देश में मध्य प्रदेश के आदिवासी क्षेत्र झाबुआ का कड़कनाथ मुर्गा लगातार प्रसिद्ध हो रहा है. यह अपने स्वाद और विशेष गुणों की वजह से जाना जाता है. कोरोना महामारी के दौरान 'कड़कनाथ' ने दर्जनों मुर्गीपालन कर रहे लोगों को कड़की से उबारा है. हाल यह है कि अब कड़कनाथ के चूजों के लिए महीनों तक का इंतजार करना पड़ता है.
'कड़कनाथ' ने दर्जनों लोगों को कड़की से उबारा ('Kadaknath' rescued dozens of people from Kadki)
कोरोना काल से पहले कई किसानों और ग्रामीणों ने लोन लेकर 1-1 हजार कड़कनाथ रखने के लिए केंद्र बनाए थे, लेकिन उन्हें कोरोना और लॉकडाउन के दौरान उम्मीद नहीं थी कि वह इससे केंद्र में लगी लागत भी निकाल पाएंगे, क्योंकि इस दौरान लोगों ने चिकन से दूरी बना ली थी. मगर कोरोना काल में इसका एकदम उल्टा हआ, क्योंकि कड़कनाथ मुर्गे की मांग घटने की जगह और बढ़ गई. इससे ग्रामीणों ने न केवल अपना लोन चुकाया, बल्कि आर्थिक रूप से भी मजबूत हो गए.
कड़कनाथ मुर्गे का कैसे करें पालन? (How to rear Kadaknath chicken?)
अगर आप कड़कनाथ मुर्गे के 100 चूजों को पालते हैं, तो इसके लिए करीब 150 वर्ग फीट जगह की ज़रूरत होगी. इसके अलावा 1000 काले मुर्गो के चूजों के लिए 1500 वर्ग फीट जगह की जरूरत होती है. बता दें कि कड़कनाथ चूजों और मुर्गियों के लिए इस तरह का शेड बनाएं, जिसमें रोशनी और हवा आती हो. ध्यान दें कि एक साथ 2 शेड नहीं होना चाहिए. एक शेड में एक ही ब्रीड के चुजें रखें, साथ ही कड़कनाक चूजों और मुर्गियों को अंधेरे या देर रात में खाना न दें.
कड़कनाथ की प्रजातियां (Species of Kadaknath)
जेड ब्लैक कड़कनाथ (पंख पूरी तरह काले होते हैं)
पेंसिल्ड कड़कनाथ (इसका आकार पेंसिल की तरह होता है)
गोल्डन कड़कनाथ (पंखों पर गोल्ड के छींटे होते हैं)
प्रति नग मिलता है इतना रुपए (Get this much rupees per piece))
आपको बता दें कि कड़कनाथ मुर्गा 800 रुपए और मुर्गी 700 रुपए प्रति नग मिलते हैं. इसके अलावा 1 दिन का चूजा 65 रुपए में मिल जाता है, तो वहीं 7 दिन का 70 रुपए में, 15 दिन का चूजा 80 रुपए में मिल जाता है. मगर जब से इसकी मांग बढ़ी है, तब से एक चूजे की कीमत 120 रुपए पहुंच गई है.
यूसुफ और धोनी को भाया कड़कनाथ (Yusuf and Dhoni liked Kadaknath)
जानकर हैरानी होगी कि गुजरात के बड़ौदा से क्रिकेटर यूसुफ पठान खुद झाबुआ आते हैं और कड़कनाथ मुर्गे और उसके चूजे लेकर जाते हैं. इतना ही नहीं, अब इंडिया टीम के पूर्व कप्तान महेंद्रसिंह धोनी को भी कड़कनाथ बहुत पसंद है. मौजूदा समय में देश के कई राज्यों में हर दिन इसकी मांग बढ़ रही है.
कड़कनाथ को मिला है GI टैग (Kadaknath got GI tag)
मध्य प्रदेश के झाबुआ जिले में ही मुर्गे की कड़कनाथ नस्ल पाई जाती है. इसे अपना बताने के लिए छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश के बीच काफी लड़ाई भी चली थी, लेकिन अंत में झाबुआ को कड़कनाथ का GI टैग मिल गया.
मुर्गियों की तुलना में कड़कनाथ है बेहतर (Kadaknath is better than chickens)
कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि दूसरी नस्ल के मुर्गे-मुर्गी स्वाद और स्वास्थ्य में इतने अच्छे नहीं होते हैं, जिनता कड़कनाथ मुर्गा है. यह स्वास्थ्य और स्वाद की दृष्टि में बहुत बेहतर है. इसमें प्रोटीन, विटामिन बी-1, बी-2, बी-6 और बी-12 की भरपूर मात्रा पाई जाती है. इससे रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है और यह कोलेस्ट्रॉल भी नहीं बढ़ाता है.
कड़कनाथ ने बदली तकदीर (Kadaknath changed his destiny)
बताया जाता है कि गांव रूंडीपाड़ा के 32 साल के विनोद मेड़ा ने मकान बनाने के लिए करीब 15 लाख का लोन लिया था, जिसको चुकाने के लिए वह गुजरात में मजदूरी करने लगे. मगर वह ब्याज भी नहीं भर पा रहे थे. तभी साल 2017 में वापस गांव आ गए. इसके बाद वह कड़कनाथ पालन व्यवसाय करने लगे. इस व्यवसाय ने कोरोना काल में जोर पकड़ा लिया, जिससे उनका सारा लोन उतर गया.
कहां-कहां मिलता है कड़कनाथ (Where is Kadaknath available?)
यह मुख्यतः मध्य प्रदेश के आदिवासी अंचल झाबुआ जिले में पाया जाता है, लेकिन अब इसकी ब्रीड छत्तीसगढ़, तमिलनाडू, आंध्र प्रदेश और महाराष्ट्र जैसे कई राज्यों में पाई जाती है.
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