अप्रैल महीने से ही उत्तर भारत के सभी राज्यों में लू (गर्म हवा) चलना प्रारंभ हो जाती है. उत्तर भारत के अधिकांश क्षेत्रों की बात की जाए तो इस समय औसतन तापमान 36 से 42 डिग्री सेन्टीग्रेट के बीच में है. धीरे- धीरे मौसम और गर्म होता चला जाएगा और दिन में तेज धूप के साथ लू भी चलने लगेगी. यह लू इंसान के साथ ही पशुओं को भी नुकसान पहुंचती है. ऐसे में उनके बीमार होने की संभवना बढ़ जाती है.
बता दें, गर्मी के मौसम में पशुओं के हांफने के गुणांक से उनके अंदर की गर्मी और तनाव का पता लगया जा सकता है. ध्यान रहे कि किसी भी पशु का गुणांक 2 से अधिक नहीं होना चाहिए. यदि इससे ज्यादा है गुणांक, तो समझ जाइए कि आपका पशु बीमार है या होने वाला है.
पशु के हांफने का गुणांक क्या है?
हांफने के गुणांक से पशुओं के ऐसे लक्षण का पता चल जाता है कि पशु कितना स्वस्थ है या यूं कहें कि पशुओं की स्वास्थ्य स्थिति के मापन की इकाई को पशु के हांफने का गुणांक कहा जा सकता है. गर्मी के मौसम में पशु अधिक हांफता है तो यह उसके स्वस्थ होने का लक्षण नहीं है.
कैसे जानें पशु गुणांक की स्थिति?
यदि पशु की साँस लेने की स्थित प्रति मिनट 40 से कम है तो समझ जाइए कि आपका पशु स्वस्थ है. जब गुणांक 1 होगा तो पशु प्रति मिनट 40 से 70 बार हल्की ( धीमी) सांस लेगा, इस स्थिति में पशु के मुंह से लार गिरती है. यदि गुणांक 2 होगा तो पशु प्रति मिनट 70 से 120 बार हल्की सांस लेगा, पशु के मुंह से लार गिरती रहेगी और मुंह बंद रहेगा. गुणांक 2.5 की स्थिति में 70 से 120 बार मुहं खोलकर सांस लेगा और लार गिरती रहेगी. पशु गुणांक 3 के समय 120 – 160 मुंह खोलने के साथ सिर ऊपर करके लार गिराते हुए सांस लेगा. जब गुणांक 3.5 होगा तो पशु जीभ निकालकर सांस लेगा शेष स्थिति गुणांक 3 वाली होगी. गुणांक 4 के समय 160 से अधिक बार सांस के साथ मुंह खुला, जीभ लंबे समय तक अत्याधिक लार के साथ पूरी बाहर निकली हुई होगी.
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