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कैसे करें मीठे पानी में मछली पालन, क्या सावधानियां रखें

किसानों को आर्थिक रूप से मजबूत बनाने के लिए केन्द्र सरकार मछली पालन पर जोर दे रही है. इसके लिए किसानों को फार्म पॉन्ड यानी खेतों में तलाई बनाकर मछली पालन करने के लिए प्रेरित किया जा रहा है. तो आइए जानते हैं कैसे करें फार्म पांड में मछली पालन-

श्याम दांगी
श्याम दांगी

किसानों को आर्थिक रूप से मजबूत बनाने के लिए केन्द्र सरकार मछली पालन पर जोर दे रही है. इसके लिए किसानों को फार्म पॉन्ड यानी खेतों में तलाई बनाकर मछली पालन करने के लिए प्रेरित किया जा रहा है. तो आइए जानते हैं कैसे करें फार्म पांड में मछली पालन-

तलाई बनाना

खेत के एक हिस्से में बारिश से पहले वर्गाकार या आयताकार आकृति की तलाई या छोटा तालाब बनाया जाता है. जिसमें बारिश का पानी इकट्ठा हो जाता है. इसका आकार किसान के उपलब्ध जमीन के अनुसार हो सकता है. तलाई बनाते समय इस बात का विशेष ध्यान देना चाहिए कि खेत का उंचाई वाला हिस्सा हो ताकि खेती करते दूसरे हिस्से में सिंचाई करते वक्त परेशानी न हो. वहीं तलाई चिकनी मिट्टी के खेत में बनाना चाहिए क्योंकि रेतीली मिट्टी में पानी सोखने की प्रवृत्ति अधिक होती है. दरअसल, रेतीली मिट्टी में मृदा के कणों के बीच का अंतर 2 मि.मी तो चिकनी मिट्टी में यह 0.002 मि.मी.होता है. हालांकि रेतीली मिट्टी के जल रिसाव को कुछ टेक्निक के जरिए जीरो किया जा सकता है.

-रसायन का प्रयोग करके.
-गाय के कच्चे गोबर के जरिए.
-पॉलिथीन के प्रयोग से. (पॉलीथीन की परत को वाइनिल या ब्यूटिलीन रबर से बनाया जाता है.)

तलाई के फायदे

खेत के पास तलाई बनाने के कई फायदे हैं. किसान रबी की फसल में पानी का उपयोग सिंचाई के रूप में कर सकते  हैं. वहीं अपनी आय को बढ़ाई के लिए विभिन्न तरह की सब्जियां लगा सकते हैं. इसके अलावा तलाई में मछली पालन भी कर सकते हैं. फार्म पांड से एक साल में दो बार मछली का उत्पादन लिया जा सकता है. जो कि प्रति हेक्टेयर 5 से 6 टन तक हो सकता है.

तलाई में मछली पालन कैसे करें

तालाब में भी मछली पालन वैसे ही होता है जैसे बड़े तालाबों में किया जाता है. हालांकि कुछ चीजों का विशेष ध्यान रखना पड़ता है-

-तलाई की गहराई डेढ़ से दो मीटर होनी चाहिए. यदि तलाई इससे गहरी होगी तो इससे मछली पर विपरीत प्रभाव पड़ता है.
-तलाई का आकार आयताकार होना चाहिए.
-यदि तलाई का निर्माण रेतीली मिट्टी में किया जा रहा है तो तलाई बनाने के लिए बेन्टोनाइट क्ले या पॉलीथीन लेयर का उपयोग करें.
-मछली पालन से पहले तलाई के जल और मिट्टी का परीक्षण करा लेना चाहिए.

-तलाई एक निश्चित अनुपात में मत्स्य बीज डाला जाता है. रोहूल, कतला और नैन को क्रमशः 1:1:1 या 3:4:3 के अनुपात में डालना चाहिए.
-ऑक्सीजन के उपयुक्त प्रबंध होना चाहिए. इसके लिए पैडल व्हील एरेटर का प्रयोग करें.
-मछलियों को प्रोटीन युक्त आहार देना चाहिए.
-जल्दी ग्रोथ के लिए मछलियों को उनके भार का 2 से 3 प्रतिशत तक देना चाहिए.
-मछलियों की प्रजातियों का सही चयन करना चाहिए. ताजे पानी के क्षेत्र में रोहू, कतला और नैन का पालन किया जाता है.
-पादप प्लवक की संख्या में इजाफा करने के लिए गाय का गोबर और यूरिया और सुपर फास्फेट का उपयोग किया जा सकता है. इससे किसानों को कृत्रिम आहार कम देना पडे़गा.

English Summary: keep these things in mined fisheries Published on: 20 October 2020, 05:14 IST

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