नीली क्रांति के तहत मत्स्यपालन को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने कुछ और कदम उठाए हैं | सरकार अपनी बहुआयामी गतिविधियों के साथ अंतरदेशीय और समुद्री इलाकों में उत्पादन बढ़ाने के लिए प्रयासरत है| सरकार योजनाओं का मुख्य उद्देश्य समग्र मछली उत्पादन में वृद्धि करना, मत्स्यपालन के आधुनिकीकरण के लिए नई तकनीकों पर ध्यान देना, खाद्य और पोषण सुरक्षा सुनिश्चित करना, रोजगार और निर्यात के जरिए आय के अधिक अवसर उत्पन्न करना, मछुवारों और मत्स्यपालन करने वाले किसानों को सशक्त बनाना है| मत्स्यपालन को बढ़ावा देने के लिए दिसम्बर 2015 “एक एकीकृत और समग्र मत्स्यपालन विकास योजना” को लागू किया गया था| अब इस योजना को संशोधित किया गया है|
इस संशोधित योजना इकाई के तहत मछुआरों के घरों की लागत राशी बढ़ाकर 1,20,000 प्लेन एरिया, 1,30,000 इन नाॅर्थ ईस्ट के लिए और पहाड़ी इलाकों के लिए 75,000 सहायता राशी और इसके अलावा प्रत्येक मछुआरे को दी जाने वाली सहायता राशी को 1800 से बढ़ाकर 3000 रूपए कर दिया गया है| इसके अलावा सरकार ने ई मंडी योजना प्रणाली के तहत अप्रैल 2016 तक 8 राज्यों में 28 से ज्यादा मंडियों को ई-प्रणाली से जोड़ा जा चुका है| साल 2018 तक देशभर में 585 मंडियों को ई-प्रणाली से जोड़ा जाएगा| इससे किसानों को सीधा फायदा मिलेगा|
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