पशुओं के दूध उत्पादन की क्षमता बढ़ाने के लिए नस्लों में सुधार होना बहुत जरूरी है. इसके लिए किसानों और पशुपालकों को जागरूक होकर कृत्रिम गर्भधान की तरफ बढ़ना होगा. हालांकि, अभी जागरूकता के अभाव में कई किसान झोटे से अपनी गाय व भैंसों की डायरेक्ट क्रासिंग (गर्भधान) कराते हैं. इस कारण पशुओं में बीमारियां फैलने का खतरा बढ़ जाती है. इसके साथ ही पैदा होने वाली नस्ल पर भी काफी बुरा असर पड़ता है.
इसका कारण यह है कि जिस झोटे से भैंस की क्रॉसिंग कराई जाती है, उसकी सही जानकारी नहीं होती है कि जिस भैंस ने उसको जन्म दिया है, वह कितना दूध देती थी. बता दें कि कटड़े या कटड़ी में जन्म देने वाली मां और जिस झोटे से क्रासिंग हुई है, उसके गुण आते हैं. अगर नर और मादा अच्छी नस्ल के हैं, तो उनसे जन्मे बच्चे भी अच्छी नस्ल के ही होंगे.
भैंस और गायों की प्राकृतिक गर्भधान की सुविधा
इसके मद्देनजर हरियाणा के पशुपालकों के लिए एक अहम फैसला लिया गया है. तो चलिए आपको इस बारे में अधिक जानकारी देते हैं. दरअसल, हरियाणा सरकार द्वारा प्रदेश भर में 3000 पशु चिकित्सा केंद्र खोले गए हैं. जहां भैंस और गायों की प्राकृतिक गर्भधान की सुविधा प्रदान की जाएगी.
बता दें कि प्राकृतिक गर्भधान के लिए अच्छी नस्ल के बुल के सीमन को प्रयोग किया जाता है, जिसमें पूरी जांच के बाद ही सीमन तैयार होता है. वहीं, पशुपालक अपने पशुओं की डायरेक्ट क्रॉसिंग कराते हैं, उसमें बीमारी फैलने का खतरा रहता है. इसमें सबसे ज्यादा गंभीर बीमारी ब्रूसेला की होती है, जिसमें भैंस के डिलीवरी से पहले बच्चा खराब होने का खतरा रहता है. बता दें कि ब्रूसेला बीमारी लगने पर उसका कोई इलाज नहीं है.
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इस संबंध में पशु विज्ञान केंद्र के प्रभारी डॉ रमेश का कहना है कि ब्रूसेला बीमारी पशुओं से मनुष्यों में भी फैल सकती है. हरियाणा पशुधन विकास बोर्ड (एचएलडीबी) के मैनेजिंग डायरेक्टर डा. एसके भदौरिया ने भी बताया है कि कृत्रिम गर्भधान के लिए किसान व पशुपालक नजदीकी पशु केंद्र चिकित्सा केंद्र में जाकर भैंस और गाय का कृत्रिम गर्भधान करा सकते हैं.
कृत्रिम गर्भधान की कीमत
इसके लिए केवल ₹30 फीस निर्धारित की गई है, जबकि पशुपालक को डायरेक्ट क्रासिंग झोटे से कराने के लिए 400 से 500 रुपये देने पड़ते हैं. इसके साथ ही किसानों को कृत्रिम गर्भधान के बारे में जागरूक किया जा रहा है.
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