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गौवंश के लिए खीर-पूरी और हलवा का सेवन बेहद खतरनाक, एक्सपर्ट से जानें क्यों?

डॉ. जय प्रकाश ने अमावस्या के दिन गौवंश को अधिक मिठे पकवानों से बचाने की सलाह दी, क्योंकि इससे उनके स्वास्थ्य में समस्या हो सकती है. इन खाद्य पदार्थों से एसिडोसिस जैसी बीमारी हो सकती है, जिससे पशु की जान को खतरा हो सकता है. उन्होंने गायों को हरा चारा देने और उचित आहार देने का सुझाव दिया, ताकि उनका स्वास्थ्य ठीक रहे.

KJ Staff
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Dr. Jai Prakash with Cow
देसी नस्ल के गाय के साथ खड़े कृषि विज्ञान केंद्र, दिल्ली के वैज्ञानिक डॉ. जय प्रकाश , फोटो साभार: कृषि जागरण

कृषि विज्ञान केंद्र, दिल्ली के वैज्ञानिक डॉ. जय प्रकाश ने अमावस्या के दिन गौवंश को खीर, पूरी, हलवा और अन्य मिठे पकवानों को ज्यादा मात्रा में न खिलाने की सलाह दी है. उनका कहना है कि इन पकवानों का अधिक सेवन करने से गौवंश में एसिडोसिस (Acidosis) जैसी गंभीर समस्या उत्पन्न हो सकती है. एसिडोसिस तब होता है जब पशु के शरीर में अम्ल की मात्रा अत्यधिक बढ़ जाती है. इससे उनके पाचन तंत्र पर बुरा असर पड़ता है, और पेट में अफारा (Indigestion) हो जाता है.

अफारा से पशु को सांस लेने में कठिनाई होती है और उसका स्वास्थ्य तेजी से बिगड़ सकता है. ऐसी स्थिति में समय रहते उपचार नहीं किया जाए, तो इसके परिणामस्वरूप जान भी जा सकती है. इस प्रकार के गंभीर प्रभाव से बचने के लिए गौवंश को अस्वस्थकर खाद्य पदार्थों से दूर रखना चाहिए, ताकि उनकी सेहत पर बुरा असर न पड़े और वे स्वस्थ रह सकें.

एसिडोसिस और इसके प्रभाव:

एसिडोसिस एक ऐसी स्थिति है जो अक्सर तब उत्पन्न होती है, जब गायों या बैल को अधिक मात्रा में तला हुआ भोजन, मिठा या अत्यधिक पौष्टिक पदार्थ दिया जाता है. इन चीजों में मुख्यतः शर्करा और वसा अधिक मात्रा में होते हैं, जो पशु के पाचन तंत्र पर दबाव डालते हैं. जब पेट में एसिड का स्तर बढ़ता है, तो पेट में गैस बनती है और पशु को अफारा (Indigestion) हो जाता है. इससे पेट फूलने लगता है और पशु को आराम से सांस लेने में परेशानी होती है. ऐसी स्थिति में यदि तुरंत उपचार न किया जाए, तो यह स्थिति और भी गंभीर हो सकती है, और अंततः पशु की मौत भी हो सकती है.

एसिडोसिस के कारण पशु में शारीरिक कमजोरी, हिचकी, अत्यधिक प्यास, और भूख की कमी जैसे लक्षण भी उत्पन्न हो सकते हैं. इन लक्षणों को नजरअंदाज करने से पशु की सेहत में और गिरावट आ सकती है, और उपचार में देरी होने पर जान का खतरा हो सकता है. इसीलिए यह अत्यंत महत्वपूर्ण है कि हम गौवंश को इन अस्वास्थ्यकर खाद्य पदार्थों से बचाएं और उनके लिए सही आहार सुनिश्चित करें.

दान-पुण्य के लिए सच्ची दिशा:

डॉ. जय प्रकाश ने कहा कि हमें पुण्य कार्य में भी समझदारी से काम लेना चाहिए. यदि हम किसी पुण्य के अवसर पर गौवंश को आहार देना चाहते हैं, तो यह बेहद जरूरी है कि हम उन्हें उनके प्राकृतिक आहार ही खिलाएं. हरा चारा और ताजे घास गायों के लिए सबसे उपयुक्त और स्वास्थ्यवर्धक होते हैं. हरे चारे से गायों का पाचन तंत्र ठीक रहता है और उन्हें सभी जरूरी पोषक तत्व प्राप्त होते हैं. इसके अलावा, ताजे घास और चोकर से उनकी ऊर्जा बनी रहती है और उनका स्वास्थ्य बेहतर रहता है.

यह सही मायने में पुण्य का कार्य होगा, क्योंकि गायों को उनका प्राकृतिक आहार देने से उनके स्वास्थ्य में सुधार होगा और वे बीमारियों से दूर रहेंगी. इसके बजाय, यदि आप पुण्य के लिए कुछ अतिरिक्त दान करना चाहते हैं, तो आप गौवंश को लिवर टोनिक, कैल्शियम, या अन्य जरूरी पूरक आहार दे सकते हैं. यह उनके शारीरिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाए रखने में मदद करेगा और उनके जीवन के स्तर को बढ़ाएगा.

सही आहार का महत्व:

गायों का सही आहार उनके समग्र स्वास्थ्य के लिए बेहद महत्वपूर्ण है. हरा चारा, ताजे घास और चोकर गायों के लिए सर्वोत्तम होते हैं. ये उनके पाचन तंत्र को सही रखते हैं और उनकी सेहत को बेहतर बनाए रखते हैं. इसके अलावा, ऐसे आहार से गायों को जरूरी पोषक तत्व, विटामिन्स और खनिज प्राप्त होते हैं, जो उनके विकास और सेहत के लिए जरूरी हैं.

इसके विपरीत, मीठे पकवान, तली हुई चीजें और अन्य अस्वास्थ्यकर खाद्य पदार्थ उनके लिए हानिकारक हो सकते हैं. ये खाद्य पदार्थ उनके पाचन तंत्र को परेशान कर सकते हैं, जिससे उनका पेट ठीक से काम नहीं करता और गैस, अफारा जैसी समस्याएं उत्पन्न होती हैं. यह न केवल उनके शारीरिक स्वास्थ्य को प्रभावित करता है, बल्कि उनका मानसिक संतुलन भी बिगाड़ सकता है.

 

English Summary: kheer-puri and halwa is very dangerous for cows know why from the animal expert Published on: 29 March 2025, 12:48 IST

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