गर्मियों में पशुओं के स्वास्थ्य का खास ध्यान रखना पड़ता है, क्योंकि इस मौसम में पशुओं को अपने शरीर का तापमान सामान्य बनाएं रखने में परेशानी होती है. जब पशुओं के शरीर का तापमान हीट स्ट्रेस की वजह से 101.5 से 102.8 डिग्री फेरनेहाइट तक बढ़ता है, तब पशुओं के शरीर में कई तरह के दिखने लगते हैं.
जैसे खानपान में कमी, दुग्ध उत्पादन में 10 से 25 प्रतिशत की गिरावट, दूध में वसा के प्रतिशत में कमी, प्रजनन क्षमता में कमी, प्रतिरक्षा प्रणाली में कमी आदि लक्षण दिखाई देने लगते हैं.
इसके साथ ही गर्म हवाओं और तापमान अधिक होने पर पशुओं को लू लगने का खतरा भी बढ़ जाता है, इसलिए इस मौसम में पशुपालकों को खास ध्यान देने की जरूरत होती है. अगर आप भी पशुपालन व्यवसाय से जुड़े हैं, तो गर्मियों में पशुओं की खास देखभाल से जुड़ी जानकारी रखना बहुत जरूरी है. आज हम आपको दुधारू पशुओं को गर्मी व लू लगने के लक्षण एवं बचाव के तरीके बताने जा रहे हैं.
गर्मी में पशुओं की देखभाल (Taking Care of Animals in Summer)
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दुधारू पशुओं के आहार में हरे चारे की मात्रा बढ़ा दें. बता दें कि हरे चारे में पानी की अच्छी मात्रा होती है, जिससे पानी की कमी पूरी होती है
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पशुओं को दिन में 3 से 4 बार स्वच्छ पानी पिलाएं.
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पशुओं को पानी में नमक और आटा मिलाकर पिलाएं.
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गर्म हवाओं से बचाकर रखें.
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पशुओं के रहने के स्थान की छत पर सूखी घास, पुआल, आदि बिछाएं. यह छत को गर्म होने से बचाएगा.
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रोजाना ठंडे पानी से नहलाएं.
पशुओं में लू लगने के लक्षण (Symptoms of Heatstroke in Animals)
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पशुओं के शरीर का तापमान बढ़ने लगता है.
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उन्हें बेचैनी होने लगती है.
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पशुओं को पसीना ज्यादा आता है.
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लार के स्राव में वृद्धि होती है.
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पशुओं के खान-पान की क्षमता कम हो जाती है.
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कई बार पशु भोजन खाना भी बंद कर देते हैं.
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दुग्ध उत्पादन में कमी आ जाती है.
पशुओं में लू लगने पर उपचार (Treatment for Heatstroke in Animals)
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पशुओं को अधिक से अधिक आराम करने दें.
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उन्हें अधिक मात्रा में पानी पिलाएं.
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पशुओं को पशु चिकित्सक की सलाह पर ग्लूकोज पिलाएं.
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गर्म हवा से बचाकर रखें.
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पशुओं को बर्फ के टुकड़े चाटने के लिए दें.
ध्यान रहे कि पशुओं को कोई भी दवा देने से पहले एक बार पशु चिकित्सक से परामर्श जरूर कर लें.
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