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Sheep Farming: ये भेड़ें 5 किलो सालाना ऊन का करती हैं उत्पादन, जाने इनके नाम, पहचान और विशेषताएं

भेड़ों का पालन ऊन, मांस और दूध के लिए किया जाता है. आज हम आपको भेड़ों की कुछ ख़ास नस्लों के बारे में जानकारी देने जा रहे हैं, जिनके नाम गद्दी, दक्कनी, मांड्या, नेल्लोर और मारवाड़ी भेड़ हैं.

प्रबोध अवस्थी
प्रबोध अवस्थी
These sheep produce 5 kg of wool annually (Photo Source: Google)
These sheep produce 5 kg of wool annually (Photo Source: Google)

किसान भेड़ों का पालन अपने मोटे मुनाफे के साथ ही अपनी दैनिक जरूरतों को पूरा करने के लिए करते हैं. लेकिन भेड़ पालन से पहले इनकी नस्लों के बारे में जानकारी कर लेना जरूरी होता है. भेड़ों में भी बहुत सी नस्ल ऐसी होती हैं जो ज्यादा कीमत की ऊन का उत्पादन करने के साथ ही दूध और मांस का भी उत्पादन के लिए पाली जाती हैं.

आज हम आपको भेड़ों की कुछ ख़ास नस्ल गद्दी, दक्कनी, मांड्या, नेल्लोर और मारवाड़ी भेड़ के बारे में जानकारी देने जा रहे हैं. हम आपको इनकी पहचान के साथ में इनकी विशेषताओं की जानकारी भी उपलब्ध करायेंगे. तो चलिए इनके बारे में विस्तार से जानते हैं-

Gaddi Sheep (Photo Source: Google)
Gaddi Sheep (Photo Source: Google)

गद्दी भेड़

ये भेंड आकार में छोटी होती हैं और जम्मू के विभिन्न हिस्सों में पाए जाते हैं. इस नस्ल को पालने का मुख्य उद्देश्य ऊन है. इनमें नर भेड़ के सींग होते हैं और मादा सींग रहित होती हैं. इस नस्ल का ऊन चमकदार होती है और प्रति भेड़ से औसतन 1.15 किलोग्राम वार्षिक उपज की जा सकती है, जिसे आमतौर पर साल में तीन बार काटा जाता है.

Dakkan Sheep (Photo Source: Google)
Dakkan Sheep (Photo Source: Google)

दक्कनी भेड़

यह नस्ल राजस्थान, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और तमिलनाडु में पाई जाती है. इन भेड़ों को ऊन और मटन दोनों के उत्पादन के लिए पाला जाता है. भेड़ की यह नस्ल भूरे और काले रंग की होती है. ये भेड़ें ऊन उत्पादन के लिए अच्छी हैं, इसलिए प्रति भेड़ लगभग 5 किलोग्राम वार्षिक ऊन उपज देती हैं. यह ऊन निम्न गुणवत्ता का होता है, जो मुख्य रूप से बालों और रेशों के मिश्रण से बना होता है, और इसका उपयोग मुख्य रूप से मोटे कंबल बनाने के लिए किया जाता है.

Mandya Sheep (Photo Source: Google)
Mandya Sheep (Photo Source: Google)

मांड्या भेड़

ये अधिकतर कर्नाटक के मांड्या जिले में पाए जाने वाली नस्ल है. यह सफ़ेद रंग की लेकिन कभी-कभी हल्के भूरे मुंह के साथ भी पाई जाती है. इस नस्ल का अकार छोटा होता है. नर भेड़ का औसत वजन लगभग 35 किलोग्राम होता है , जबकि मादा भेड़ का वजन लगभग 25 किलोग्राम होता है. अन्य भारतीय किस्मों में भेड़ की यह नस्ल सर्वोत्तम मांस उत्पादन के लिए जानी जाती है.

Nellor Sheep (Photo Source: Google)
Nellor Sheep (Photo Source: Google)

नेल्लोर भेड़

यह नस्ल मुख्य रूप से आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के कुछ हिस्सों में पाई जाती है. ये छोटे बालों के साथ आकार में लम्बे होते हैं. यह नस्ल भारत की अन्य सभी नस्लों में सबसे ऊंची है और दिखने में बकरी के समान है. इस भेड़ की नस्ल के कान लंबे और झुके हुए होते हैं. नर भेड़ का औसत शारीरिक वजन 36-38 किलोग्राम होता है जबकि मादा भेड़ का वजन अच्छे फार्म प्रबंधन के साथ 28-30 किलोग्राम हो जाता है. इस नस्ल का चेहरा लंबा, कान लंबे होते हैं और शरीर घने छोटे बालों से ढका होता है. इस नस्ल की अधिकतर भेड़ें लाल रंग की दिखाई देती हैं, इसीलिए लोग इन्हें नेल्लोर रेड कहते हैं.

Marvadi Sheep (Photo Source: Google)
Marvadi Sheep (Photo Source: Google)

मारवाड़ी भेड़

इस भेड़ की नस्ल के पैर लंबे, काला चेहरा और उभरी हुई नाक होती है. पूंछ छोटी एवं नुकीली होती है. यह नस्ल मुख्य रूप से राजस्थान के जोधपुर और जयपुर जिलों के कुछ हिस्सों में पाई की जाती है. ये भेड़ें उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश के कुछ जिलों और महाराष्ट्र के कुछ हिस्सों में भी पाई जाती हैं. 

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प्रत्येक भेड़ से एक वर्ष के लिए औसत ऊन लगभग 1-1.25 किलोग्राम अनुमानित है.

English Summary: these sheep produce 5 kg of wool annually know their names identity and characteristics Published on: 26 October 2023, 06:28 IST

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