वर्तमान में पशुपालन एक ऐसा व्यवसाय बन चुका है, जिससे आप लखपति से करोड़पति बनने तक का सफर तय कर सकते हैं. ग्रामीण से लेकर शहरी क्षेत्रों में तक पशुपालन को तेजी से बढ़ावा दिया जा रहा है. वहीं, सरकार भी पशुपालन को बढ़ावा देने के लिए तमाम प्रयास कर रही है.
इसके चलते पशुओं में कृत्रिम गर्भाधान की तकनीक को बहुत अपनाया जा रहा है. तो आज हम इस लेख में बताएंगे कि कृत्रिम गर्भाधान क्या है और इसकी विधि क्या है.? बता दें कि कृत्रिम गर्भाधान एक ऐसी कला है, जिसमें सांड से वीर्य लेकर उसको विभिन्न क्रियाओं के जरिए संचित किया जाता है. यह वीर्य तरल नाइट्रोजन में कई वर्षों तक सुरक्षित रखा जा सकता है. बता दें कि संचित किए हुए वीर्य को मद में आई मादा के गर्भाशय में रखने से मादा पशु का गर्भाधान किया जाता है. गर्भाधान की इस क्रिया को कृत्रिम गर्भाधान कहते हैं.
कृत्रिम गर्भाधान के लाभ
कृत्रिम गर्भाधान के प्राकृतिक गर्भाधान की तुलना में कई फायदे हैं. बता दें कि कृत्रिम गर्भाधान का लाभ दूसरे देशों में रखे श्रेष्ठ नस्ल व गुणों वाले सांड के वीर्य को भी गाय व भैंसों में प्रयोग करके भी उठाया जा सकता है. खास बात यह है कि इस विधि में उत्तम गुणों वाले बूढ़े या असहाय सांड का प्रजनन किया जा सकता है. इसके द्वारा श्रेष्ठ व अच्छे गुणों वाले सांड को अधिक उपयोग किया जा सकता है.
अगर प्राकृतिक विधि की बात करें, तो इसमें एक सांड द्वारा एक वर्ष में 60–70 गाय या भैंस को गर्भित किया जा सकता है, लेकिन कृत्रिम गर्भाधान विधि द्वारा एक सांड के वीर्य से एक वर्ष में हजारों गायों या भैंसों को गर्भित किया जा सकता है. वहीं, अच्छे सांड के वीर्य को मृत्यु के बाद भी प्रयोग कर सकते हैं. इस विधि में धन और श्रम, दोनों की अच्छी बचत होती है. इसके अलावा पशुपालकों को सांड पालने की आवश्यकता भी नहीं होती है.
इसके साथ ही पशुओं के प्रजनन सम्बंधित रिकार्ड रखने में आसानी होती है और विकलांग या असहाय गायों/भैंसों का प्रयोग भी प्रजनन के लिए होता है. बता दें कि इस विधि में नर से मादा तथा मादा से नर में फैलने वाले संक्रामक रोगों से बचा जा सकता है.
कृत्रिम गर्भाधान की विधि की सीमाएं
जानकारी के लिए बता दें कि इस विधि की कुछ सीमाएँ होता हैं. जैसे, इसके लिए प्रशिक्षित पशु चिकित्सक की आवश्यकता होती है तथा तक्नीशियन को मादा पशु प्रजनन अंगों की जानकारी होना आवश्यक है. इसके साथ ही विशेष उपकरणों की आवश्यकता होती है. इसके अलावा सफाई का विशेष ध्यान रखना पड़ता है, वरना गर्भधारण देर में कमी आ जाती है और कई संक्रामक बीमारियां होने की संभावना हो सकती है
कृत्रिम गर्भाधान के दौरान कुछ जरूरी सावधानियां
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मादा ऋतु चक्र में हो.
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कृत्रिम गर्भाधान से पहले गन को अच्छी तरह से लाल दवाई से साफ करें.
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वीर्य को गर्भाशय द्वार के अंदर छोड़ दें.
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कृत्रिम गर्भाधान गन प्रवेश करते समय ध्यान रखें, कि यह गर्भाशय हार्न तक ना पहुँचे.
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गर्भाधान के लिए कम से कम 10–12 मिलियन सक्रिय शुक्राणु जरूरी होते हैं.
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सभी पशुपालक कृत्रिम गर्भाधान संबंधित रिकार्ड रखें.
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