स्वास्थ्य और पैदावार की दृष्टि से जामुन एक फायदेमंद फल है. इसकी खेती लगभग देश के हर राज्य में होती है. इसके पेड़ से 50 से 60 साल तक फल प्राप्त किया जा सकता है. वैसे इसे भारत के अलग-अलग क्षेत्रों में भिन्न-भिन्न नाम से जाना जाता है. कुछ जगहों पर इसे राजमन बोलते हैं तो कुछ क्षेत्रों में इसे जमाली भी कहा जाता है. हालांकि आमतौर पर हिंदी में इसे जामुन ही बोला जाता है.
जामुन की अच्छी पैदावार होने के बाद भी किसानों के लिए सबसे बड़ी चुनौती है, इसे कीटों से बचाना. अच्छे-भले पेड़ को भी कीट कुछ समय में नष्ट कर देते हैं. चलिए आज हम आपको इस वृक्ष पर लगने वाले कीटों के बारे में बताते हैं.
पत्ता जोड़ मकड़ी
पत्ता जोड़ मकड़ी जामुन के लिए खतरनाक है. इसके प्रभाव में आकर लबालब फलों से भरा पेड़ भी नष्ट हो सकता है. जामुन पर लगने वाला यह प्रमुख कीट भी है. इस के कारण जामुन की पैदावार धीरे-धीरे कम होने लग जाती है. वक्त रहते अगर इस कीट को न रोका जाए, तो यह अच्छी पैदावार को पूरी तरह से तबाह कर सकती है.
कैसे करें पहचान
इसको पहचानना आसान है. कीट के प्रभाव में आकर पत्तियां आपस में जुड़ने लग जाती हैं और सफ़ेद रंग के रेशों से घिर जाती हैं. धीरे-धीरे अधिकांश पत्तों एवं फलों पर भी ऐसे लक्षण आपको दिखाई देने लग जाते हैं. यह पके हुए फलों पर जल्दी आक्रमण करता है.
रोकथाम
इस रोग को सही समय पर उपचार के साथ रोका जा सकता है. रोकथाम कि लिए सबसे पहले इसकी प्रभावित खराब पत्तियों को एकत्रित कर जला देना चाहिए. उपचार हेतु इंडोसल्फान या क्लोरपीरिफॉस का छिड़काव कर सकत हैं.
पत्ती झुलसा रोग
पत्ती झुलसा रोग जामुन को बहुत जल्दी अपने प्रभाव में लेता है. जामुन को नष्ट करने में इसका अहम योगदान होता है. इस रोग के प्रभाव में आकर पेड़ों की पत्तियां आपस में झुलसना शुरू कर देती है. आमतौर पर यह रोग मौसम परिवर्तन के समय देखने को मिलता है. इस दौरान पेड़ों की पत्तियां भूरे पीले रंग की धब्बेदार हो जाती है.
रोकथाम
इस रोग से पेड़ को बचाने के लिए सुरक्षा के उपाय करने चाहिए. पौधों को उचित तापमान देने की कोशिश करें. रोकथाम के लिए एम-45 का छिड़काव भी कर सकते हैं.
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