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पेट में कीड़ों की वजह से तो आपका पशु नहीं पड़ रहा बार-बार बीमार, पढ़िए पूरी खबर

मवेशी पशुओं में होने वाली सबसे आम लेकिन गंभीर बीमारियों में से एक है उनके पेट में कीड़े होना. आमतौर पर इस तरफ किसी का ध्यान नहीं जाता और अगर जाता भी है, तो दवा-दारू की जद्दोजहद करना कोई पसंद नहीं करता. पशुओं के पेट में अगर कीड़े हो गए तो धीरे-धीरे उनका स्वास्थ्य बिगड़ता ही जाता है और बाद में जाकर बड़े इलाज की जरूरत पड़ती है.

सिप्पू कुमार
सिप्पू कुमार

मवेशी पशुओं में होने वाली सबसे आम लेकिन गंभीर बीमारियों में से एक है उनके पेट में कीड़े होना. आमतौर पर इस तरफ किसी का ध्यान नहीं जाता और अगर जाता भी है, तो दवा-दारू की जद्दोजहद करना कोई पसंद नहीं करता. पशुओं के पेट में अगर कीड़े हो गए तो धीरे-धीरे उनका स्वास्थ्य बिगड़ता ही जाता है और बाद में जाकर बड़े इलाज की जरूरत पड़ती है.

पशुपालकों को होती है बड़ी हानि

अब बड़े उपचार में दो तरह की हानि किसान को होती है, पहली तो आर्थिक हानि और दूसरी पशुओं की सेहत खराब होने की हानि. उपचार होने के बाद भी पशु पहले की तरह तंदुरुस्त नहीं रहता और दूध देने की क्षमता उसकी कम हो जाती है.

हर तीन महीनें में हो एक बार जांच

विशेषज्ञों का कहना है कि पशुपालकों को इस बात का ख्याल रखना चाहिए कि अगर पशु की हालत सही भी लग रही है तो भी हर तीन महीने में एक बार उसके पेट की जांच हो. इस बीमारी का उपचार जरूरी है, क्योंकि आप कितना ही अच्छा खाना उन्हें खिलाएं, अगर पेट में कीड़े हैं, तो अन्न का 42 प्रतिशत तक का हिस्सा वही खा जाते हैं.

इन कीड़ों से है सबसे अधकि खतरा

पशुओं के पेट में होने वाले कीड़े बहुत तरह के हैं. इनको लेकर हजारों तरह की रिसर्च चल रही है. लेकिन अभी तक के शोधों से मालूम हुआ है कि कुछ कीड़ें, जैसे- फीता कृमि, गोलकृमि, परंकृमि आदि इनकी सेहत को बहुत खतरनाक तरीके से प्रभावित करते हैं. इनके पेट में घर बनाकर न सिर्फ ये इनकी क्षमता और बल को प्रभावित करते हैं, बल्कि अंदर ही अंदर इनका खून पीकर इन्हें बीमार भी बनाते हैं.

इस तरह लगाएं कीड़ों का पता

पेट में कीड़े हैं, इसके लिए उनकी जांच जरूरी है. लेकिन कुछ ऐसे तरीके हैं, जिसके सहारे आप अंदाजा लगा सकते हैं कि शायद आपका मवेशी किसी बीमारी का शिकार हो चुका है या वो पेट के कीड़ों से परेशान है. अगर आप बकरियों को पाल रहे हैं, तो ध्यान दें कि कहीं उनका वजन अचानक आश्चर्यजनक रूप से तो नहीं बढ़ने लगा है. अगर आप गाय-भैस आदि दुधारू पशु पाल रहे हैं, तो ध्यान दे कि कहीं दूध उत्पादन की क्षमता या दूध के रंग में बदलाव तो नहीं आ रहा है.

इन बातों का रखें विशेष ख्याल

गाय-भैंस के बच्चों के पैदा होने के ठीन 15 दिन बाद एक बार उन्हें पेट के कीड़ें मारने की दवा मिलनी चाहिए. उसके बाद 15 दिन पश्चात फिर यही दवा देनी चाहिए. कहने का अर्थ है सात आठ महीनों के होने तक उन्हें हर माह 15 दिनों के अंतराल पर एक बार ये दवाई मिलनी चाहिए.

दवाई देते समय रखें सावधानी

पशुओं के पेट में कीड़े होने की समस्या पर फेल्बेंडाजोल और कृमिनाशन दवाई आमतौर पर दी जाती है. लेकिन फिर भी हमारी सलाह है कि कोई भी दवाई देने से पहले एक बार डॉक्टर से संपर्क जरूर करें. बहुत बार ऐसा होता है कि पेट के कीड़ों के साथ पशु को अन्य भी किसी तरह की शिकायत होती है, ऐसे में आम दवा भी रिएक्शन के कारण खतरनाक साबित हो सकती है.

English Summary: this is how you can know about the Intestinal Worms Symptoms Stomach Bacteria Treatment in cattle Published on: 14 January 2021, 04:47 IST

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