पशुधन किसी भी किसान की आमदनी के लिए बेहद जरूरी और प्रमुख स्रोत होता है. यदि पशुधन स्वस्थ है तो किसान की जिंदगी काफी खुशहाल है, इसलिए यह बेहद जरूरी है कि पशुओं के माध्यम से आमदनी को बनाए रखने के लिए उनकी उचित रूप से देखभाल की जाए और उनको संक्रमण से दूर रखा जाए. कई बार पशु किसी प्रकार के संक्रमण से ग्रस्ति हो जाते हैं. इस तरह के रोगों का प्रकोप सबसे ज्यादा कमजोर मवेशियों पर ही होता है जो कि उनके स्वास्थ्य के लिए बेहद ही हानिकारक होता है. इसीलिए पशुपालक को चाहिए कि वे पशुओं की उचित देखभाल करें. पशुपालकों को अपने पशुओं को संक्रमण से बचाने के लिए विभिन्न बातों का ध्यान रखना चाहिए.
1. पशुधन या मवेशी को प्रतिदिन ठीक समय पर भर पेट पौष्टिक चारा-दाना दिया जाना चाहिए.
2. सभी मवेशियों की साफ-सफाई का पूरा ध्यान रखा जाना चाहिए.
3. मवेशियों के बाथन का स्थान ऊंचा बनाया जाना चाहिए ताकि वहां पर्याप्त रोशनी की व्यव्स्था हो.
4. बथान की नियमति सफाई और समय-समय पर रोगाणुनाशक दवाएं जैसी दवाओं के घोल से उसकी धुलाई की जानी चाहिए.
5. सभी मवेशियों के साथ प्यार भरा व्यवहार किया जाना बेहद ही जरूरी है.
6. साफ बर्तन में पानी भरकर रखा जाना चाहिए ताकि वह आराम से पानी पी सकें.
तो आइए जानते हैं वो कौन से रोग हैं जो एक पशुओं में विभिन्न प्रकार के संक्रमण फैला सकते हैं और उनके स्वास्थ्य पर भी घातक प्रभाव डालते हैं. अलग-अलग तरह के रोगों की अलग प्रकृति होती है जो कि पशुओं में संक्रमण को फैलाती है. ये है पशुओं के तीन तरह के रोग-
1. संक्रामक रोग
2. सामान्य रोग
3. परजीवी जन्य रोग
1. संक्रामक रोग- पशुओं को सबसे पहले होने वाले रोग संक्रामक रल छूतही रोग है. दरअसल छूत से एक पशु से दूसरे पशु और फिर अन्य शुओं में फैल जाते हैं. यह संक्रमण रोग प्रायः विषाणुओं द्वारा फैलाए जाते हैं. अगर इनका सही तरीके से समय पर इलाज ना हो तो यह गंभीर महामारी का रूप ले लेते हैं. इनमें होने वाले जो रोग हैं उनमें गलाघोंटू, जहरवाद, खुरहा, संक्रामक गर्भपात, यक्ष्मा, थनैला आदि कई घातक रोग शामिल हैं.
2. सामान्य रोग- पशुओं में दूसरे सामान्य तरह के रोग होते हैं जो कि अलग-अलग तरह से होते हैं. यह सामान्य रोग पशुओं की उत्पादन क्षमता को म कर देते हैं. सामान्य रोग भयानक नहीं होते लेकिन यदि इनका सही तरीके से इलाज ना हो तो फिर ये खतरनाक रूप ले लेते हैं. इस तरह के रोगों में अफरा, दुग्ध ज्वर, जेर का अंदर रह जाना, निमोनिया आदि इनमें शामिल हैं.
3. परजीवी जन्य रोग- तीसरे तरह का रोग परजीवी जन्य रोग कहलाता है. कई बाह्य और आंतरिक परजीवी के कारण मवेशियों को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है. इनमें बछड़े का रोग, कब्जियत, रतौंधी आदि रोग शामिल हैं. इस तरह के रोग भी पशुओं की सेहत पर बेहद ज्यादा प्रभाव डालते हैं.
रोकथाम और बचाव
कई तरह के पशुओं को होने वाले अलग-अलग रोगों से बचाव और रोकथाम के भी उपाय किए जाने चाहिए. तो आइए जानते है ये उपाय क्या-क्या है जिससे पशुओं को गंभीर रोगों से बचाया जा सकता है-
1. सभी जानवरों को जिनकों संक्रमण की आंशका है उनको प्रति छह माह में एफएमडी के टीके लगाए जाने चाहिए.
2. संक्रमित पशुओं को अन्य पशुओं से अलग करके रखना चाहिए.
3. पशुओं की उचित देखभाल के लिए किसी जाने माने पशु चिकित्सक की सलाह ली जानी चाहिए.
4. संक्रमित पशुओं के आहार की अलग व्यव्स्था के साथ ही उनकी देखभाल के लिए अलग कर्मचारी होने चाहिए.
किशन अग्रवाल, कृषि जागरण
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