
Raceway Fish Farming: भारत में मछली पालन एक तेजी से बढ़ता हुआ व्यवसाय है, जो किसानों के लिए अतिरिक्त आय का एक बेहतरीन स्रोत बन चुका है. परंपरागत तालाब आधारित मछली पालन में जहां अधिक जगह और समय की जरूरत होती है, वहीं अब नई तकनीकों के जरिए मछली पालन को अधिक उत्पादक और लाभकारी बनाया जा सकता है. इन्हीं तकनीकों में से एक है रेसवे सिस्टम (Raceway System). यह एक आधुनिक और वैज्ञानिक तरीका है, जो कम जगह में अधिक उत्पादन और बेहतर नियंत्रण की सुविधा देता है.
क्या है रेसवे सिस्टम?
रेसवे सिस्टम एक तरह की बहाव आधारित मछली पालन पद्धति है, जिसमें लम्बे और संकरे टैंक बनाए जाते हैं. इन टैंकों में लगातार साफ पानी बहता रहता है, जिससे मछलियों को ताजा ऑक्सीजनयुक्त पानी मिलता रहता है. इस प्रणाली में पानी का प्रवाह नियंत्रित किया जाता है और मछलियों को अनुकूल पर्यावरण मिलता है. इसमें पानी की गुणवत्ता को बनाए रखना आसान होता है और मछलियों की मृत्यु दर भी कम होती है.
रेसवे सिस्टम से मछली पालन के फायदे
- कम जगह में अधिक उत्पादन - पारंपरिक तालाबों के मुकाबले रेसवे सिस्टम में कम जगह में अधिक मछलियों का पालन किया जा सकता है. यह प्रणाली विशेष रूप से उन किसानों के लिए उपयोगी है जिनके पास सीमित जमीन है.
- पानी की गुणवत्ता पर नियंत्रण - रेसवे सिस्टम में लगातार बहता हुआ पानी रहता है जिससे पानी में ऑक्सीजन की मात्रा बनी रहती है. इसके कारण मछलियां स्वस्थ रहती हैं और तेजी से बढ़ती हैं.
- बीमारियों पर नियंत्रण - इस सिस्टम में नियमित सफाई और पानी के बहाव के कारण मछलियों में संक्रमण और बीमारियों का खतरा कम रहता है. इससे दवाइयों पर खर्च भी घटता है.
- आसान प्रबंधन और निगरानी - रेसवे टैंकों की लंबाई और संकरी बनावट के कारण मछलियों पर निगरानी रखना आसान होता है. फीडिंग, ग्रोथ, और स्वास्थ्य की स्थिति पर नजर रखी जा सकती है.
- कम लागत और अधिक मुनाफा - भले ही शुरुआती निवेश थोड़ा ज्यादा हो, लेकिन लंबी अवधि में रेसवे सिस्टम से उत्पादन ज्यादा होता है, जिससे किसानों को अच्छा मुनाफा मिलता है. इसके अलावा पानी की बचत भी होती है.
- किसी भी मौसम में पालन संभव - रेसवे सिस्टम को शेड के नीचे या कंट्रोल्ड वातावरण में लगाया जा सकता है, जिससे वर्षा, सर्दी या गर्मी किसी भी मौसम में मछली पालन किया जा सकता है.
किन मछलियों के लिए उपयुक्त है यह प्रणाली?
रेसवे सिस्टम में रोहू, कतला, मृगल, तिलापिया और ट्राउट जैसी मछलियों का पालन सफलतापूर्वक किया जा सकता है. खासकर पहाड़ी क्षेत्रों में ट्राउट मछली के लिए यह प्रणाली बहुत लाभकारी मानी गई है.
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