Poultry Farming: भारत में पोल्ट्री फार्मिंग व्यवसाय काफी तेजी से आगे बढ़ रहा है और अधिकतर किसान खेतीबाड़ी के साथ मुर्गी पालन भी करना पंसद कर रहे हैं. मार्केट में हमेशा ही मुर्गी के अंडे और चिकन की अच्छी खासी मांग रहती है. ग्रामीण अर्थव्यवस्था में मुर्गी पालन विशेष माना जाता है, क्योंकि यह कई लोगों के लिए कमाई का मुख्य साधन भी है. लेकिन कभी-कभी किसान या मुर्गीपालकों को मुर्गियों के बीमारी होने के बाद काफी नुकसान का सामना करना पड़ जाता है. मुर्गियों में खासतौर से सबसे अधिक सफेद दस्त रोग की समस्या देखने को मिलती है.
आइये कृषि जागरण के इस आर्टिकल में जानें, सफेद दस्त रोग क्या है और इसका कैसे कर सकते हैं बचाव?
सफेद दस्त रोग क्या है?
सफेद दस्त रोग मुख्य रूप से चूजों में होता है, जिससे अधिकतर चूजे मर भी जाते हैं. फिर बाद में यह रोग मुर्गियों में फैल जाता है. इस रोग से संक्रमित अंडों में भ्रूण मर जाते हैं. इस बीमारी में मुर्गियों के मल का रंग बिलकुल सफेद हो जाता है और मल त्याग के वक्त उन्हें काफी दर्द भी होता है. वहीं कभी-कभी सफेद दस्त रोग की चपेट में आने पर कुछ पक्षी अंधे या लंगड़े भी हो जाते हैं. दस्त लगने से मुर्गियों और चूजों का पिछला हिस्सा भी चिपचिपा हो जाता है.
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सफेद दस्त रोग का उपचार
सफेद दस्त रोग की दवा आपको किसी भी पशु चिकित्सा की दुकान पर आसानी से मिल जाती है. मुर्गियों और चूजों को दवा भी उनकी खुराक के अनुसार देनी चाहिए. यदि आप 5 मुर्गियों या 20 चूजों को दवा दें रहे हैं, तो 2 चुटकी दवा को एक कप पानी में घोल कर बीमार चूजों को 2-2 बूंद और मुर्गियों को 5-5 बूंद सिरिंज जरिए लगातार तीन दिन तक दें. ऐसा करने से खुराक भी ओवरडोज नहीं होती है और उनके आराम भी जल्दी हो जाता है.
घोलकर पिलाएं दवा
आप अपनी मुर्गियों या चुजों को सफेद दस्त रोग से छुटकारा दिलाने के लिए उन्हें दवा पीने के पानी में भी घोलकर दें सकते हैं. इस विधि से 40 चूजों या 10 मुर्गियों को एक कटोरी पानी में लगभग 4 चुटकी दवा को घोल कर मुर्गीघर में रख देना चाहिए. आपको इस दवा वाले पानी को मुर्गियों के पानी के बर्तन में लगातार 2 दिन तक रखना चाहिए. इसके अलावा, आपको प्रभावित चूजों या मुर्गियों को अपनी इच्छानुसार इस दवा वाले पानी को पिलाना है.
सफेद दस्त रोग की रोकथाम
सफेद दस्त रोग से मुर्गियों और चूजों के बचाव के लिए आपको मुर्गीघर की और उसके आस-पास की जगह में साफ सफाई रखनी चाहिए. इसके अलावा, टेट्रासाइक्लिन पाउडर / लिक्सेन पाउडर / फयूरासोल पाउडर को कम से कम मात्रा में मुर्गियों और चूजों को पिलाने से इस खतरनाक रोग की रोकथाम की जा सकती है.
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