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भारत में ऊन के अच्छे उत्पादन के लिए भेड़ और बकरी दोनों का ही पालन किया जाता है. लेकिन सबसे ज्यादा ऊन भेड़ों से प्राप्त की जाती है. भारत में भेड़ों की कई नस्लें हैं और उनकी नस्ल के आधार पर ही उनका पालन किया जाता है. आज हम आपको भारत में पाई जाने वाली कुछ भेड़ों की नस्ल के बारे में विस्तार से बताने जा रहे हैं.

मेयनी भेड़ (Mehsana Sheep)
मेयनी भेड़ (Mehsana Sheep) गुजरात राज्य की एक प्रमुख भेड़ प्रजाति है. इस भेड़ का मुख्य विशेषता अच्छी क्वालिटी के दूध का उत्पादन करना है. यह भारत में ऊन के उत्पादन के लिए भी सबसे ज्यादा प्रसिद्ध है. इन्हें ऊन के लिए विशेष रूप से पाला जाता है और उनकी ऊन काफी मुलायम और महंगी होती है. मेयनी भेड़ का सामान्य वजन 40-60 किलोग्राम होता है. इसकी औसत ऊंचाई लगभग 60-70 सेंटीमीटर होती है. मेयनी भेड़ का शरीर आमतौर पर भूरे रंग का होता है, लेकिन अलग-अलग जगह इनके रंगों में विभिन्नताएं देखी जा सकती हैं. मेयनी भेड़ अन्नदाता भेड़ मानी जाती है. मेयनी भेड़ दूध, मांस, और ऊन के उत्पादन के लिए प्रसिद्ध है और इसे गुजरात राज्य के अलावा उत्तर प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा, पंजाब आदि राज्यों में भी पाला जाता है.

जत्ती भेड़ (Jattu Sheep)
यह भारत के उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा और राजस्थान राज्यों में पायी जाने वाली एक प्रमुख भेड़ प्रजाति है. यह भेड़ मुख्य रूप से दूध और मांस के उत्पादन के लिए पाली जाती है. जत्ती भेड़ का वजन आमतौर पर 45-50 किलोग्राम के आस-पास होता है. इसकी औसत ऊंचाई लगभग 70 सेंटीमीटर होती है. जत्ती भेड़ को ग्रामीण क्षेत्रों में चारा खिलाया जाता है. जत्ती भेड़ अच्छे दूध उत्पादक मानी जाती है. यह दिन में 1.5-2.5 लीटर दूध देती है. इसका शरीर आमतौर पर सफेद या गहरे भूरे रंग का होता है. जत्ती भेड़ पशुपालन के लिए महत्वपूर्ण है और इसे दूध, मांस और ऊन के उत्पादन के लिए व्यापक रूप से पाला जाता है.
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
मल्लनी भेड़ (Mallani Sheep)
यह भारत के राजस्थान राज्य के जैसलमेर और बाड़मेर जिलों में पाई जाती है. यह भेड़ मुख्य रूप से दूध, मांस और ऊन के उत्पादन के लिए पाली जाती है. इस भेड़ का वजन आमतौर पर 45-50 किलोग्राम के आस-पास होता है. इसकी औसत ऊंचाई लगभग 60-65 सेंटीमीटर होती है. यह भी डेढ़ से ढाई लीटर तक दूध देती है. मल्लनी भेड़ का शरीर आमतौर पर गहरे भूरे रंग का होता है. यह भेड़ कम चारा खाकर भी अच्छा वजन प्राप्त कर सकती है.

लोही भेड़ (Lohi Sheep)
यह भी भारत के राजस्थान राज्य में पाई जाने वाली एक प्रमुख भेड़ प्रजाति है. इसे गुजरात और पंजाब राज्यों में भी देखा जा सकता है. लोही भेड़ भी भारत में ऊन के उत्पादन के लिए प्रमुख रूप से जानी जाती है. इनकी दूध उत्पादन की क्षमता अच्छी होती है और इनकी ऊन काफी गर्म होती है. लोही भेड़ का वजन पुरुष भेड़ों में लगभग 60-70 किलोग्राम तक और मादा भेड़ों में लगभग 40-50 किलोग्राम तक होता है. इसकी औसत ऊंचाई पुरुष भेड़ों में लगभग 70 सेंटीमीटर और मादा भेड़ों में लगभग 60 सेंटीमीटर होती है.
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लोही भेड़ का शरीर आमतौर पर गहरे भूरे रंग का होता है. यह कम चारा खाकर भी अच्छा वजन प्राप्त कर सकती है.
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