कृषि प्रधान देश भारत में अलग-अलग तरह के पशुपालन कार्य भी किए जाते हैं. कुछ पशुओं का इस्तेमाल घरेलू कामों के लिए करते हैं तो कुछ व्यवसाय के नज़रिये से जानवरों को पालते हैं. देश के कई इलाकों में भेड़ पालन आम है. आज हम भेड़ पालन के बारे में चर्चा करेंगे.
भेड़ क्यों पालना चाहिए-
भेड़ पालने की एक नहीं बल्कि कई वजह हैं. पहला तो ये कि बेहद कम लागत के साथ शुरू किया जा सकता है. दूसरा ये कि भेड़ों से दूध के साथ, ऊन, चमड़ा मिलता है और इनका अपशिष्ट खेतों में खाद की तरह इस्तेमाल होता है.
भेड़ों की किन प्रजातियों को पालना चाहिए-
भेड़ पालन (Sheep Farming) की इच्छा रखने वाले लोगों के लिए बेहद अहम है कि वो पालने के लिए उन्नत प्रजाति की भेड़ों का ही चुनाव करें जिससे क्वालिटी युक्त और अच्छी मात्रा में दूध और ऊन मिल सके. अगर बिज़नेस के नज़रिये से भेड़ पालना चाहते हैं तो मंडिया, जैसलमेरी, मालपुरा, बीकानेरी, मारवाड़ी, छोटा नागपुरी, मैरिनो, कोरिडायलरा मबुतु और शहाबाबाद में से चुनाव करें. ये प्रजातियां बेहद लोकप्रिय हैं.
ये भी पढ़ें- मत्स्य पालन है देश की अर्थव्यवस्था का महत्वपूर्ण क्षेत्र
कितनी लागत लगेगी?
भेड़ों को ख़रीदना और इनके लिए बाड़ा बनाना ही इसमें मुख्य ख़र्च है. इसके बाद मामूली ख़र्च में इन्हें पाला जा सकता है. आप चाहें तो 10-15 भेड़ों के साथ शुरूआत कर सकते हैं. प्रजाति के हिसाब से एक भेड़ की क़ीमत 3000 से 8000 रुपये तक पड़ेगी. बात इनके बाड़े यानि रहने की जगह की करें तो विषेशज्ञों का मानना है कि 20 भेड़ों को पालने के लिए 500 वर्गफ़ीट का बाड़ा काफ़ी है जिसे बनाने में 30 से 40 हज़ार रुपये तक ख़र्च होंगे.
कमाई कितनी होगी?
एक भेड़ का जीवनकाल लगभग 8 साल का होता है इस दौरान ऐसा देखा गया है कि भेड़ भरपूर मात्रा में ऊन पैदा करके किसानों को लखपति बना देते हैं. इसके अलावा इसके दूध का भी उपयोग किया जाता है और इनके चमड़े का भी कारोबार किया जाता है.
ऐसे करें रख-रखाव-
शाकाहारी पशु होने के नाते भेड़ ज़्यादातर हरा चारा और पत्तियां ही खाते हैं. भेड़ पालन करते समय इनके भोजन, साफ़-सफ़ाई और इनके स्वास्थ्य का ध्यान देना बेहद ज़रूरी है क्योंकि स्वस्थ भेड़ से ही अच्छा ऊन और दूध मिल सकता है. भेड़ों को सेहतमंद रखने के लिए इन्हें टहलाना-घुमाना भी ज़रूरी है.
Share your comments