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300 रूपये लीटर है इस पशु के दूध की कीमत

जिले के सादड़ी में 23 साल पहले देश की पहली कैमल मिल्क डेयरी की शुरुआत करने वाले लोकहित पशुपालक संस्था व केमल करिश्मा सादड़ी के निदेशक हनुवंत सिंह राठौड़ ने बताया कि सादड़ी और सावा की ढाणी के ऊंटों के दूध पर लंबे समय से शोध चल रहा है.

KJ Staff
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camel
Animal Milk

चित्तौड़गढ़/पाली(राजस्थान)जिले के सादड़ी में 23 साल पहले देश की पहली कैमल मिल्क डेयरी की शुरुआत करने वाले लोकहित पशुपालक संस्था व केमल करिश्मा सादड़ी के निदेशक हनुवंत सिंह राठौड़ ने बताया कि सादड़ी और सावा की ढाणी के ऊंटनी के दूध पर लंबे समय से शोध चल रहा है. खेजड़ी, बैर खाने से उनके शरीर में हाई प्रोटीन बनता है

. इसके दूध में इंसुलिन और लो फेट है, इसलिए डायबिटीज और मंदबुद्धि बच्चों के इलाज के लिए बेहतर माना जा रहा है.

सिंगापुर को ऊंटनी का दूध एक्सपोर्ट करने की तैयारी की जा रही है. जो 300 रुपए प्रति लीटर में बेचा जा रहा है. यह दूध दो महीने तक खराब नहीं होता.

राठौड़ ने बताया कि चित्तौड़गढ़, भीलवाड़ा, सिरोही में 5-6 हजार लीटर दूध प्रतिदिन संग्रहित हो सकता है.जिले में सावा की ढाणी की ऊंटनी का दूध विमंदित व कमजोर बच्चों के साथ गंभीर बीमारियों के उपचार में काम आ सकता है. इस संभावना से इजरायल के बाद अब जर्मनी में भी शोध शुरू हो गया है. नतीजा और सार्थक रहा तो मेवाड़ी ऊंटों के दूध की डिमांड पूरी दुनिया में बढ़ सकती है.

टाइफाइड में भी फायदेमंद (Beneficial in typhoid)

उन्होंने बताया कि यह दूध बरसों से चाय के साथ बीमारियां में भी उपयोग लिया जा रहा है. शुगर, टीबी, दमा, सांस लेने में दिक्कत व हड्डियों को जोड़ने सहित टाइफाइड में भी फायदेमंद माना जाता है.

27 साल से राजस्थान के ऊंटों पर शोध कर रही जर्मनी की डॉ. इल्से कोल्हर रोलेप्शन ने एक माह पूर्व सावा की ढाणी में इस दूध के सैंपल लेकर विदेश में भेजे. जर्मनी, सिंगापुर में शोध चल रहा है.

इजरायल की टीम भी सैंपल ले गई (Israeli team also took sample)

छह माह पहले इजरायल की टीम भी सैंपल ले गई. जिनके अनुसार दिमागी रूप से कमजोर व 17 साल से कम उम्र के बच्चों का कद बढ़ाने में यह फायदेमंद साबित हो सकता है.

पशुपालन विभाग के उपनिदेशक डॉ. ताराचंद मेहरड़ा ने बताया कि जिले में पशुगणना के अनुसार ऊंट की संख्या 2166 है. जबकि वास्तविक संख्या इससे अधिक हो सकती है.

देवीलाल रायका , गोविंदसिंह रेबारी ने कहा कि ऊंट खरीदने, बेचने पर प्रतिबंध है. मादा के लिए तो प्रतिबंध ठीक है, लेकिन नर ऊंट पर प्रतिबंध हटना चाहिए. सब्सिडी भी कम है. जंगलों या चारागाह भूमि पर भी इसे चरने नहीं दिया जाता है. ऊंटनी की संख्या कमी हो रही है.

ऊंटनी के दूध में कई विशेषताएं होती हैं. बच्चों के शारीरिक विकास में भी यह उपयोगी है. इस पर शोध हो चुका है. छह माह पूर्व इजरायल की टीम ने भी यहां ऊंटनी के दूध के लिए सैंपल लिए थे. जिले में भदेसर, बेगूं और गंगरार क्षेत्र में ऊंटपालन होता  है.

 

सबसे ज्यादा ऊंटनी चित्तौड़गढ़ में (The highest camel in Chittorgarh)

ऊंट पालक देवीलाल रायका , गोविंद सिंह रायका , अमरचंद, जगदीश, आदि ने कहा कि सरकार ने जयपुर में केमल दूध मिनी प्लांट लगाया है. जबकि चित्तौड़ जिले से एक हजार लीटर दूध प्रतिदिन संग्रहित हो सकता है. प्लांट यहीं लगना चाहिए था. राज्य में सबसे ज्यादा ऊंटनी चित्तौडग़ढ़, भीलवाड़ा में हैं.

- डॉ. सुमेरसिंह राठौड़, सहायक निदेशक, पशुपालन विभाग

English Summary: The price of this animal milk is 300 rupees ... Published on: 03 March 2018, 12:31 IST

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