पिछले कुछ सालों में मानव ही नहीं पशुओं में भी कई तरह की बीमारियों के लक्षण देखे जा रहे हैं. जिसका असर कई जीवों पर भी होता है. बता दें की बीमारियों का प्रकोप न केवल झुंड की उत्पादकता को कम करता है बल्कि स्थानीय और विश्व अर्थव्यवस्थाओं को भी नुकसान पहुंचा सकता है क्योंकि निगमों और पशु संचालकों के पास प्रकोप को नियंत्रित करने के लिए अपनी उपज को कम करने के अलावा कोई विकल्प नहीं होता है.
देखा जाए तो पशुओं के रोग मानव स्वास्थ्य के लिए भी खतरा हो सकते हैं. पशुओं को महामारी और वायरस (Epidemics and viruses in Animals) से बचाने के लिए आपको यह कुछ जरूरी उपाय करने चाहिए.
उभरती बीमारियों के प्रकोप को रोकने के तरीके (Ways to Prevent Outbreaks of Emerging Diseases)
वायरस को पशुओं की आबादी में प्रवेश करने और बीमारियों को फैलने से रोकने का सबसे कुशल और प्रभावी तरीके यह हैं-
पशुओं के प्राथमिक स्वाथ्य सम्बन्धी चिकित्सा के बारे में जानकारी रखें एवं नियमित जांच-पड़ताल और पशुओं को उनके टीकाकरण के साथ अन्य कई जरूरी देख रेख बेहद जरूरी होती हैं, साथ ही बीमार पशुओं और उनके कारावास से निपटने की रणनीति भी शामिल करना जरूरी होना चाहिए.
हमेशा नए जानवरों को विश्वसनीय स्रोत से ही खरीदें. सुनिश्चित करें की उनका टीकाकरण किया गया है, बीमारियों की निगरानी करें, और उन्हें मौजूदा झुंड या झुंड में पेश करने से पहले कम से कम 3 सप्ताह से एक महीने के लिए अपने खेत से अलग कर दें. यह भी सुनिश्चित करें की नया जानवर ऐसी जगह से खरीदा जाए जहां बीमारी का प्रकोप न हो. दवाओं और बीमारी की समस्याओं की जानकारी के साथ-साथ टीकाकरण का प्रमाण मांगे.
बिल्ड-अप को हटाने के लिए फीडिंग ट्यूब और पानी के स्रोत को नियमित रूप से साफ करें. सुनिश्चित करें की पशुओं के खाने का स्थान साफ़ हो और उन्हें दिया जाने वाला चारा दूषित न हो.
पशुओं के सोने के तरीके, खाने की आदतों, पानी पीने की आदतों और शौच की आदतों की निगरानी करें की जानवर में बीमारी के कोई लक्षण तो नहीं दिखाई दे रहे हैं.
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जब कोई रोगग्रस्त पशु मर जाए, तो उसे घसीटें नहीं. बल्कि उन्हें उठाकर किसी गहरे गड्ढे में गाड़कर दफना दें या दाह संस्कार करके नष्ट कर दें.
रोगग्रस्त पशुओं की आवाजाही को सीमित करें और उन्हें बाकी स्वस्थ समूह से अलग कर दें.
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