आपने अधिकतर गाय-भैंस समेत सभी पशुओं को पेड़, दीवार आदि कई चीजों से अपना शरीर खुजाते हुए देखा होगा. दरअसल, यह एक तरह का रोग होता है, लेकिन इस पर अधिकतर पशुपालक ज्यादा ध्यान नहीं देते हैं.
इसे आम बोलचाल की भाषा में चर्म रोग (Skin Diseases in Cows) कहा जाता है. अगर ये किसी गाय को यह रोग लग जाए, तो उसका इलाज समय पर कराना चाहिए, नहीं तो पशुपालकों को भारी आर्थिक नुकसान हो सकता है.
क्या है चर्म रोग (What is skin disease)
इस रोग में गाय के बाल धीरे-धीरे हट जाते हैं और खुजली की जगह पर त्वचा सख्त हो जाते हैं. यह रोग लगने से अधिकतर पशु तनाव में चले जाते हैं. आपको भले समझ में न आए, लेकिन शरीर पर खुजली और शरीर पर भिनभिनाने वाली मक्खियां, कीड़े आदि पशु को अधिक तनाव दे सकती हैं. इससे गाय शारीरिक रूप से कमजोर हो जाती है और दूध उत्पादन की क्षमता भी कम हो जाती है.
पशु चिकित्सकों के मुताबिक (According to veterinarians)
इस संबंध में पशु चिकित्सकों का कहना है कि गायों का बदलते मौसम में खास ध्यान रखना चाहिए, क्योंकि उसी समय पशुओं को त्वचा संबंधित रोग लग जाने की संभावना होती है. बता दें कि गाय में जीवाणु समेत कई प्रकार के कृमि त्वचा रोगों का कारण बन सकते हैं. इसमें गायों के शरीर में मवाद या पस पड़ जाता है. आमतौर पर त्वचा के रोगों के लक्षण दिखाई देने पर काफी समय लग जाता है, इसलिए गायों का खास ध्यान रखना चाहिए.
चर्म रोग के लक्षण (Skin disease symptoms)
जीवाणु जनित रोगों के लक्षण
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प्रभावित स्थान गर्म हो जाता है
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त्वचा लाल हो जाती है
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मवाद निकलने लगता है.
कृमि द्वारा होने वाले त्वचा रोग के लक्षण (Symptoms of worm skin disease)
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खुजली की जगह पर बालों का गिरना
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कान की खुजली में पशु सिर हिलाता है.
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कान फैल जाता है, साथ ही उसमें भूरे काले रंग का वैक्स जमा हो जाता है.
स्केबिस पशुओं में फैलने वाला बाह्य त्वचा रोग (scabies epidermis)
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यह रोग कृमियों द्वारा उत्पन्न होता है, जो मनुष्यों में भी फैलता है.
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इसमें त्वचा मोटी हो जाती है और अत्यधिक खुजली होती है.
फफूंद जनित त्चवा रोग (Fungal Skin Disease)
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इसमें पशु के त्वचा, बाल और नाखून प्रभावित होते हैं.
विषाणु जनित त्वचा रोग के लक्षण (Symptoms of Viral Dermatitis)
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पशुओं की नाक और खुर की त्वचा मोटी हो जाती है.
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पेट में फुंसी हो जाती है.
पहले से करें देखभाल (Take care in advance)
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पशुओं को स्वच्छ व साफ रखें.
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उन्हें गर्मियों में रोजाना नहलाना चाहिए.
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आस-पास की गंदगी को नियमित रुप से साफ करते रहें.
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बारिश में पशुओं के इर्द-गिर्द पानी जमा न होने दें.
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हर 3 महीनों के अंतर पर पशुओं को आंतरिक परजीवी नाशक दवा का सेवन कराना चाहिए.
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त्वचा रोगों में पशु को अच्छा खान-पान, विटामिन व खनिज लवण देने चाहिए.
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इसके साथ ही लिवर टॉनिक व बालों के लिए कंडीशनर का प्रयोग करना चाहिए.
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