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मधुमक्खी पालन का तरीका: बिना हाथ लगाए शहद पाने की आधुनिक तकनीक बनी मिसाल

मधुमक्खी पालन (beekeeping) के व्यवसाय से जुड़े कई लोगों को प्रशिक्षण देने वाले विशेषज्ञ डॉ नितिन कुमार ने बताया कि इस तरह की तकनीक कई देशों में सफल रही और यह काफी बेहतर भी है. ऑस्ट्रेलिया से इसकी शुरुआत हुई और अब यह कई जगह चल रही है.

सुधा पाल
सुधा पाल
flow hive
मधुमक्खी पालन की जानकारी

साल 2015 में पिता और पुत्र की एक जोड़ी ने कुछ अलग करने की चाहत रखी. ऑस्ट्रेलिया के रहने वाले Stuart और Cedar Anderson मधुमक्खी पालन और शहद उत्पादन के व्यवसाय से जुड़े हैं. जब इन्होंने इस व्यवसाय की शुरुआत की, उसके कुछ समय बाद ही उन्हें यह लगा कि वे इसी क्षेत्र में और भी बेहतर कर सकते हैं.

इसी को ध्यान में रखते हुए उन्होंने "हनी ऑन टैप बीहाइव" Honey on Tap Beehive को डिज़ाइन किया. पारम्परिक बीहाइव यानी मौनगृह से अलग इस आधुनिक मौनगृह को व्यवसाय से जुड़े कई लोगों ने काफी पसंद किया. इससे मिलने वाले बेहतर उत्पादन और प्रक्रिया को भी सराहा गया और यही वजह है कि कई देशों में इस ख़ास मौनगृह की मांग बानी हुई है. अलग-अलग देश के मधुमक्खी पालक इसका इस्तेमाल कर अच्छा मुनाफ़ा कमा रहे हैं.

मधुमक्खी पालन (beekeeping) के व्यवसाय से जुड़े कई लोगों को प्रशिक्षण देने वाले विशेषज्ञ डॉ नितिन कुमार ने बताया कि इस तरह की तकनीक कई देशों में सफल रही और यह काफी बेहतर भी है. ऑस्ट्रेलिया से इसकी शुरुआत हुई और अब यह कई जगह चल रही है.

Flow Hive की ख़ासियत

इस ख़ास और एडवांस्ड मौनगृह को "फ़्लो हाइव" (Flow Hive) का नाम दिया गया है. Flow Hive में खास तकनीक का इस्तेमाल करते हुए इसे ऐसे तैयार किया गया है कि बिना मधुमक्खियों को छेड़े ही आसानी से शहद पाया जा सकता है. शहद बनने के बाद वह स्वयं ही जार या उस बर्तन में इक्कट्ठा हो जाता है जिसे आपने वहां लगा रखा होता है.

इस तरह आपको शहद पाने के लिए ज़्यादा मेहनत नहीं करनी होती है. 

लगभग 130 देशों के मधुमक्खी पालक इस्तेमाल कर रहे हैं Flow Hive

आपको बता दें कि इसकी विषेशताओं और कम लागत में अच्छे मुनाफ़े को देखते हुए लगभग 50,000 से अधिक फ्लो हाइव दुनियाभर के 130 देशों में इस्तेमाल किये जा रहे हैं.

फ्लो हाइव  का डिज़ाइन (Flow Hive Design)

स्टुअर्ट और एंडरसन ने फ्लो हाइव को ऐसे शानदार तरीके से बनाया है कि मधुमक्खी पालन से जुड़े लोगों के काम करने के समय को बचाया जा सके. घंटों के काम को कुछ ही समय में किया जा सकता है. इस फ्लो हाइव में आपको नल (tap) जैसा सिस्टम मिलता है जिससे शहद निकलता है. आप इस टैप को ON या OFF भी कर सकते हैं. इस तरह जब आपको शहद चाहिए, आप इसे खोल लें या अपने मुताबिक बंद कर दें. इस तरह मधुमक्खियों को किसी तरह की कोई क्षति नहीं पहुँचती है और शहद छत्ते से सीधे बाहर जार में आ जाता है.

ये भी पढ़ें: Beekeeping Success Story: प्राइवेट जॉब छोड़ करने लगे मधुमक्खी पालन, हो रही लाखों में कमाई

इस फ्लो हाइव को कहीं भी फिट किया जा सकता है. इसके डिज़ाइन की वजह से इसे कहीं भी स्थापित किया जा सकता है, समतल या ऊबड़-खाबड़ ज़मीन पर भी. शहद तैयार होने के समय मधुमक्खी पालक मौनगृह में एक हैंडल डालते हैं और उसे घुमा देते हैं जिससे बाद में शहद निकलने की प्रक्रिया शुरू हो जाती है. शहद निकलने पर मधुमक्खियों को जब यह पता चलता है कि मधुकोश (honeyvcomb) खाली हो चुका है, तो वे फिर से अपने काम पर वापस लग जाती हैं. इस बॉक्स या मौनगृह में आपको एक ट्रे मिलती है जो बहुउपयोगी है. इस ट्रे के ज़रिए पालक आसानी से कीटों को भी फंसा सकते हैं. मधुमक्खियों को बॉक्स के बाहर से आप भी देख सकते हैं इसमें आपको एक वेंटिलेशन नियंत्रण प्रणाली (ventilation control system), एक उत्पादन शेल्फ़, और दोनों तरफ खिड़कियां भी मिलती हैं जिनसे आप मधुमक्खियों को भी देख सकते हैं. मधुमक्खी पालक फ्लो हाइव से प्रति फ्रेम लगभग साढ़े पांच से साढ़े छह पाउंड शहद प्राप्त कर सकते हैं.
English Summary: beekeeping technique bee farmers producing honey on tap in australia Published on: 14 January 2020, 12:47 IST

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