक्त है तो करीब 4 से 5 दिनों के अंतर में पौधों की सिंचाई करते रहे. इसके अलावा अगर आप गमलों में फूल उगा रहे है, तो हर साल इसके ऊपर की मिट्टी को करीब 2 से 3 इंच तक निकाल दें. इसकी जगह सड़ी हुई गोबर की देशी खाद भर दें.
गुलाब के फूलों की निराई-गुड़ाई
फूलों की ज्यादा से ज्यादा पैदावार करने के लिए पौधों की निराई-गुड़ाई करना जरूरी है. इसकी निराई-गुड़ाई नवम्बर के बाद से शुरू कर देनी चाहिए. इस दौरान कलम में से शाखाएं सबसे ज्यादा बनती है. जिससे नई शाखाएँ ज्यादा बने और जिससे पैदावार भी ठीक हो. पौधों को बार-बार पानी न दें. इससे जमीन भी कठोर होने लग जाती है. इस वजह से जड़ों तक हवा भी नही जा पाती. लेकिन निराई करने से हवा उचित मात्रा में पौधों को मिल पाती है. जिससे पौधे का विकास और भी अच्छे से होता है. इस वजह से पौधे की नवम्बर महीने के बाद जनवरी तक 3 से 4 बार निराई-गुड़ाई कर देनी चाहिए.
गुलाब के फूलों की तुड़ाई और छटाई
गुलाब की खेती में फूलों को तोड़ते वक्त याद रखें कि जब फूल की एक या दो पंखुडियां खिल जाए, तो फूल को पौधे से अलग कर दें. इसके लिए तेज़ धार वाले चाक़ू या ब्लेड का इस्तेमाल करें. फूल को काटने के तुरंत बाद पानी से भरे बर्तन में रख दें. अब उसे कोल्ड स्टोरेज में रख दें. इसका तापमान करीब 2 से 10 डिग्री तक होना चाहिए. इसके बाद फूलों की ग्रेडिंग की जाती है, जिसे कोल्ड स्टोरेज में ही पूर्ण किया जाता है. इसी को फूलों की छटाई भी कहा जाता है.
गुलाब के फूलों की पैदावार
गुलाब की खेती करके किसानों को काफी मुनाफ़ा होता है. आपको बता दें कि इसकी खेती करीब चार महीने में फूल देना शुरू कर देती है. एक एकड़ जमीन की बात करें, तो लगभग 30 से 40 किलो या इससे ज्यादा भी फूल मिल जाते हैं. जिनका बाज़ार भाव लगभग 50 से 70 रुपये प्रति किलो के हिसाब से होता है. एक पौधे से साल में लगभग 20 फूल से ज्यादा निकलते है. इस तरह साल में एक एकड़ से लगभग 200 से 300 क्विंटल फूल प्राप्त हो सकते हैं. जिनकी सालाना कमाई लगभग 15 से 20 लाख तक पहुँच सकती है.
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