Polytunnel Technique: भारत के किसान कम समय और कम लागत के साथ खेती से अधिक लाभ कमाने के लिए आधुनिक तकनीकों का सहारा ले रहें है, जिसमें अधिकतर किसान सफल भी हो रहे हैं. इन्हीं में से एक खेती की पॉलीटनल तकनीक है, जो आधुनिक कृषि क्षेत्र में क्रांति रही है. इस तकनीक के माध्यम से किसान प्रतिकूल मौसम में भी बेहतर उपज प्राप्त कर सकते हैं. यह एक संरचना है, जिसमें पॉलीथीन की शीट्स का उपयोग करके पौधों को बाहरी मौसम की प्रतिकूलताओं से बचाया जाता है. यह तकनीक न केवल उपज बढ़ाने में मदद करती है, बल्कि पानी और संसाधनों की बचत भी करती है.
आइये कृषि जागरण के इस आर्टिकल में जानें, पॉलीटनल तकनीक क्या है और इससे किसानों को क्या लाभ मिलते हैं?
क्या है पॉलीटनल तकनीक ?
पॉलीटनल तकनीक में एक ग्रीनहाउस जैसी संरचना बनाई जाती है, जिसमें पॉलीथीन शीट्स का उपयोग होता है. इस संरचना के अंदर का तापमान, नमी और प्रकाश का स्तर नियंत्रित किया जा सकता है, जिससे पौधों को उनकी आवश्यकता के अनुसार वातावरण मिलता है. पॉलीटनल का उपयोग सब्जियों, फलों, फूलों और औषधीय पौधों की खेती के लिए किया जाता है.
पॉलीटनल तकनीक के लाभ
- इस तकनीक की मदद से पौधों को अनुकूल वातावरण मलता है, जिससे उपज सामान्य खेती की तुलना में ज्यादा होती है.
- इस तकनीक के साथ पौधों को ठंड, गर्मी, वर्षा और ओलों से बचाया जा सकता है.
- पॉलीटनल तकनीक के साथ खेती करने पर जल और उर्वरकों की खपत कम होती है, जिससे खेती अधिक टिकाऊ बनती है.
- इस विधि के साथ खेती करने पर संरक्षित वातावरण में पौधों को रोग और कीटों से बचाया जा सकता है.
- पॉलीटनल के माध्यम से किसान किसी भी मौसम में खेती कर सकते हैं, जिससे उनकी आय में वृद्धि होती है.
किन फसलों के लिए उपयुक्त है पॉलीटनल ?
पॉलीटनल तकनीक का उपयोग मुख्य रूप से उन फसलों के लिए किया जाता है, जिनमें अधिक देखभाल की आवश्यकता होती है.
- टमाटर, शिमला मिर्च, खीरा और स्ट्रॉबेरी जैसी सब्जियां और फल.
- गुलाब, गेंदा और जरबेरा जैसे फूल.
- एलोवेरा और तुलसी जैसे औषधीय पौधे.
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