कदम्ब एक प्रसिद्ध फूलदार वृक्ष है, जोकि अन्य पेड़ों की तरह काफी बड़े होते हैं। ये ग्रामीण क्षेत्रों में अधिक पाए जाते हैं। वैसे तो देश के कई स्थानों पर पाए जाते हैं लेकिन उत्तर भारत में इनकी कई प्रजातियां देखने को मिलती है। कदम्ब के वृक्ष की खास बात यह है कि इसमें अल्फाडीहाइड्रो कदम्बीन, ग्लैकोसीड्स एल्केलायड, आइसो- डीहाइड्रो कदम्बीन, बीटासिटोस्तीराल, क्लीनोविक एसिड, पेंतासायक्लीक, ट्रायटार्पेनिक एसिड, कदम्बाजेनिक एसिड, सेपोनिन, उत्पत्त तेल, क्वीनारिक एसिड आदि रासायनिक तत्वों की भरमार होती है, जिनकी वजह से कदम्ब देव वृक्ष की श्रेणी में आता है।
इसके अलावा यह अपने औषधीय गुणों की वजह से जाना जाता है। यह मनुष्यों और यहां तक कि पशुओं को भी तमाम तरह के गंभीर रोगों से मुक्ति दिलाता है। कृष्ण की लीलाओं से जुड़ा होने के कारण कदम्ब का उल्लेख ब्रजभाषा के अनेक कवियों ने किया है। इसके फूल खूशबूदार होते हैं, जिसका इत्र भी बनता है जो बरसात के मौसम में अधिक उपयोग में आता है।
कदम्ब के फायदे :
1. बदहजमी हो गयी हो तो कदम्ब की कच्ची कोंपलें 4-5 चबा लीजिये।
2. दिल की तकलीफों या नाडी डूबने की हालत में इसका रस 2 चम्मच पिला दीजिये।
3. इसकी पत्तियों के रस को अल्सर तथा घाव ठीक करने के काम में भी लिया जाता है।
4. आयुर्वेद में कदंब की सूखी लकड़ी से ज्वर दूर करने की दवा तथा मुँह के रोगों में पत्तियों के रस से कुल्ला करने का उल्लेख मिलता है।
5. यदि पशुओं को कोई रोग हो जाए तो इसके फूलों और पत्तियों को पशुओं को बाड़े में रखे, रोग नहीं फैलेगा।
6. चार सौ ग्राम पानी में कदम्ब के फल और पत्तियों के साथ उसकी छाल को 10-10 ग्राम मिलाकर काढ़ा बना लें। इसका सेवन सुबह शाम करें।
7. इसकी छाल को घिस कर बाहर से लगाने पर कनजक्टीवाइटिस ठीक हो जाता है।
8. इसके फलों का रस माँ के दूध को बढाता है।
9. चोट या घाव या सूजन पर इसके पत्तों को हल्का गर्म कर बाँधने से आराम मिलेगा।
10. बुखार न जा रहा हो तो कदम्ब की छाल का काढा दिन में दो- तीन बार पी लीजिए।
11. बदन पर लाल चकत्ते पड़ गये हों तो कदम्ब की 5 कोंपले सुबह-शाम चबाएं।
12. दस्त हो रहे हों तो कदम्ब की छाल का काढा पी लीजिए या छाल का रस 2-2 चम्मच।
13. फोड़े-फुंसी और गले के दर्द में कदम्ब के फूल और पत्तों का काढा बनाकर पीजिये।
14. खून में कोई कमी आ जाए तो कदम्ब के फल और पत्तों का 4 ग्राम चूर्ण लगातार एक महीना खा लीजिये।
आजकल वायरल बुखार घर-घर में पसरा हुआ है। बच्चे से लेकर बड़े तक हर कोई इसकी चपेट में आ रहा है। यूं तो इसके लिए डॉक्टर कई अच्छी दवा लिखते हैं लेकिन घरेलू उपचार इस रोग को सही करने में काफी हद तक कारगार हैं। वायरल बुखार, चिकनगुनिया और डेंगू का उपचार मौजूद है लेकिन लापरवाही बरतने पर यह जानलेवा भी हो सकता है। इनकी पहचान होते ही इसका इलाज जल्द से जल्द शुरू करना ही इनसे बचने का एकमात्र उपाय है।
गिरीश पाण्डेय, कृषि जागरण
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