राजस्थान इन दिनों देशभर में अपने कार्य के चलते एक अलग पहचान बना रहा है. कुछ दिनों पहले ही प्रदेश ने दुग्ध उत्पादन एवं ऊन उत्पादन (wool production) में राज्य ने इतिहास रचा है. इसी के साथ राजस्थान दुग्ध एवं ऊन उत्पादन (Rajasthan Milk and Wool Production) में भारत में सबसे प्रथम स्थान प्राप्त किया. इतना ही नहीं राज्य अब शीघ्र ही उन्नत पशुपालन के क्षेत्र में सर्वोच्च स्थान यानी पहले नंबर पर होगा. बताया जा रहा है कि प्रदेश में देशी ऊन के उपयोग से भेड़ पालकों के आय साधनों में बढ़ोतरी की जाएगी.
राज्य में उन्नत नस्लीय पशुधन में होगी बढ़ोतरी
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि पशुपालन विभाग के शासन सचिव कृष्ण कुणाल का कहना है कि प्रदेश में नस्ल सुधार में किये जा रहे प्रयास और पशुपालन के क्षेत्र में चलायी जा रही कल्याणकारी योजनाओं (Welfare Schemes) के चलते वर्तमान समय में ऊन उत्पादन में देशभऱ में पहले स्थान पर बना हुआ है. साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि विभाग एवं राज्य सरकार बेहतर पशुपालन की दिशा में लगातार कार्य कर रहे हैं. पशुपालन के क्षेत्र में स्टार्टअप एवं रोजगार के नए साधन विकसित किए जा रहे हैं. इसी के परिणामस्वरूप आज प्रदेश में पशुपालकों की आय में वृद्धि के साथ उन्नत नस्लीय पशुधन (Improved Breed Livestock) में वृद्धि हो रही है. देखा जाए तो राज्य उन्नत पशुधन की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है.
इस मौके पर कुणाल ने बताया कि देशी ऊन का उपयोग कर संस्थान द्वारा विभिन्न उत्पाद तैयार किये जा रहे हैं. उनकी मार्केटिंग की जा रही है, जिससे राज्य को देशी ऊन उत्पादों में अपनी एक विशेष पहचान हासिल हो सके. ताकि प्रदेश के भेड़ पालकों के लिए रोजगार के अवसर एवं आय के विभिन्न साधन विकसित हो सकें.
ऊन उत्पादन में प्रथम स्थान पर राजस्थान (Rajasthan ranks first in wool production)
केंद्रीय पशुपालन विभाग के विभागीय वार्षिक आकड़ों के मुताबिक, राजस्थान 45.91 प्रतिशत ऊन उत्पादन के साथ प्रथम स्थान पर है. वहीं ऊन उत्पादन में प्रमुख पांच राज्य यथा राजस्थान (45.91 प्रतिशत), जम्मू एवं कश्मीर (23.19 प्रतिशत), गुजरात (6.12 प्रतिशत), महाराष्ट्र (4.78 प्रतिशत), एवं हिमाचल प्रदेश (4.33 प्रतिशत) हैं.
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देशी ऊन से कमाई (Earning from Native Wool)
देशी ऊन (Native Wool) गर्म कपड़े, कार्पेट एवं पैकेजिंग सामग्री एवं बिल्डिंग सामग्री के साथ बायो फ़र्टिलाइज़र के रूप में भी मुख्य अवयव के रूप में उपयोग में आती है. इसके अलावा इन ऊनों से कई तरह के कार्य भी किए जाते हैं. बता दें कि भारतीय बाजार में देशी ऊन को लगभग 30-40 रुपए तक बेचा जाता है. ऐसे में पशुपालकों के लिए देशी ऊन का बिजनेस कमाई का सबसे अच्छा साधान है.
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