भारत के ग्रामीण इलाकों में बकरी पालन एक बिजनेस के तौर पर देखा जाने लगा है. पुरुषों से ज्यादा महिलाओं को बकरी पालन में ज्यादा दिलचस्पी है. महिलाएं बकरी पालन से मोटी कमाई कर रही हैं और समय-समय पर इसे बेचकर अपने परिवार का देखभाल भी कर रही हैं. बकरे की मांग होली या ईद के समय ज्यादा रहती है. इस समय एक समान्य बकरा 5 से 8 हजार रुपये में बिकता है, जबकि बकरा बाजार में लाखों के बकरे देखने को मिलते हैं.
बिहार के पूर्वी चंपारण जिला स्थित एक छोटे से गांव में राज प्यारी देवी बकरी पालती हैं. वह बताती हैं कि पिछले साल होली के समय उन्होंने 6 हजार रुपये में बकरा बेचा था. उनकी दो बेटियों की शादी नहीं हुई है. बकरे बेचने के बाद मिले पैसे को बचाकर रखती हैं, जिससे बेटी की शादी में खर्च कर सके. वह आगे कहती हैं. ऐसे नहीं है कि सिर्फ बकरी पालन में मुनाफा ही होता है. कभी-कभी बार घाटा भी सहना पड़ता है. महीनों तक देखभाल करने के बाद भी बकरे मर जाते हैं. लेकिन फिर भी यह हमारे लिए कमाई का एक जरिया है.
बकरियों की नस्लें
भारत में करीब 21 मुख्य बकरियों की नस्लें पाई जाती हैं. इनमें दुधारू, मांसोत्पादक और ऊन उत्पादक नस्लें शामिल हैं. दुधारू नस्लों में जमुनापारी, सूरती, जखराना, बरबरी और बीटल जैसी नस्लें आती हैं. वहीं, मांसोत्पादक में ब्लेक बंगाल, उस्मानाबादी, मारवाडी, मेहसाना, संगमनेरी, कच्छी और सिरोही पाई जाती हैं, जबकि ऊन उत्पादक नस्लों में कश्मीरी, चांगथांग, गद्दी, चेगू आदि शामिल हैं.
समय पर बकरियों का गर्भधारण जरूरी
चिकित्सकों की मानें तो अगर बकरी सही समय पर गर्भधारण करती है तभी अधिक लाभ मिलता है. उत्तर भारत में बकरियों को 15 सिंतबर से लेकर नवंबर और 15 अप्रैल से लेकर जून तक गाभिन कराना चाहिए। सही समय पर बकरियों को गाभिन कराने से नवजात मेमनों की मृत्युदर कम होती है.
बकरियों को चारा क्या दें?
बकरियों के पोषण के लिए हर दिन दाने के साथ सूखा चारा देना चाहिए. बकरी पालक दाने में मक्का, मूंगफली की खली, चोकर, मिनरल मिक्चर साथ में नमक मिलाकर दे सकते हैं. वहीं, सूखे चारे में गेहूं का भूसा, सूखी पत्ती, धान का भूसा, देना चाहिए. अगर बकरी को इन सबको चीजों का सेवन कराया जाए, तो बकरी में मांस के साथ-साथ दूध में वृद्धि होगी, जिससे बकरी पालक को अधिक फायदा होगा.
बकरियों के लिए रखरखाव की व्यवस्था
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बकरियों को हवादार जगह पर रखें
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साफ पानी की व्यवस्था होनी चाहिए.
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हर दिन साफ-सफाई होनी चाहिए ताकि बकरियों को बीमारियों से बचाया जा सके.
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जरूरत पड़ने पर बकरी के आसपास कीटाणुनाशक दवा का छिड़काव करें.
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बकरी को खराब खाना ना दें.
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बकरी या बकरे के मरने के बाद उसे जलाने के बजाए दफना दें.
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