उत्तर प्रदेश के लखनऊ में कुछ किसानों ने एक सराहनीय कदम उठाया है. दरअसल किसानों ने पशु आश्रय केंद्रों की सहायता करने के बारे में सोचा और उनके काम में अपनी सहभागिता दिखाते हुए लगभग दो हज़ार मवेशियों को गोद लिया है. इसके साथ ही किसानों ने 18 पशु आश्रय केंद्रों की भी देखभाल की ज़िम्मेदारी लेने का फैसला किया है. इस तरह पशु आश्रय केंद्रों में जिन मवेशियों को रखा गया है, उनकी सही तरह से देखभाल इन किसानों के सहयोग से आसानी से की जाएगी. आपको बता दें कि मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक जिले के सीडीओ (Chief Development Officer) मनीष बंसल ने इस विषय में जानकारी दी.
जिले में हैं लगभग 12 हज़ार पशु
सीडीओ मनीष बंसल की मानें तो जिले में कई पशु आश्रय केंद्रों में लगभग 12, 000 हजार पशुओं की देखभाल की जा रही है. इस ठंड के मौसम में इन पशुओं की खास देखभाल के लिए भी लोगों को आश्वासन दिया गया है. इसके साथ ही सीडीओ ने पशुओं को ठंड से सुरक्षित रखने के लिए कोटेदारों से जूट के बोरे दान करने की अपील भी की है. आपको बता दें कि इस अपील के बाद कई कोटेदारों ने जूट के बोरे उपलब्ध भी कराए हैं. वैसे इन जूट के बोरों को तिरपाल के रूप में आश्रय केंद्रों को ढकने के लिए उपयोग में लाया जा रहा है. इसके साथ ही इन्हीं बोरों को पशुओं को पहनाया भी जा रहा है जिससे वे सभी शर्द हवाओं से बच सकें.
किस तरह से पशु आश्रय केंद्रों में अपने सहभागिता दिखा रहे हैं लोग?
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि जो लोग इन पशुओं की ज़िम्मेदारी लेने के लिए आगे आएं हैं, वो कई तरह से अपने काम को बखूबी निभा रहे हैं. जहाँ कुछ किसान पशुओं के लिए पराली उपलब्ध करा रहे हैं, तो वहीं कुछ किसान तिरपाल और जूट के बोरे या चटाइयां भी उपलब्ध करा रहे हैं. इतना ही नहीं, इस काम में गांव के प्रधान के साथ-साथ ब्लॉक प्रमुख तक लगे हुए हैं. साथ ही जिला पंचायत के सदस्य भी पशुओं की देखभाल को एक अच्छा कदम बताते हुए इसमें अपनी सहभागिता दिखा रहे हैं.
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