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अगर आप किसान या बागवान हैं, तो आप इस बात को अच्छी तरह से जानते होंगे कि खेती या बागवानी (horticulture) में कई तरह की समस्याएं आती रहती हैं. इन्हीं में सबसे प्रमुख है फसल में लगने वाले कीट और रोग (plant diseases). जी हां, अगर आपने अपनी कड़ी मेहनत से कुछ उगाया है लेकिन पौधों में लगने वाले रोग और कीट का प्रकोप आपकी फसल पर पड़ता है, तो आपकी पूरी मेहनत पर पानी फिर सकता है. कई बार इसमें आपको उत्पादन कम मिलता है तो कई बार पूरी की पूरी फसल ही बर्बाद हो जाती है. ऐसे में इनसे छुटकारा पाना बहुत जरूरी है. इसी कड़ी में आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि आप अगर अनार की खेती करते हैं तो इनमें किस तरह के कीट और रोग लगते हैं. इसके साथ ही बताते हैं कि आप उनकी रोकथाम कैसे कर सकते हैं.
ये हैं अनार में लगने वाले कीट व रोग
माहू
कीट नई शाखाओं और फूलों से रस चूसते हैं. इसमें पत्तियाँ सिकुड़ जाती हैं.
रोकथाम- शुरुआत में प्रकोप होने पर प्रोफेनाफास-50 या डायमिथोएट-30की 2 मिली. मात्रा प्रति लीटर पानी में घोलकर छिड़कें.
दीमक
अनार के पौधों में शुष्क क्षेत्रों में जड़ों और तनों में दीमक का प्रकोप ज्यादा होता है. इससे पौधे सूख जाते हैं और विकास रुक जाता है.
रोकथाम- पौधों को लगाते समय प्रत्येक गड्ढे के भरावन मिश्रण में 50 ग्राम मिथाइल पैराथियान चूर्ण मिला दें. सिंचाई करते समय भी क्लोरापायरिफास कीटनाशक का छिड़काव करें.
अनार तितली
अनार की खेती में लगने वाली प्रौढ़ तितली उसके फूलों और छोटे फलों पर अण्डे देती है जिनसे इल्ली निकलकर फलों के अन्दर प्रवेश करके बीजों को खा जाती हैं.
रोकथाम- बागवान इसकी रोकथाम के लिए प्रभावित फलों को नष्ट कर दें. ऐसे में बेहतर होगा कि फलों को नेट या कपड़े से ढककर रखें. साथ ही एण्डोसल्फॉन 0.05 प्रतिशत के घोल का 15 दिन के अन्तराल पर 2-3 बार छिड़काव करें.
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तना छेदक कीट
इससे निकलीं इल्लियां पौधे की शाखाओं में छेद बनाकर उसे नुक्सान पहुंचाती हैं.
रोकथाम- इसके नियंत्रण के लिए बागवान छेदों में तार डालकर इनको नष्ट कर दें. तार के साथ ही पेट्रोल या मिट्टी का तेल भी रुई की मदद से इस्तेमाल किया जा सकता है. इसके साथ ही तने के छेद में न्यूवान (डी.डी.वी.पी.) की 2-3 मिली.की मात्रा छेद में डालकर उसे चूने या मिटटी से बंद कर दें.
छाल भक्षक
इसका प्रकोप पौधे की शाखाओं और तने की छाल पर दिखता है. इसमें पौधों का विकास रुक जाता है और है उत्पादन क्षमता कम हो जाती है.
रोकथाम- बागवान बागीचे से अतिरिक्त पौधों को हटाकर छेदों में पेट्रोल या मिट्टी का तेल रुई की मदद से डालकर उन्हीं बंद कर दें.
धब्बा रोग
अधिक नमी से पेड़ों की पत्तियों और फलों पर भूरे-काले धब्बे दिखाई देते हैं. इसके प्रकोप से पत्तियां झड़ने लगती है और फलों में भी सड़न शुरू हो जाती है.
रोकथाम- बागवान प्रभावित फलों को तोड़कर नष्ट कर दें. इसके साथ ही प्रकोप की स्थिति में कॉपर आक्सिक्लोराईड 4 ग्राम, मैन्कोजेब और जिनेब का 2 ग्राम प्रति लीटर पानी के साथ 15 दिन के अन्तराल पर छिड़काव करें.
बरुथी रोग
इसमें पत्तियां सिकुड़ने के बाद गिरने लगती हैं. इससे पौधों की प्रकाश संश्लेषण क्रिया पर बुरा असर पड़ता है. पौधों का विकास फलन प्रक्रिया रुक जाती है. वैसे सितम्बर में इस रोग की संभावना ज्यादा होती है.
रोकथाम- अनार के बागवान ओमाइट या इथियोल 2 मिलीलीटर प्रति लीटर पानी में घोलकर 15 दिन के अन्तराल पर छिड़कें.
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